जो होता है अच्छे के लिए होता है 

akbar birbal stories in hindi

Akbar Birbal stories in hindi

जो होता है अच्छे के लिए होता है 

एक बार अकबर और बीरबल शिकार पर गए। उनके साथ उनके सिपाही एवं उनके हाथी घोड़े भी थे। जंगल में पहुँचकर उन्हें एक शिकार दिखा। अकबर ने तुरंत अपने म्यान से तलवार निकाली और शिकार की तरफ बढ़ चले। शिकार पर हमला करने ही वाले थे की शिकार निकल गया। अफशोस करते हुए अकबर ने अपनी तलवार म्यान में रखनी चाही इसी दौरान अकबर के बाएं हाथ की एक उँगली कट गयी और उसमें से खून बहने लगा।

अकबर ने अपने सिपाहियों से चिल्लारकर बैद्य को बुलाने के लिए कहा, परन्तु उस जंगल में बैद्य को इतनी जल्दी बुला पाना संभव नहीं था। इसी बीच बीरबल ने अपने राजा को ढांढस बधाते हुए कहा – महाराज घबराइये मत, “जो होता है अच्छे के लिए होता है”।

बीरबल की यह बात सुनकर अकबर बहुत क्रोधित हो गए। अकबर बीरबल पर चिल्लाते हुए बोले – बीरबल तुम पागल हो क्या, तुम्हें मेरी पीड़ा का कोई अनुमान नहीं है जो तुम ऐसा बोल रहे हो कि जो होता है अच्छे के लिए होता है।

क्रोधित होकर अकबर ने अपने सिपाहियों को यह हुक्म दिया की  बीरबल को ले जाकर कारागार में डाल दो। बीरबल को सिपाहियों के हवाले करके अकबर  अकेले ही शिकार के लिए जंगल में बढ़ चले।

शिकार की तलाश में वे जंगल के काफी अंदर चले गए। दिन ढल चुका था शाम हो चली थी, तभी अकबर को एक कबीले के झुंड ने पकड़ लिया और उन्हें बंदी बनाकर अपने सरदार के पास ले गए। । कबीले वालों को अपने देवता को बलि देने के लिए एक इंसान की आवश्यकता थी।

कबीले के सरदार ने अपने सिपाहियों को अकबर को बलि बेदी पर ले जाकर बलि देने का हुक्म दिया। सिपाही अकबर को बलि बेदी पर ले गए और जैसे ही बलि देने की तैयारी करने लगे उन्होंने देखा कि अकबर के बायें हाथ की एक उँगली कटी हुई थीं। उन्होंने बलि रोक दी क्योंकि वे कटे हुए अंग वाले व्यक्ति की बलि नहीं दे सकते थे उनका यह मानना था कि इससे उनकी बलि अशुद्ध हो जाती है और कुल देवता नाराज हो जाते हैं।  कबीले वालो ने अकबर को जिन्दा छोड़ दिया। अकबर अपने महल की तरफ बढ़ चले।

रास्ते में अकबर मन ही मन बीरबल की बातों को याद कर रहे थे कि बीरबल की बात सत्य थी की जो भी होता है अच्छे के लिए होता है। अगर मेरी उँगली न कटी होती तो आज मैं जीवित न बचता। अपने महल पहुंचकर  अकबर ने सबसे पहले बीरबल को कारागार से लिकालने का हुक्म दिया।

अक़बर ने बीरबल को ससम्मान सभा में आमंत्रित किया और उनसे अपनी भूल के लिए क्षमा मांगने लगे तभी बीरबल ने अकबर से कहा कि महाराज इसकी कोइस आवश्यकता नहीं है जो होता है अच्छे के लिए होता है। अकबर फिर क्रोधित होते हुए बोले बीरबल इसमें क्या अच्छी बात है, तुम तो कारगार में थे। बीरबल बोले – महाराज अच्छी बात यह है कि अच्छा हुआ कि आपने मुझे वापस भेज दिया था अगर न भेजते और मैं आपके साथ शिकार पर चला जाता तो कबीले वाले आपकी जगह मेरी बलि दे देते।  इसलिए जो होता है  जो होता है अच्छे के लिए होता है। 

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