ज्ञान की तीन बातें

तीन बातें ज्ञान की Teen Baten Gyan ki

Teen Baten Gyan ki gyanhans

तीन बातें ज्ञान की Teen Baten Gyan ki

बहुत समय पहले की बात है रामलाल नाम का युवक एक जमींदार के यहां काम करता था। कई सालों तक काम करते-करते रामलाल को अपने परिवार की चिंता सताने लगी। एक दिन उसने जमींदार को अपने मन की बात बता दी। जमींदार ने कहा, ‘जाओ बेटा, लेकिन जाने से पहले तुम्हारी तनख्वाह के अलावा मैं तुम्हें कुछ तोहफा देना चाहता हूं, उपहार के रूप में। जिसमें से तुम्हारे पास दो विकल्प हैं।

पहला, सोने के तीन सिक्के और दूसरा तीन बातें ज्ञान की। रामलाल अपने मालिक की चतुराई से बहुत प्रभावित हुआ। उसने कहा, मालिक, मेरे पास पैसे हैं। मैंने वेतन के पैसे में भी काफी बचत की है। मैं आपसे तीन बातें ज्ञान की जानना चाहता हूँ।

जमींदार ने रामलाल से कहा, “तो मेरी बात ध्यान से सुनो। पहली ज्ञान की बात यह है – जब भी आप पुराने के बजाय एक नया रास्ता चुनते हैं, तो हमेशा नई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। दूसरी बात यह है कि ज्यादा देखें, और कम कहें। और तीसरी ज्ञान की बात यह है कि – कुछ भी करने से पहले अच्छी तरह सोच लेना चाहिए ।’

यह कहकर जमींदार ने उसे एक मोटी रोटी दी और कहा कि जब भी उसे सचमुच खुशी मिले, तो तुम्हें यह रोटी तोड़नी है।

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रामलाल जमींदार से विदा लेकर चल पड़ा। रास्ते में उसकी मुलाकात अन्य राहगीरों से हुई। उन्होंने रामलाल से कहा ‘हम सबसे छोटे रास्ते पर आगे बढ़ेंगे, इसमें कम समय लगेगा’। तब रामलाल को याद आया कि जमींदार ने क्या कहा था, उसने कहा नहीं दोस्तों, मैं इसी रास्ते से आगे बढ़ूंगा। इतना कहकर रामलाल आगे बढ़ चला।

थोड़ी दूर आगे चलने के बाद उसने कुछ धमाकों की आवाज सुनी। वह समझ गया कि उसके साथ गए अन्य लोग, जो छोटे रास्ते से गए थे, डकैतों का शिकार हो गए ।

आगे चलते हुए कुछ देर बाद रामलाल को भूख लगी। वह एक सराय में खाना खाने और आराम करने गया। उसे खाना परोसा गया। रामलाल को खाना कुछ अजीब लगा। उसने देखा कि जो मांस उसे परोसा गया वह मनुष्य का था। उसने सराय के मालिक को फटकार लगाने की सोची। लेकिन तभी रामलाल को जमींदार की कही हुई दूसरी ज्ञान की बात याद आयी। उसने चुपचाप भोजन के लिए भुगतान किया और चलने लगा।

तब सराय के मालिक ने कहा, “सुनो! आज तुम्हारी जान बच गई। जब जिसने भी खाने में नुख्स निकाला, मैंने उसे पीटा और मार डाला, और उसका मांस पकाकर बेच दिया।।” रामलाल ने उसकी बात सुनी, पर कुछ न बोला। और घर की तरफ चल पड़ा।

शाम तक रामलाल अपने घर पहुंच गया। उसने देखा कि उसकी पत्नी घर के एक युवक से हंस कर बात कर रही है। उसे बहुत गुस्सा आया। वह वहीं पड़ी लाठी से युवक का सिर फोड़ने ही वाला था। तब तक उसे जमींदार की तीसरी बात याद आई, तो वह रुक गया।

जब वह अपनी पत्नी के पास पहुंचा तो पत्नी खुशी से झूम उठी। उसने युवक से कहा, ‘हे बेटा ! यह तुम्हारे पिता हैं।’ फिर उसने रामलाल से कहा, ‘यह तुम्हारा बेटा है, देखो क्या संयोग है। वह भी कई साल पढ़ाई करके आज ही घर लौटा है, और आप भी।

रामलाल बहुत खुश था। यदि उसने जमींदार से तीन बातें ज्ञान की न सीखी होतीं, तो या तो घर न पहुँचता, अगर किसी तरह घर पहुंच जाता तो अब तक वह अपने बेटे का सिर फोड़ चुका होता।

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