बच्चे की जिद

Akbar Birbal ki Kahani, gyan hans

Akbar Birbal ki Kahani

अकबर के दरबार में बीरबल अक्सर देर से आते थे। कई बार तो दरबार का कार्यकाल भी शुरू हो जाता था तब बीरबल उपस्थित होते थे। बीरबल की रोज मर्रा के देर से आने की आदत अकबर को बहुत बुरी लगती थी।

एक दिन दरबार लग चुका था सभी सदस्य उपस्थित थे सिवाय वीरबल के। सब बीरबल के आने के इंतजार कर रहे थे। तभी बीरबल दरबार में आ गये। उन्हें देखकर अकबर ने बीरबल से कहा -बीरबल आजकल तुम अक्सर देर से आते हो, क्या इसका कारण बता सकते हो। बीरबल ने कहा महाराज मेरा एक छोटा पुत्र है वह बहुत जिद्दी है और उसी की वजह से मुझे देर हो जाती है।

कैसा बालक है वह, चलो मानता  हूँ की वह जिद्दी है तो जो उसे चाहिए वह उसे देदो, भला क्यों नहीं मानेगा -अकबर ने कहा। बीरबल ने कहा – महाराज मैं उसे हर वो चीज देता हूँ जो उसे चाहिए, मगर फिर भी किसी न किसी वजह से वह जिद करने लगता है, एक के बाद एक उसकी नई चीज के जिद शुरू हो जाती है। इसीलिए मैं देर से आ पाता हूँ।

अकबर ने कहा -बीरबल तुम्हें बालक को संभालना ही नहीं आता, इतने छोटे बच्चे की जिद अगर पूरी कर दो तो भला वह जिद ही क्यों करेगा। नहीं महराज मैं उसकी सारी मांग को पूरा करता हूँ-बीरबल ने कहा। अकबर ने कहा बीरबल मुझे तुम्हारी बातों पर विश्वास नहीं होता।

बीरबल को बच्चे की जिद को अकबर को समझाने की एक युक्ति सूझी। बीरबल ने कहा महाराज आपको मेरी बातों पर यकींन नहीं हो रहा है तो चलिए मैं बच्चा बनता हूँ और आप मेरी जिद को पूरा कीजिये। अगर आप मेरी जिद को पूरा कर देंगे तो मैं भी वही तरकीब अपने बच्चे के साथ अपनाउंगा और कल से कभी दरबार में देर से नहीं आऊंगा। अकबर ने कहा ठीक है हमें मंजूर है।

बीरबल एक बच्चे की तरह रोने लगे, अकबर ने कहा तुम्हे क्या चाहिए। बच्चे बने बिरबल ने कहा – मुझे हाथी चाहिए। अकबर ने कहा -ठीक है तुम चुप हो जाओ मैं तुम्हे हाथी लाकर देता हूँ। अकबर ने अपने सैनिको को आदेश दिया, सैनिको ने तुरंत शाही हाथी लाकर बीरबल के सामने पेश कर दिया।बच्चा बने बीरबल थोड़ी देर हाथी के साथ खेलते खेलते फिर से रोने लगे। अकबर ने कहा अब क्या चाहिए, क्यों रोते  हो। बीरबल ने कहा – मुझे एक मटका चाहिए। मटका ? अकबर ने तुरंत एक मटका मंगवाकर बीरबल को दे दिया।

बच्चा बने बीरबल थोड़ी देर तक मटके और शाही हाथी  के साथ खेलते रहे।  और खेलते खेलते फिर से रोने लगे। अकबर ने कहा -अब क्या हुआ, क्यों रोते हो, अब क्या चाहिए तुम्हें। बच्चा बने बीरबल ने कहा – कुछ नहीं चाहिए, बस इस हाथी को इस मटकें में डालो। यह सुनकर सब हैरान रह गए। अकबर ने कहा भला ये इतना बड़ा हाथी इस मटकें में कैसे जायेगा। अकबर के कई बार समझाने पर भी बच्चा बने  बीरबल अपनी जिद पर अड़े रहे।

अकबर परेशान हो गए। तब बीरबल ने कहा देखा महाराज, बच्चे ऐसे जिद करते हैं। वे बस जिद करते हैं उन्हें उसके होने न होने से कोई मतलब नहीं होता।

अकबर ने कहा -हम बच्चे की जिद को समझ गए बीरबल। अब तुम जब चाहो तब दरबार में आना तुम्हें कोई नहीं टोकेगा।

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