आलसी गधा – Hindi Story

आलसी गधा – Hindi Story हिंदी कहानी 

Hindi Story

आलसी गधा – Hindi Story

रामपुर नामक गाँव में रामू  नाम का एक आदमी रहता था, उसके पास बोधु नाम का एक गधा था।  रामू  बहुत दयालु था और उसका स्वभाव बहुत अच्छा था। लेकिन उसके पास जो गधा था वह बहुत आलसी था और  वह गधा काम न करने के बहाने ढूंढता रहता था।  रामू का नमक का कारोबार था, वह नदी के उस पार शहर में अपने घर से नमक की बोरियां बेचता था।  रामू  का यह धंधा खूब चल रहा था और आमदनी भी अच्छी खासी थी जिससे वह अपना घर चला सके। लेकिन  रामू का  गधा बहुत आलसी था और वह नमक की बोरी को अपनी पीठ पर ले जाना पसंद नहीं करता था और वह अलग-अलग बहाने ढूंढता था ताकि उसे काम न करना पड़े।

रामू का धंधा खूब चलता रहा और बोधु की सुस्ती बढ़ती गई।  रामू  रोज 6 बोरे गधे की पीठ पर ढोता था और बिक्री के लिए गांव से शहर ले जाता था। एक दिन नदी पार करते समय गधा नदी की एक फिसलन भरी चट्टान पर गिर गया और फिसल कर नदी में गया।  रामू  ने उसे किसी तरह उठाया और नदी पार कर दूसरी तरफ ले गया।  रामू ने जब उसे नदी से बाहर निकाला तो गधा हल्का महसूस करने लगा और उसे लगा कि नदी में जादू है और इस जादू से मेरी पीठ का बोझ हल्का हो गया है।

जब  रामू ने गधे को नदी से बाहर निकाला, तब नदी में सारा नमक घुल गया था और बोरी काफी खाली गयी, इसलिए उसने सोचा कि आज शहर जाने का कोई फायदा नहीं है और वापस अपने घर की ओर चलने लगा। गधे को बस काम न करने का बहाना चाहिए था और वह खुशी-खुशी घर की ओर चलने लगा और मन ही मन सोचा कि आज तो पीठ का बोझ भी हल्का हो गया है और काम से छुटकारा मिल गया है। रामू निराश होकर घर आया और गधे को कूल्हे से बांध दिया। गधा अपनी घास का आनंद ले रहा था और काम से जल्दी घर आकर बहुत खुश था।

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दूसरे दिन  रामू  ने फिर से 6 बोरी नमक गधे की पीठ पर रख दिया और शहर की ओर बढ़ने लगा। गधा बहुत आराम से चल रहा था और जैसे ही नदी के पास आया, कल की तरह फिर से फिसल कर नदी गिर गया।  रामू फिर से गधे को नदी से बाहर ले गया और बहुत परेशान हुआ क्योंकि आज भी वह बाजार नहीं पहुंच पाया और नमक की बोरी भी पानी गीली हो गयी और खाली हो गई थी। गधा आज भी खुश था क्योंकि उसकी पीठ का बोझ हल्का हो गया था और वह जल्दी घर जा सकता था। गधा अपने दिल में नदी को धन्यवाद दे रहा था और उसने मान लिया था कि नदी जादुई है।  रामू बहुत परेशान था और शहर तक सोचने लगा कि कैसे नदी के उस पार बोरी ले जाए।

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गधा रोज उसी नदी में फिसलने लगा। एक दिन जब  रामू  ने देखा कि गधा उसी जगह रोज फिसलता है तो  रामू  ने गधे को सबक सिखाने की सोची।  रामू  ने नमक की जगह रूई की 8 बोरी भर दी और नदी की ओर बढ़ने लगा। गधा आज हमेशा की तरह खुश हुआ और जाकर नदी में बैठ गया।  रामू ने यह सब देखा और जोर-जोर से हंसने लगा क्योंकि आज नमक की बोरी रुई से भरी हुई थी। पानी में भीगने के कारण रुई भारी हो गई और बोधु पानी से बाहर नहीं निकल पा रहे था। तब रामू  हंसा और बोला, तुम क्या समझते हो, मुझे मूर्ख बना दोगे, अब तुम्हें बाजार जाकर घर लौटना होगा, वह भी इन 8 बोरियों को लेकर, फिर गधा पछताने लगा और समझ गया कि नदी में कोई जादू नहीं है। , फिर वह बाजार गया और शाम को घर लौट आया।

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अब हर दिन  रामू  नमक के बोरे इस तरफ से दूसरी तरफ ले जाता था लेकिन गधे की कभी हिम्मत नहीं हुई कि वह पानी में बैठ जाए।

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