खुश रहने का मंत्र

खुश रहने का मंत्र

खुश रहने का मंत्र

हमेंशा शिकायत करने वाला मन कभी शांत नहीं होता वह सदैव किसी न किसी उलझन में रहता है। क्योंकि कहीं न कहीं हमारे मन में कृतघनता भरी होती है। और अगर आप एक शांत मन चाहते हैं तो आपको कृतज्ञ होना चाहिए, जो भी आपको मिला है, ईश्वर का धन्यवाद करना चाहिए, लोगों का शुक्रिया अदा करना चाहिए, क्योंकि एक कृतज्ञ हृदय ही हमेशा शांत रहता हैं।

हम एक विश्वाश के साथ ईश्वर की प्रार्थना करते हैं परन्तु  हम नहीं जानते कि हमारी प्रार्थनाओं का उत्तर दिया जाएगा या नहीं, लेकिन एक बात यह है कि आभारी महसूस करने का दृष्टिकोण और जीवन में हर चीज के लिए धन्य महसूस करना हमें जीवन में खुश रखता है। इसलिए यह एक सही दृष्टिकोण है कि हम अपने जीवन में सभी के साथ कृतज्ञता महसूस करें। एक आभारी मन सदैव शांत रहता है और हमेशा शांति से सो सकता है और शान से रह सकता है।

खुश रहने का मंत्र

दूसरी तरफ, जीवन में हर चीज के लिए शिकायत करने का हमारा दृष्टिकोण हमारी एक आदत होती है और ऐसा करने से हम सबसे पहले खुद को सबसे अधिक दुखी करते हैं। जीवन में हमारे गलत दृष्टिकोण हमें तनाव, चिंता और नकारात्मकता ही देते हैं जो हमारे जीवन में दुःख देने के कारक होते हैं। इस कारण कहीं न कहीं हम कृतघ्न होते जाते हैं और हमेशा शिकायत करते रहते है। शिकायत करने वाला मन कभी शांत नहीं होता उसे हर तरफ से अशांति मिलती है और इस प्रकार शिकायत करने वाला मन कभी भी शांति से नहीं सो सकता है।

अक्सर हम एक  मानव के रूप में हमेशा गर्मी, ठंड, बारिश, ट्रैफिक ऊबड़-खाबड़ सड़कों और कई अन्य छोटी चीजों की शिकायत करते हैं। हम अपने संबंधों, रिश्ते नातों, अपनी नौकरियों के बारे में अक्सर शिकायतें करते रहते हैं और इतना ही नहीं हमें अनुचित जीवन देने के लिए हम भगवान को भी दोष देते हैं।

अगर शांति पूर्ण जीवन जीना है तो हमें कृतज्ञ होना पड़ेगा।  आखिरकार धीरे-धीरे हमने महसूस करते हैं कि एक आभारी जीवन सही है, जबकि जीवन में किसी भी चीज की शिकायत हमें कभी भी कुछ नहीं देती है सिवाय अशांति के। सब कुछ के लिए आभारी होने से हमें खुशी मिलती है, हमें अपने जीवन में जो कुछ भी हो रहा है उसके लिए “कृतज्ञ” होना चाहिए और इसे देखने और महसूस करने के लिए हमें इस खूबसूरत आदत को विकसित करने की आवश्यकता है।

खुश रहने का मंत्र

जीवन में कुछ सरल चीजों का पालन करके हम सभी परिस्थितियों में खुश रहने की आदत डाल सकते है –

1. दूसरों से कम अपेक्षाएँ रखें, यानी किसी से भी कुछ भी उम्मीद न करें।  जो कुछ भी कोई आपके लिए करता है उसे सहृदय स्वीकार करें और आलोचना से बचें।

2. सदैव दूसरों की मदद करें या जो कुछ भी आप कर सकते हैं, जहां भी आप कर सकते हैं उसे पूरे निःस्वार्थ भाव से करने की पूरी कोशिश करें।

3. क्रोध, जलन, आक्रोश, अपराधबोध, ईर्ष्या, घृणा, आलोचना, असुरक्षा, बदला, अफसोस, असहायता, निराशा और भय जैसी नकारात्मक भावनाओं को दूर जाने देना चाहिए । ये सभी नकारात्मक भावनाएँ आपको उदास करती हैं और कई शारीरिक और मानसिक बीमारियों को जन्म देती हैं।

4. सोचने और चिंता करने में बहुत अधिक लिप्त न हों, इससे आप अस्वस्थ और उदास हो जाते हैं। किसी भी कार्य के लिए अधिक चिंता न करें बल्कि उस पर चिंतन करना चाहिए।

5. लंबे समय तक अतीत में नहीं रहना चाहिए क्योंकि यह अतीत के विचार हमें कहीं नहीं ले जाएगा और अतीत के विचारों को कुरेदना,  सिर्फ मन को चोट पहुंचाने का काम है।

6. परिवार और दोस्तों के साथ गहरा, मजबूत और सार्थक सहायता प्रणाली विकसित करना चाहिए।

7. ख़ुशी के हर पल का पूरी तरह से आनंद लेने के लिए अपने आप को समय देना चाहिए क्योंकि यह पल एक अद्भुत सुखद यादें बनाएगा और जब भी आप खुद को उदास महसूस करें तो इन पलों को याद करके आप स्वयं को खुश करने में मदद कर सकेंगे।

8. तुलनात्मक रवैया अपनाने से बचें। स्वयं की दूसरों के साथ तुलना न करें क्योकिं इससे हीनता या श्रेष्ठता पैदा होती है, और ये दोनों ही आपके शांति पूर्ण जीवन को प्रभावित करते हैं।

9. अपनी परिस्थितियों और लोगों के प्रति सही दृष्टिकोण की आदत बनाएं। हर परिस्थिति में स्वयं को एक सामान रखने की कोशिश करें।

10. हमेशा आपको जो भी आशीर्वाद स्वरूप प्राप्त हुआ है उस पर ध्यान दें और उसकी सराहना करें। आपके पास जो कुछ भी है उसके प्रति हमेशा आभारी रहें और जो आपके पास नहीं है उसके लिए शिकायत न करें। हमें वही मिलता है जिसके हम हकदार होते हैं न कि हम जो चाहते हैं।

11.आज को ऐसेजियो, ऐसे प्यार करो, ऐसे काम करो, ऐसेखेलो, ऐसे मदद करो, जैसे कि  सबकुछ बस आज ही है कल नहीं है।

12. वो करें जो आपको ख़ुशी देता हो जिसमे आपकी खुशियां निहित हो, लेकिन यहाँ एक बात बहुत महत्वपूर्ण है कि कहीं आपकी ख़ुशी दूसरों के लिए दुःख पैदा नहीं कर रही हों। इसलिए खुश रहो और खुशियाँ फैलाओ!

13. पूर्ण जीवन, उत्तम साथी, उत्तम संतान, उत्तम कार्य और पूर्ण परिस्थितियों के लिए अपनी खोज को रोक दें क्योंकि आप स्वयं भी पूर्ण नहीं हैं। दूसरों की अपूर्णता को पूर्ण करने के आपके विचार आपको सुख प्रदान करेंगे और ये सब तभी संभव है जब आप स्वयं के प्रति ईमानदार रहेंगे।

14. स्थितियों और लोगों को नियंत्रित करने की कोशिश हमेशा नहीं करनी चाहिए क्योंकि इससे आपके जीवन की शांति बिगड़ सकती है।

15. दूसरे लोगों के हाथों में अपनी खुशी का रिमोट कंट्रोल न दें, क्योंकि इससे आपका दुखी होना निश्चित है। दूसरो के दोषों के लिए लोगों को क्षमा करें और अपनी गलतियों के लिए क्षमा मांगने के लिए हमेशा तैयार रहें।

इसलिए अंत में अगर हमने खुश, हँसमुख,  प्रसन्न और संतुष्ट रहने का फैसला किया है, तो कोई भी हमें प्रसन्न रहने से रोक नहीं सकता है। और यह सब आप और केवल आप ही हैं जो अपने आपको खुश कर सकते हैं।

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