चतुर सियार – पंचतंत्र की कहानी
बहुत समय पहले की बात है एक जंगल में एक सियार रहता था वह बहुत चतुर था। एक दिन वह शिकार की तलाश में जंगल में भटक रहा था। वह बहुत भूखा था। तभी अचानक उसकी नजर एक मरे हुए हाथी पर पड़ी। मरे हुए हाथी को देखकर सियार बहुत खुश हुआ, उसने सोचा कि वह बहुत खुशकिस्मत है कि उसे इतना खाना बड़ी आसानी से मिल गया, अब वह इसे कई दिनों तक खाएगा।
सियार ने उसे खाने के लिए हाथी की खाल में अपने दांत गड़ाने की बहुत कोशिश की, लेकिन हाथी की खाल बहुत मोटी थी, इसलिए वह उसकी खाल नहीं निकाल सका। तभी अचानक वहां एक शेर आ गया। शेर को आता देख सियार पहले तो डर गया फिर शेर को प्रणाम करके सियार ने कहा – “आइए महाराज! मैं बहुत दिनों से आपके लिए इस मरे हुए हाथी की रखवाली कर रहा हूं, आप अपना भोजन स्वीकार करें।”
सियार की बात सुनकर शेर बोला – ” सियार ! मैं अपने शिकार को खुद मारता हूँ और दूसरों के शिकार को नहीं खाता। इस मरे हुए हाथी को मेरी तरफ से उपहार समझकर खुद खाओ।”
शेर के जाते ही सियार ने मरे हुए हाथी को खाने की कोशिश की थी तभी वहां एक बाघ आ गया। सियार ने सोचा कि जैसे ही मैंने एक समस्या यहाँ से हटाई, यह दूसरी समस्या आ गई।
चतुर सियार की कहानी
बाघ को भगाने के लिए मुझे भेदभाव की नीति अपनानी होगी। सियार बाघ के पास गया और बोला – “बाग भाई साब। इस हाथी को एक शेर ने मार डाला है और अब नदी में नहाने गया है। उसने मुझे इस हाथी की रखवाली के लिए यहाँ छोड़ दिया है और मुझसे कहा है कि अगर कोई जानवर हो तो उसे सूचित करना।” यहाँ आने और अपने शिकार को खाने की कोशिश करता है।
सियार की बात सुनकर बाघ सोचने लगा कि शिकार के पीछे शेर से दुश्मनी करना अच्छी बात नहीं है। मैं यहां से जा रहा था, मेरा पेट पहले ही भर चुका है। मेरा इस हाथी से कोई लेना-देना नहीं है। मैं अभी अपने रास्ते जा रहा हूँ अगर शेर आ जाए तो उसे नमस्ते कहना। ,
यह कहकर बाघ भी वहां से चला गया। कुछ ही देर में उस जगह पर एक चीता आ गया। सियार ने सोचा कि चीते के दांत बहुत नुकीले हैं, क्यों न यह चीता हाथी की खाल निकलवा दे। जैसे ही चीता मरे हुए हाथी के पास आया, सियार ने कहा – “भाई चीता! तुम बहुत भूखे लग रहे हो। शेर ने इस हाथी का शिकार किया है और मुझे इसकी देखभाल में छोड़ दिया है। जब तक वह नहीं आता, तब तक तुम खाकर अपनी भूख मिटा सकते हो।
चतुर लोमड़ी की कहानी, चतुर लोमड़ी की कहानी, लोमड़ी, शेर, बाघ और बिल्ली की कहानी
चतुर सियार की कहानी
शेर का नाम सुनकर चीता उदास हो गया। चीता बोला – “क्या बात कर रहे हो सियार भाई। शेर ने इस हाथी का शिकार किया है, अगर मैं इसे खाऊंगा तो शेर मेरा भी शिकार करेगा।
सियार ने कहा – “अरे नहीं, शेर अभी नहाने गया है, उसके आने में अभी बहुत समय है।” वैसे भी मैं यहां पहरा दे रहा हूं, जैसे ही शेर आएगा, मैं तुम्हें बुला लूंगा, तुम यहां से तुरंत भाग जाओ।
सियार की बात मानकर चीता हाथी को खाने लगा। जैसे ही चीते ने एक-दो जगह से हाथी की खाल उतारी, सियार चिल्लाया- “भागो, भागो, शेर आ रहा है।”
सियार की आवाज सुनकर चीता वहां से नौ-दो-ग्यारह हो गया। अब सियार कटे हुए स्थान से मरे हुए हाथी का मांस खाने लगा। चतुर गीदड़ ने मरे हुए हाथी को खुशी-खुशी खा लिया और कई दिनों तक उसका पेट भरता रहा।
इस प्रकार अपने धैर्य और सूझबूझ से ताकतवर से निपटा जा सकता है।