हर व्यक्ति भरपूर जीवन जीना चाहता है; एक ऐसा जीवन जिसमें कोई कमी न हो।
फिर भी, अधिकांश लोग अपर्याप्तता की मानसिकता में अपना जीवन जी रहे हैं। ऐसी मानसिकता रखने वाले लोग अपने दिन की शुरुआत यह सोचकर करते हैं कि हमारे जीवन में क्या कमी है। जब वे लोग भगवान की पूजा करते हैं, तो भगवान से माँगने के लिए उनके पास मांगों की एक लम्बी लिस्ट होती है।
हर व्यक्ति भरपूर जीवन जीना चाहता है
ऐसे लोग जब अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से बात करते हैं, तो अपनी इच्छाओं के बारे में चर्चा अवश्य करते हैं। ऐसे लोगों को सुख तब तक नहीं मिल सकता जब तक क़ि उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी नहीं हो जातीं। इस तरह के लोग हर समय सांसारिक वस्तुओं के लिए तरसते रहते हैं।
भगवान बुद्ध के अनुसार मनुष्य के दुखों का कारण उसके मन में पनपती लालसा है।
मनुष्य के भीतर की सभी तृष्णाएँ, इच्छाएँ और आवश्यकताएँ, वास्तव में, वह अशुद्धियाँ हैं जो आत्मा के पास धूल की तरह जमा हो जाती हैं। जब धूल के कण दर्पण पर जमा होते हैं,तब वह दर्पण एक स्पष्ट छवि दिखाने में विफल हो जाता है। स्पष्ट प्रतिबिंब देखने के लिए दर्पण को साफ करने की आवश्यकता पड़ती है।
इसी तरह आत्मा के पास तरह-तरह के कण जमा हो जाते हैं और इन कणों और आवरणों को हटाने का मार्ग ही ज्ञान का मार्ग है।
ज्ञान आत्मा में पवित्रता लाता है
आंतरिक ज्ञान आत्मा की सभी अशुद्धियों को दूर करके पवित्रता लाता है। अशुद्धियों के हटने से आंतरिक समझ और विवेक को विकसित करने में मदद करता है, जिससे मनुष्य को यह महसूस करने में मदद मिलती है कि उसका जीवनप्रचुरता से भरा है।
लेकिन शंकाओं और इच्छाओं रूपी आवरण से ढकी हुई आत्मा के साथ, व्यक्ति सिर्फ एक भिखारी है। ये इच्छाएं बार बार यही कहती हैं, कि आप तब तक खुश और संतुष्ट नहीं हो सकते जब तक कि आपको अपने जीवन में वह नहीं मिल जाता जिसकी आपको कमी महसूस होती है। आप भी खुश नहीं हो सकते क्योंकि आपको अभी बहुत कुछ हासिल करना है, और आपकी स्थिति अभी एक भिखारी जैसी ही है।
इच्छाएं जीवन का पूरा नजरिया ही बदल देती हैं।
हर व्यक्ति भरपूर जीवन जीना चाहता है
ज्ञान के पथ पर रहो
लेकिन जब कोई व्यक्ति ज्ञान के मार्ग पर होता है तो वह अपने कर्तव्यों का पालन करता है, और शायद ही कभी जीवन में कमियों के बारे में सोचता है। वह सोचता यह है कि उसके लिए अभी जो कुछ भी उपलब्ध है, वह ईश्वर का आशीर्वाद है। ऐसे बुद्धिमान व्यक्तियों में आंतरिक समझ जागृत होती है।
वे समझते हैं कि भगवान ने उन्हें सब कुछ दिया है, लेकिन फिर भी उनका मन हाथों में भीख का कटोरा लेकर बैठा है।
एक बुद्धिमान व्यक्ति को पता चलता है, “भगवान ने मुझे एक सुंदर शरीर और एक उपहार के रूप में उतना ही सुंदर जीवन दिया है। मुझे और क्या चाहिए? मैं शायद ही कभी इस बारे में सोचता हूं कि मैं इस तरह के सभी आशीर्वाद पाने के योग्य कैसे हूं ? सबसे पहले, मेरे पास जो कुछ भी है उसके लिए मुझे कृतज्ञता दिखानी चाहिए।”
कृतज्ञता के साथ अधिकता को आमंत्रित करें
इस प्रकार, बुद्धिमान और ज्ञानी व्यक्ति वह है जो इस समय जो कुछ भी उसके पास है उसके लिए कृतज्ञता की भावना विकसित करता है। ऐसे लोगों में कृतज्ञता का भाव जागृत होता है।
वर्तमान में उनके पास जो कुछ भी है- एक स्वस्थ शरीर, पहनने के लिए पर्याप्त कपड़े, थाली में खाना, रहने के लिए घर और प्यार भरे रिश्ते – उसके लिए वे सदैव ईश्वर के आभारी रहते हैं। वे जानबूझकर अपनी इंद्रियों को उस तरफ निर्देशित नहीं करते हैं जिनकी उनके पास कमी है।
उनके पास जो कुछ है उसके लिए उनका मन सदैव कृतज्ञता से भरा रहता है और भगवान उन्हें और भी अधिक प्रदान करते हैं। भगवान ऐसे व्यक्ति के जीवन में अधिक से अधिक भौतिक और साथ ही आध्यात्मिक धन बनाने के अधिक अवसर प्रदान करते हैं।
तो, अपने जीवन में अधिकता को आमंत्रित करने के लिए, अपने आशीर्वादों को गिनें और अपने भीतर की भावना को जगाएं। कर्तव्यपरायणता से अपना काम करें, आभारी रहें और सदैव ईश्वर पर भरोसा रखें। वह आपको सही समय पर सब कुछ प्रदान करेगा जिसकी आपको जरुरत है।
हर व्यक्ति भरपूर जीवन जीना चाहता है