यह वक्त भी गुजर जायेगा
एक बार एक राजा युद्ध में विजयी हुए। राजा ने उस हसीन पल को अपनी प्रजा के मध्य गुजारने की सोची और प्रजा को उपहार देने की इच्छा व्यक्त की। राज दरबार लगाया गया और सभी प्रजा जनों को एकत्रित किया गया। राजा एक एक करके प्रजाजनों में वस्तुएं भेंट करने लगे। जिसकी बारी आती वह राजा के पास जाता अपना उपहार लेता और राजा की जय-जयकार करते हुए उनकी लम्बी उम्र और सदा सलामती की दुआयें देता, यह सब सुनकर राजा अत्यधिक प्रसन्न हो रहे थे। तभी भीड़ में से एक व्यक्ति आया, अगला नंबर उसी का था। राजा प्रसन्नता पूर्वक उसे भी वस्तु भेंट किये। उपहार लेने के बाद उस व्यक्ति ने राजा की जय-जयकार करने के बजाय कहा -यह वक्त भी गुजर जायेगा। राजा को यह बात अच्छी न लगी उन्हें क्रोध आ गया और उन्होंने उस व्यक्ति को कारागार में डालने का हुक्म दे दिया।
सैनिको ने उस व्यक्ति को पकड़कर कागार में डाल दिया। वह व्यक्ति बड़ा आश्चर्य चकित हुआ परन्तु उसे अपने कहे शब्दों पर कोई पछतावा नहीं था।
समय बीतता गया, राजा अपने महल में भोग विलास में व्यस्त थे। अचानक पडोसी देश के राजा ने इस राजा के राज्य पर आक्रमण कर दिया जिसमें राजा की हार हुई और इन्हें बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया गया।
कारागार में राजा बहुत दुखी और परेशान थे। फिर अचानक उन्हें उस व्यक्ति की कही हुई बात याद आई की “यह वक्त भी गुजर जायेगा”। राजा को थोड़ी तसल्ली हुई और वे उस पल को अपनाने लगे। कुछ समय पश्चात राजा के सैनिकों ने आक्रमण करके कारागार में बंद अपने राजा को मुक्त कराया। राजा अपने महल वापस आते ही सबसे पहले उस व्यक्ति से मिलने की इच्छा व्यक्त की, जिसे उन्होंने कारागार में डालने की सजा सुनाई थी।
उस व्यक्ति को राजा के सामने प्रस्तुत किया गया। राजा ने उस व्यक्ति से क्षमा माँगा, और ढेर सारे उपहार देकर अपने महल से बाइज्जत विदा किये।
तात्पर्य यह है अक्सर हम अपने जीवन में छोटी छोटी चीजों और घटनाओं से बड़ी जल्दी खुश हो जाते और बड़ी जल्दी घबरा भी जाते हैं। परन्तु सत्य यही है कि न वह ख़ुशी ज्यादा दिन तक रहती है और न ही वे दुःख -जिसके लिए हम अपनी किस्मत को कोसते रहते हैं। वास्तव में सत्य तो यही है की इस नश्वर संसार में कुछ भी स्थिर नहीं है। वक्त की सबसे बड़ी खाशियत यही की वक्त कैसा भी है साहब, यह वक्त भी गुजर जायेगा।