सौ चोटें 

Motivational story in Hindi, gyan hans

 Motivational story in Hindi

एक बार एक प्रतापी  राजा के राज्य में खुदाई से एक बेशकीमती पत्थर प्राप्त हुआ। राजा ने उस पत्थर से एक मूर्ति का निर्माण कर महल में लगवाने की इच्छा व्यक्त की।

मंत्री ने राजा के मतानुसार राज्य के सर्वश्रेष्ट मूर्तिकार को वह पत्थर दिखाया और बोला कि इससे एक सुन्दर सी मूर्ति का निर्माण करना है। इसके लिए तुम्हें ढेर सारी स्वर्ण मुद्रायें इनाम में दी जाएगी।

मूर्तिकार मूर्ति बनाने के लिए पत्थर पर हथौड़े से चोट करने लगा। पत्थर सख्त था। हथौड़े के चोट से पत्थर टस से मस नहीं हो रहा था। मूर्तिकार पत्थर पर हथौड़े से चोट पर चोट किये जा रहा था। चोट का पत्थर पर कोई असर ही नहीं पड़ रहा था।

मूर्तिकार ने उस पत्थर पर सौ बार हथौड़े से चोट किया। परन्तु पत्थर को टूटना तो दूर उस पर कोई असर नहीं दिखाई दिया। मूर्तिकार हार मान चुका था। वह एक और चोट करने के लिए हथौड़ा उठाया परन्तु चोट नहीं किया। उसने यह मान लिया था कि यह पत्थर नहीं टूटेगा।

मूर्तिकार हार मानकर मंत्री के पास गया और सारी बात बताई। मूर्तिकार ने मंत्री से कहा की इस पत्थर से मूर्ति बनाना मेरे लिए संभव नहीं है। इसलिए मुझे क्षमा करें।

मंत्री उस पत्थर को लेकर राज्य के एक साधारण मूर्तिकार के पास गया। और उस पत्थर से एक सुन्दर मूर्ति बनाने के लिए कहा। और बदले में ढेर सारी स्वर्ण मुद्रायें देने के लिए कहा।

उस मूर्तिकार ने पत्थर को रखवा लिया और मंत्री से कहा कि मैं इस पत्थर से मूर्ति बनाने के लिए अपनी पूरी कोशिश करूँगा। मंत्री पत्थर वहीँ रखकर वहां से चले गए।

उस मूर्तिकार ने हथौड़े से पत्थर पर जैसे ही चोट किया। वह पत्थर पहली ही चोट में टूट गया। जो पत्थर सौ चोटे लगने के बाद भी नहीं टूटा था वह एक ही  चोट में कैसे टूट गया। ऐसा नहीं की उस साधारण से मूर्तिकार ने किसी अलग तरीके से उस पत्थर पर चोट किया था।  बल्कि वह पत्थर एक ही चोट में इसलिए टूट गया क्योंकि “वह पहले ही सौ चोटे सह चुका था”।

उस पहले वाले मूर्तिकार ने अगर सौ चोटों के बाद भी हार नहीं माना होता और एक और चोट करता तो पत्थर वही टूट जाता। परन्तु सौ चोटे मारने के बाद उस मूर्तिकार ने यह मान लिया था कि पत्थर टूटेगा ही नहीं। इसलिए उसने आगे कोशिश करने के बारे में सोचा ही नहीं।

इस साधारण मूर्तिकार ने उस पत्थर से एक सुन्दर मूर्ति बनाई। राजा के महल में उस सुन्दर मूर्ति को स्थापित कर दिया गया। बदले में इस मूर्तिकार को ढेर सारी स्वर्ण मुद्रायें राजा ने इनाम के रुप में दिया।

शिक्षा – जीवन में अक्सर कुछ बार प्रयास करने के बाद अगर हमें सफलता नहीं मिलती तो हम हार मान लेते है। और यह सोचते हैं की यह कार्य अब हमसे हो ही नहीं सकता। परन्तु ऐसा नहीं है। कोशिश करना कभी भी छोड़ना नहीं चाहिए। हो सकता है आपका अगला प्रयास आपको सफलता तक पहुंचा दे। अगर आप प्रयासरत रहते हैं तो सफलता कभी न कभी अवश्य मिलती है।

 

उम्मीद है कि आपको यह प्रेरणादायक कहानी पसंद आयी होगी

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