आज कह दिया फिर न कहना कभी मेरी नजरों से दूर न रहना कभी ख़ुशी बनकर लफ्जों पे आये हो तुम अश्क बनकर न आँखों से बहना कभी *** वो परिवार ही क्या जिसमें सब संग न हो वो मेहंदी क्या जिसमें प्यार का रंग न हो वो सपने ही क्या जिसें पाने की उमंग न हो वो जिंदगी ही क्या जिसमें आप संग न हो *** कितने भी दूर हो जाओ, हमसे न भाग पाओगे तुम जिंदगी के हर मोड़ पर हमें ही पाओगे तुम चाहे कितना भी हमको नजर अंदाज करलो अपनी नजरो के आगे हमें पाओगे तुम *** जुदाई आपकी रुलाती रहेगी याद आपकी हमें आती रहेगी जब तक जिस्म में है जान मेरी सांसे तेरी यारी निभाती रहेगी *** होंठ जो कह नहीं सकते फ़साना दिल का शायद नजरों से वो बात हो जाये इसी उम्मीद में करते है इंतज़ार रात का कि शायद सपनों में ही उनसे मुलाकात हो जाये
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