Thursday, November 13, 2025

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ज्ञानवर्धक लघु कहानियाँ | Hindi Kahaniyan

 

🌿ज्ञानवर्धक लघु कहानियाँ🌿

जीवन के हर मोड़ पर एक नई सीख छिपी होती है — बस उसे समझने की जरूरत होती है। यहाँ हम आपके लिए लेकर आए हैं 7 प्रेरणादायक और ज्ञानवर्धक Hindi Kahaniyan, जो न केवल आपका मनोरंजन करेंगी बल्कि आपको सोचने पर भी मजबूर कर देंगी।

इन शिक्षाप्रद लघु हिंदी कहानियों में आपको जीवन की छोटी-छोटी बातों से जुड़ी बड़ी सीखें मिलेंगी — कभी विश्वास की ताकत, कभी कर्म की महिमा, तो कभी सच्चाई और ईमानदारी का महत्व। यह सभी Hindi Kahaniyan बच्चों और बड़ों — दोनों के लिए समान रूप से रोचक और उपयोगी हैं।

तो आइए, पढ़ते हैं ये 7 खूबसूरत Hindi Kahaniyan, जो आपके मन को छू जाएँगी और आपको एक बेहतर इंसान बनने की प्रेरणा देंगी 🌸

1-एकता में शक्ति – शिक्षाप्रद लघु कहानी 🤝

hindi kahaniyan

Shikshaprad Laghu Hindi Kahaniyan

एक बार एक राजा ने अपने जन्मदिवस पर कुछ व्यक्तियों को उपहार भेंट करने की सोची। लेकिन राजा ने सिर्फ उनको ही दान देने की सोच रहे थे जिसके अंदर कुछ काबिलियत हो। वास्तव में राजा अपने जनो की आपसी समझ और एकता की परख करना चाहते थे। राजा के एक मंत्री ने राजा को एक उपाय सुझाया।

राजा ने मंत्री के मशवरे के मुताबिक दस फुट का बड़ा सा गढ्ढा खुदवा दिया। और उपहार लेने के एकत्रित हुए सारे ब्यक्तियों को कहा कि आप लोग इस गड्ढे में घुस जाइये। और जो भी इस गड्ढे से पहले बाहर निकलेगा, उसे पहला उपहार भेंट किया जायेगा।

एक एक करके सारे व्यक्ति गड्ढे में घुस गए। अब राजा ने उनको गड्ढे से बाहर आकर उपहार लेने के लिए कहा। राजा का यह आदेश सुनते ही सारे लोग  गड्ढे से बाहर निकलने की कोशिश करने लगे। गड्ढा दस फुट गहरा था इसलिए निकलना आसान नहीं था।

गड्ढे से बाहर निकलने की होड़ मची हुई थी। हर कोई अपनी पूरी कोशिश कर रहा था उस गड्ढे से बाहर निकलने की। हर व्यक्ति उपहार पाना चाहता था। जो भी व्यक्ति उस से बाहर निकलने की कोशिश करता, दूसरा उसके पैर पकड़ कर नीचे खींच लेता। जब भी कोई दूसरा बाहर निकलने की कोशिश करता तीसरा उसका पैर पकड़ के खींच लेता। क्योंकि कोई यह नहीं चाहता था, कि कोई और पहला उपहार प्राप्त करे। इस प्रकार खींचा-खींची में कोई कोई भी व्यक्ति उस गड्ढे से बाहर नहीं निकल पाया।

राजा ने सैनिको को आदेश देकर सबको बाहर निकलवाया। उन सबको फटकारते हुए राजा ने कहा -अगर तुम लोग चाहते तो एक दूसरे की मदद करके एक-एक करके सारे लोग उस गड्ढे से बाहर निकल सकते थे। परन्तु तुम लोगों में जरा सी भी एकता और सहमति नहीं है। कहीं कोई और हमसे पहले उपहार न पा जाये, इसके चक्कर में तुम सबने अपने अपने हिस्से में मिलने वाले उपहार को भी गवां दिया।इसलिए तुम्हें कोई भी उपहार नहीं दिया जाएगा, चले जाओ यहाँ से।

🌿कहानी से सीख (Moral of the Story):

  • एकता में अपार शक्ति होती है  – अगर लोग मिलकर काम करें, तो कोई भी मुश्किल आसान बन सकती है।
  • ईर्ष्या और स्वार्थ सफलता की दुश्मन हैं  – दूसरों को गिराने की बजाय सहयोग करें।
  • सहयोग से ही प्रगति संभव है  – जब सभी मिलकर आगे बढ़ते हैं, तभी सच्ची जीत होती है।

 

ज्ञानवर्धक लघु कहानियाँ

 2-उम्मीद और वास्तविकता – शिक्षाप्रद लघु कहानी 💭

Shikshaprad Laghu Hindi Kahaniyan

एक नगर में एक साहूकार रहता था। वह सम्पन्न और बेहद चतुर था। एक बार उस नगर में एक गवैया आया। वह साहूकार के घर के पास ही  बैठ गया और गाना गाने लगा। उसे सुनकर नगर के बहुत से लोग उसे सुनने के लिए वहाँ एकत्रित हो गए। साहूकार भी वहां आ गया। गाना बजाना बहुत देर तक चलता रहा।

गाना सुनकर सब बहुत प्रशन्न हुए और इनाम के तौर पर जिसके पास जो भी था थोड़े बहुत पैसे, अनाज उसे देने लगे। साहूकार भी गाना सुनकर बहुत प्रशन्न हुआ। साहूकार तालियां बजाने लगा और बोला तुम्हारे गीत बहुत सुन्दर और कर्णप्रिय थे। हम बहुत खुश हैं। यह सुनकर गाना गाने वाला मन ही मन यह सोच रहा था कि साहूकार इतनी तारीफ कर रहा है तो बड़ा इनाम भी देगा।

साहूकार चुपचाप बैठा रहा, तो गवैये से रहा नहीं गया वह बोल पड़ा -साहूकार जी आपको मेरा गाना बहुत प्रसंद आया और आपने तारीफ भी की तो कुछ बड़ी बख्शीस भी दे दीजिये। साहूकार ने कहा -कल आना, कल मैं तुम्हें ढेर सारी मुद्रायें और वस्तुयें दूंगा।  गवैया बहुत खुश हुआ और धन्यवाद करते हुए चला गया।

अगले दिन गवैया साहूकार के पास आया और इनाम के लिए कहने लगा। साहूकार ने कहा कैसा इनाम, किसका इनाम ? गवैया ने कहा -कल आप मेरा गाना सुनने के बाद बहुत खुश हुए थे और आज मुझे ढेर सारी मुद्रायें और वस्तुयें इनाम में देने के लिए बुलाये थे। साहूकार ने कहा -पर क्या तुमने मुझे कुछ दिया था, कोई वस्तु या धन ? नहीं, मैंने तो आपको गाना सुनाया था जिससे आप बहुत प्रसन्न हुए थे -गवैये ने जबाब दिया।

साहूकार ने कहा -जब तुमने मुझे कुछ दिया नहीं सिर्फ कुछ सुनाकर खुश किया तो मैंने भी तुम्हें इनाम की बात कहकर खुश कर दिया, हिसाब बराबर, अब मैं तुम्हें धन क्यों दूँ। साहूकार की बात सुनकर गवैया बहुत नाखुश हुआ और बुदबुदाते हुए वहाँ से चला गया।

🌿कहानी से सीख (Moral of the Story):

  • अत्यधिक उम्मीदें दुख का कारण बनती हैं।
  • जो कार्य हम करते हैं, उसका प्रतिफल हमेशा हमारी इच्छा के अनुसार नहीं होता।
  • सच्ची संतुष्टि बिना स्वार्थ के कार्य करने में है।

 

ज्ञानवर्धक लघु कहानियाँ

3-नमक रोटी की ताकत – शिक्षाप्रद लघु कहानी 🧂

Shikshaprad Laghu Hindi Kahaniyan

एक नगर में एक राजा राज करते थे। उनके पास एक हाथी था। राजा का महावत हाथी को रोज तालाब में नहलाने के लिए ले जाता था। उसी तालाब में एक छोटा बालक नहाने आता था।

हाथी जब तालाब में नहाता रहता तभी वह लड़का जाता और हाथी की पूंछ पकड़ कर उसे तालाब से बाहर खींच लाता। यह रोज की कहानी बन गईं थी। महावत बड़ा आश्चर्य चकित होता कि यह छोटा सा लड़का ऐसा कैसे करता है। एक दिन महावत ने इस बात की सूचना राजा दी। राजा बड़े हैरान हुए एक छोटा सा बालक इतने बड़े हाथी को खींच कर तलबा के किनारे कैसे ला सकता है।

राजा ने  आदेश दिया कि जाकर पता लगाओ, वह बालक खाता क्या है? और वह कहाँ रहता है। सैनिक ने राजा की आज्ञा के अनुसार उस बालक के बारे में सारी जानकारी हासिल करके राजा के पास जा पहुंचा।

सैनिक ने राजा को बताया कि -वह बालक तालाब के दूसरे छोर पर बसे गांव में अपनी बूढी माँ के साथ एक झोपड़े में रहता है, और नित्य स्नान के लिए उसी तालाब में आता है जिसमें शाही हाथी स्नान करने के लिए जाता है। उसकी माँ उसे खिलाती क्या है-राजा ने सैनिक से पूछा। सैनिक ने जबाब दिया- नमक रोटी। नमक रोटी, सिर्फ नामक रोटी खाने से उस बालक में इतनी ताकत है कि वह इतने बड़े हाथी को तालाब से बाहर खींच लाता है-राजा ने कहा।

सैनिक ने कहा जी महाराज यही सत्य है वह बालक सिर्फ नमक रोती ही खाता है। क्या नमक में इतनी ताकत होती है राजा ने कहा। जी महाराज नमक में बहुत ताकत होती है-सैनिक ने जबाब दिया। सैनिक की बात सुनकर राजा को हंसी आ गयी, कि क्या वाकई में नमक में इतनी ताकत होती है। राजा ने सैनिक से कहा -अगर नमक में इतनी ताकत होती है तो उसकी माँ से कहो आज से वह उस बालक को सिर्फ रोटी खिलाएगी, नमक नहीं, देखते है इसका क्या परिणाम होता है। सैनिक ने वैसा ही किया जैसा राजा का आदेश था। अब वह बालक बिना नमक के रोटी खाने लगा।

अगले दिन से जब भी वह बालक तालाब में हाथी को खींचने की कोशिश करता, तो वह हाथी को खींच नहीं पाता, बल्कि हाथी उसे खींचकर तालाब के बीचो बीच लेकर  चला जाता। महावत ने इस बात की सूचना राजा को दी। राजा प्रशन्न हुए उनकी यह युक्ति काम कर गयी। और वे इस बात को भी समझ चुके थे की वाकई नमक में बहुत ताकत होती है।

🌿कहानी से सीख (Moral of the Story):

  • प्रसन्न मन से खाया गया साधारण भोजन भी शरीर को बल देता है।
  • संतोष और मन की खुशी ही असली ताकत है।
  • अगर मन में कृतज्ञता हो, तो सादा जीवन भी सुखद बन जाता है।

 

ज्ञानवर्धक लघु कहानियाँ

4-विश्वास की ताकत – रेगिस्तान की शिक्षाप्रद लघु कहानी 🏜️

Shikshaprad Laghu Hindi Kahaniyan

रेगिस्तान में दूर दूर तक पानी का कोई ठिकाना नहीं था। न ही कोई तालाब था और न ही कोई कुआँ। वहां से गुजरने वाले पथिक प्यास के मारे तड़पने लगते थे। रेगिस्तान बहुत दूर तक फैला था, ऊपर से कड़ी धूप।  रेगिस्तान के बीचो बीच एक नल लगा हुआ था और नल के पास एक बड़े से लोटे में पानी भरकर एक पत्थर के ऊपर रखा हुआ था और साथ में जिस पत्थर पर वह लोटा रखा हुआ था उसपर लिखा हुआ था ‘इस लोटे का पानी नल में डालें और नल को चलायें, नल से जो पानी निकलेगा,  पीने के बाद, लोटे में भरकर रख दें”।

उस रास्ते से एक पथिक गुजरा, अपनी प्यास बुझाने के लिए वह उस नल के पास गया और सूखे नल को चलाने की कोशिश करने लगा। कई बार कोशिश करने के बावजूद भी नल से पानी नहीं निकला, तो वह बहुत उदास हो गया, मगर पास में रखे भरे हुए लोटे के पानी को देखकर मन में थोड़ी उम्मीद जगी, उसकी प्यास और भी बढ़ गई,परन्तु रेगिस्तान की कड़ी धूप में वह पानी इतना गरम था की उसे पीना तो दूर, छूना भी दुस्वार था। पथिक प्यासा ही अपने राह चल पड़ा। और ऐसा ही वहां से गुजरने वाले सभी लोगों के साथ हो रहा रहा। परन्तु आश्चर्य की बात यह थी कि लोग उस पत्थर पर लिखी हुई बातों को पढते ही नहीं थे। जो पढ़ते भी थे वे उस पर यकीन नहीं करते थे, और प्यासे ही अपनी राह चले जाते थे।

तभी एक पथिक वहां से गुजरा। कड़ी धूप के कारण प्यास बहुत जोर की लगी थी। वह पथिक नल के पास गया और देखा नल तो बहुत सूखा था, उसने नल को चलाकर पानी निकालने की कोशिश परन्तु पानी नहीं निकला। फिर उसने देखा की एक लोटे में पानी भरकर रखा हुआ है, लोटे के पानी से अपनी प्यास बुझानी चाही परन्तु पानी बहुत गरम था उसे पिया नहीं जा सकता था। उसने देखा कि पत्थर पर कुछ लिखा हुआ है। उसने उस पत्थर पर लिखी हुई बातों को पढ़ा। पढ़ने के बाद वह उस लोटे के पानी को उस नल में डालकर चलाने लगा। उसी ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा, नल से पानी निकलने लगा।

पानी पीकर उस पथिक ने अपनी प्यास बुझाई और लोटे को भरकर वापस उसी स्थान पर रख दिया। और जाते जाते उसने बगल में पड़े हुए ईंट के टुकड़े से उस पत्थर पर लिखी हुई बातों के नीचे एक वाक्य और जोड़ दिया -” यकीन मानिए ऐसा सच में होता है ”

शिक्षा  – इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि हमें चीजों और परिस्थितियों पर विश्वास करना चाहिए। कई बार हम विश्वास न करके संदेह की स्थिति में उन चीजों और अवसरों को गवां देते है जिसे हम हासिल कर सकते थे। परन्तु कभी भी विश्वास आँखें बंद करके नहीं करना चाहिए।

🌿कहानी से सीख (Moral of the Story):

  • विश्वास वह ताकत है जो असंभव को संभव बना देती है।
  • अगर हम भरोसे से कदम बढ़ाएँ, तो राहें खुद बन जाती हैं।
  • परंतु आँख मूँदकर नहीं, विवेक के साथ किया गया विश्वास ही सच्चा विश्वास है।

 

ज्ञानवर्धक लघु कहानियाँ 

 5-काबिलियत की पहचान 🦁🐒– शिक्षाप्रद लघु कहानी 

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एक बार एक जंगल में मुखिया का चुनाव होना था। जंगल के कई जानवरों ने मिलकर बंदर को भी उस चुनाव में खड़ा कर दिया। बंदर को चुनाव में शेर के खिलाफ खड़ा किया गया था। जानवर बंदर को मुखिया इस लिए बनाना चाहते थे क्योंकि छोटे जानवर शेर के पास जाने से डरते थे। इसलिए वे चाहते थे की मुखिया बंदर ही बने ताकि किसी भी जरुरत के वक्त बंदर से मिलने में और मदद लेने में सोचना नहीं पड़ेगा।

मतदान हो गया। बंदर को शेर से ज्यादा वोट मिले, क्योंकि जंगल के सभी छोटे जानवरों ने बंदर के पक्ष में मतदान किया था। बंदर को मुखिया की कुर्सी पर बैठा दिया गया। सब बहुत प्रशन्न थे, शेर ने भी बंदर को उसके जीत की बधाई दी।

एक दिन जांगले में एक भेड़िये ने एक बकरी को बच्चे को दबोच लिया। बकरी चिल्लाने लगी और बंदर से मदद की गुहार लगाने लगी। बंदर बकरी की बात सुनकर तुरंत मेमने को बचाने के लिए आ गया। भेड़िये को देखकर बंदर इस डाल से उस डाल पर, उस डाल से इस डाल पर उछलता रहा, और कुछ नहीं कर पाया क्योंकि बंदर को भेड़िये से जीतना आसान नहीं था। बंदर डाल से डाल पर उछलता कूदता रह गया तब तक भेड़िये ने बकरी के बच्चे को मार डाला और लेकर जंगल में दूर भाग गया।

बकरी चीखती रही और बंदर से बोली तुम मुखिया होकर भी मेरे बच्चे को बचा नहीं पाए। तुम्हारे मुखिया होने का क्या फायदा। बंदर ने कहा – बकरी बहन जो होना था सो हो गया, तुम्हारे कहते ही मैं दौड़ कर आ गया और तुम्हारे बच्चे को बचाने की कोशिश करने लगा। अगर मेरे भाग दौड़ में कोई कमीं रह गयी हो तो बताओ। बकरी बिचारी भला क्या करती, रोती हुई अपनी किस्मत को कोसते हुए अपने घर चली गई।

शिक्षा हमें इस कहानी से यह शिक्षा मिलती है की हम जिसका भी चुनाव करें हमेशा उसकी काबिलियत देखकर करें न कि किसी पक्षपात की वजह से। इस कहानी में अगर मुखिया शेर होता तो वह बकरी के बच्चे को भेड़िये के मुंह से बड़े आराम से बचा लेता। क्योकिं शेर में वह काबिलियत होती है।

🌿कहानी से सीख (Moral of the Story):

  • चुनाव हमेशा काबिलियत देखकर करना चाहिए, न कि डर या पक्षपात से।
  • नेतृत्व उन्हीं के हाथों में सुरक्षित होता है, जिनमें जिम्मेदारी निभाने की ताकत हो।
  • भावनाओं में बहकर गलत निर्णय न लें, वरना नुकसान सबका होता है।

अगर मुखिया शेर होता, तो वह अपनी ताकत से बकरी के बच्चे को बचा सकता था।
काबिलियत ही असली पहचान है।

ज्ञानवर्धक लघु कहानियाँ

6-लोग क्या कहेंगे 🫏– शिक्षाप्रद लघु कहानी

Shikshaprad Laghu Hindi Kahaniyan

एक बार एक धोबी अपनी पत्नी और अपने गधे के साथ पैदल जा रहा था। जाते जाते रास्ते में एक गांव पड़ा। धोबी अपनी पत्नी और गधे के साथ उस गांव से होकर जाने लगा। उन्हें देखकर गांव वाले आपस में कहने लगे कि यह कैसा आदमी है इसके पास एक गधा है फिर भी यह अपनी पत्नी को पैदल लेकर जा रहा है ये नहीं कि अपनी पत्नी को गधे पर बैठा दे, बेचारी कितनी थक गयी होगी। यह सुनकर धोबी ने अपनी पत्नी को गधे पर बैठा लिया और खुद पैदल आगे चलने लगा।

जाते हुए रास्ते में फिर एक गांव पड़ा, धोबी सबके साथ उस गांव से गुजरने लगा। उसकी पत्नी को गधे पर बैठी और धोबी को पैदल चलते देख गांव के लोग आपस में बोलने लगे अरे ये कैसी बेशरम औरत है पति पैदल चल रहा है और ये गधे पर बैठ कर चल रही है। इसको शर्म नहीं आ रही है। ये नहीं की अपने पति को गधे पर बैठने दे और खुद पैदल चले। यह सुनकर धोबी की पत्नी गधे से उतर गई और धोबी को गधे पर बैठने के लिया कहा। धोबी गधे पर बैठ गया और उसकी पत्नी पैदल चलने लगी।

आगे जाकर फिर एक गांव पड़ा। वे उस गांव में से होकर जाने लगे। उस गांव  के लोग गधे पर बैठे धोबी को देखकर आपस में बाते करने लगे, अरे ये कैसा आदमी है इसकोअपनी पत्नी पर जरा भी दया नहीं आती। खुद तो गधे पर बैठा हुआ है और उस बेचारी को पैदल लेकर जा रहा है। सच में भैया औरत की कोई कीमत ही नहीं है, आखिर गधा इतना हट्टा कट्टा है चाहे तो दोनों इस गधे पर बैठ कर जा सकते है। यह सुनकर धोबी ने अपनी पत्नी को भी गधे पर बैठा लिया। दोनों गधे पर बैठ कर आगे चल दिए।

चलते हुए रास्ते में फिर एक गांव पड़ा। वे वहां से गुजरने लगे। गांव वालों ने गधे पर बैठे पति पत्नी को देखा तो आपस में कहने लगे अरे ये कैसा इंसान है। बेचारे जानवर पर इनको जरा भी दया नहीं आ रही है। दोनों आखिर सही सलामत है चाहें तो पैदल जा सकते हैं, फिर भी देखो कैसे दोनों गधे पर बैठ कर जा रहें हैं। इनके अंदर दया नाम की तो कोई चीज ही नहीं है। यह तो जानवर के साथ बड़ा ही जुर्म है।  यह सुनकर धोबी ने अपनी पत्नी को गधे से उतारा और खुद उतर कर दोनों गधे को लेकर पैदल चल पड़े।

शिक्षा “कुछ तो लोग कहेंगे , लोगों का काम है कहना” यह एक चित्रपट का बहुत ही मशहूर गीत है। और यह सत्य भी है कि आप कुछ अच्छा करें या ख़राब करें, लोग कुछ न कुछ जरूर कहेंगे। इसलिए लोगों के कहने की फ़िक्र को छोड़कर अपने कार्य पर देना चाहिए, जो आपके लिए सही और जरुरी है,क्योंकि अपनी स्थिति परिस्थिति को आप बेहतर जानते हैं न की लोग। और अक्सर ऐसा कई बार होता है की हम बहुत से कार्य को इसलिए छोड़ देते है या उनके करने के तरीको में बदलाव करते हैं यह सोचकर की लोग क्या कहेंगे।  इसलिए जो आपके लिए उपयुक्त हो उस कार्य को अवश्य करें, लोगों के कहने से कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता, बशर्ते वह कार्य सही हो और उससे किसी का कोई नुकसान न हो।

🌿कहानी से शिक्षा (Moral of the Story):

“कुछ तो लोग कहेंगे, लोगों का काम है कहना।”

  • लोग हमेशा कुछ न कुछ कहेंगे, चाहे आप अच्छा करें या बुरा।
  • दूसरों की राय के पीछे भागने से बेहतर है अपने विवेक से काम करना।
  • अपने हालात और जरूरतों को आप सबसे बेहतर जानते हैं।
  • अगर आपका कार्य सही है और किसी को नुकसान नहीं पहुँचाता, तो दुनिया की बातों पर ध्यान न दें।

✨ “लोगों के कहने से नहीं, अपने सही निर्णय से चलना ही सच्ची समझदारी है।”

 

ज्ञानवर्धक लघु कहानियाँ

7-🌾छज्जू किसान और चालाक नाई – शिक्षाप्रद लघु कहानी

Shikshaprad Laghu Hindi Kahaniyan

छज्जू किसान के घर के बगल में एक नाई का घर था। नाई बहुत ही चालाक था, और नक़ल करने में भी बहुत तेज था। छज्जू जिस चीज की खेती करता नाई उसकी नक़ल कर लेता था। छज्जू को जिस भी फसल की बुवाई करनी होती थी उसके बारे पूरी तैयारी करता था कि खेत की जुताई कब करनी है, बीज कहाँ से ख़रीदें, कितनी मात्रा में उर्बरक मिलाने हैं इत्यादि। नाई का घर छज्जू के घर के बिल्कुल बगल में था इसलिए छज्जू जब भी खेती की जुताई बुवाई, बीज के बारें में अपनी पत्नी से चर्चा करता, नाई छज्जू की सारी बाते चुपके चुपके सुन लेता और छज्जू से पहले ही नाई सारी तैयारी कर लेता और फसल की बुवाई भी छज्जू किसान से पहले कर लेता।

बारिस हो चुकी थी, छज्जू खेत की बुवाई के बारे में अपनी पत्नी के साथ चर्चा कर रहा था। नाई चुपके चुपके उनकी सारी बातें सुन रहा था। सुबह नाई छज्जू से पहले ही बाजार से बीज लेकर आ गया और बुवाई शुरू कर दी। छज्जू उसे देखकर हैरान रह गया और सोचने लगा कि नाई तो बहुत ही तेज है वह हमसे पहले ही सारी तैयारी कर लेता है, हम तो आपस में मशवरा ही करते रह जाते हैं।

फसल बड़ी होने लगी। नाई की फसल छज्जू से ज्यादा अच्छी थी। छज्जू यह सब देखकर हैरान रह गया। वह यह सोचता था कि आखिर जो फसल मैं बोना चाहता हूँ वही फसल नाई कैसे बोता है और वही बीज भी बाजार से लेकर आता है जो मैं लेना चाहता हूँ। फसल फक गई। नाई की फसल की पैदावार छज्जू की फसल से ज्यादा थी । परन्तु अब छज्जू यह समझ चुका था की नाई चुपके चुपके उनकी बाते सुनता है।

इस बार चने की बुवाई होनी थी। छज्जू अपनी पत्नी के साथ हर बार की तरह चर्चा कर रहा था। तभी हर बार की तरह नाई फिर से उनकी बातें दीवार के पास दुबक कर सुनने लगा। छज्जू को इस बात का एहसास हो गया कि नाई हर बार की तरह उनकी बातें सुन रहा है। फिर क्या था छज्जू इस बार नाई को सबक सिखाना चाहता था। छज्जू अपनी पत्नी को इशारे में चुप रहने के लिए कहा, और जोर जोर से बोलने लगा कि- कल चने की बुवाई करनी है तुम आज रात को ही चने को उबाल देना इससे चना अच्छा उगेगा और हमारी फसल बहुत ही अच्छी होगी। नाई उनकी बात सुनकर झटपट अपनी पत्नी को चने उबालने के लिए बोला ताकि उसकी फसल हर बार की तरह इस बार भी अच्छी हो।

सुबह हुई, छज्जू कच्चे चने को खेत में लेकर गया और बुवाई शुरू कर दी। इधर नाई पके हुए चने को खेत में ले जाकर बुवाई करने लगा। कुछ दिनों बाद छज्जू किसान की फसल तो उग गई परन्तु ने के खेत में चने का एक भी पौधा नहीं उगा। क्योंकि पके हुए चने में कभी अंकुर नहीं निकलता है। नाई अपने खेत के मेड़ पर सर पकड़ कर बैठ गया और छज्जू के खेत की फसल देखकर अपनी गलती पर पछताने लगा।

शिक्षा -इस कहानी से हमें या शिक्षा मिलती है की हमें कभी भी आँखे बंद करके किसी की नकल नहीं करनी चाहिए। अगर नकल की जरूरत पड़ी तो हमेशा अपने विवेक का पूरा उपयोग करना चाहिए। नहीं तो कई बार नक़ल के चक्कर में भारी नुकसान उठाना पास सकता है।

🌿कहानी से शिक्षा (Moral of the Story):

  • बिना समझे किसी की अंधी नकल कभी नहीं करनी चाहिए।
  • हमेशा अपने विवेक और समझ से काम लेना चाहिए।
  • जो व्यक्ति हर बार दूसरों की नकल करता है, वह कभी आगे नहीं बढ़ सकता।

🌾 “नकल तभी करो जब अक़्ल साथ हो, वरना पछताना तय है।”

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आशा है कि आपको ये सातों Hindi Kahaniyan पसंद आई होंगी। हर कहानी ने कहीं न कहीं दिल को छुआ होगा और जीवन के किसी पहलू पर सोचने के लिए प्रेरित किया होगा। इन्हीं छोटी-छोटी कहानियों में छिपे हैं बड़े-बड़े जीवन के सत्य — जो हमें सिखाते हैं कि अच्छाई, सच्चाई और विश्वास ही जीवन की सबसे बड़ी ताकत हैं।

अगर आपको ये ज्ञानवर्धक लघु Hindi Kahaniyan अच्छी लगीं, तो इन्हें अपने दोस्तों, परिवार और बच्चों के साथ ज़रूर साझा करें, क्योंकि कहानी तब ही सार्थक होती है जब वह किसी और के चेहरे पर मुस्कान और मन में प्रेरणा छोड़ जाए

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