लोभ विनाश का कारण है Lobh vinash ka karan hai
लोभ विनाश का कारण है Lobh vinash ka karan hai
एक बार की बात है एक शिकारी था, वह शिकार करके अपना जीवन यापन करता था। उसने कई दिनों से शिकार नहीं किया था। एक दिन उसे हिरण का मांस खाने का मन हुआ। अगले ही दिन वह हिरण का शिकार करने जंगल में चला गया। उसने जंगल में एक सुअर देखा। शिकारी ने सोचा कि उसे अच्छा मोटा शिकार मिला है, वह इस सुअर का शिकार करेगा। उसका कुछ मांस बाजार में बेच दूंगा, जिससे मुझे बहुत पैसा मिलेगा। अभी उसने अपने धनुष पर बाण चढ़ाया ही था कि पास ही चरते एक हिरण को देखा।
शिकारी ने सोचा कि मैं इस सुअर का शिकार बाद में भी कर सकता हूँ, यदि यह हिरण मेरी आवाज सुनेगा तो यह भाग जायेगा और मैं इसका शिकार नहीं कर पाऊँगा। यह सोचकर कि शिकारी ने हिरण पर तीर चलाया है, निशान सटीक था। तीर सीधे हिरण को लगा और उसने कुछ ही पलों में अपने प्राण त्याग दिए। हिरण को मारकर शिकारी बहुत खुश हुआ। उसके मन में लालच आ गया कि अब मैं हिरन के साथ-साथ सूअर का भी शिकार करता हूँ, इससे मुझे दुगनी आमदनी होगी।
ऐसा सोचकर शिकारी सुअर को खोजने लगा। उसने पास में एक सुअर देखा, शिकारी ने सुअर पर निशाना साधते हुए तीर चलाया। तीर इस बार भी सीधे निशाने पर लगा। सुअर बहुत ही पेटू प्रजाति है। तीर लगने पर सुअर ने सोचा कि मरने से पहले वह उस शिकारी को मार डालेगा जिसने उसे मारा है। सुअर के शरीर से खून बह रहा था, फिर भी वह शिकारी की ओर मुड़ा और उस पर टूट पड़ा। कुछ ही पलों में शिकारी और सूअर दोनों मर गए।
सैकड़ों जानवरों का शिकार करने वाला शिकारी आज एक शिकार के हाथों मारा गया। शिकारी का लोभ ही उसके विनाश का कारण बना।
कहते हैं कि मौत जब आती है तो किसी न किसी बहाने से आ ही जाती है। जब सूअर शिकारी पर हमला कर रहा था तो पास के एक पेड़ के नीचे अपनी बिल से एक सांप निकल आया और यह सब देख रहा था। शिकारी को मारने के बाद सुअर लड़खड़ा कर सांप के ऊपर गिर पड़ा और वह सांप भी सुअर के शरीर से कुचलकर मर गया। इस प्रकार उस छोटी सी जगह पर हिरण, शिकारी, सुअर और साँप के चार शव पड़े थे।
उसी समय वहां एक सियार आया और एक जगह चार लाशें देखकर सियार बहुत खुश हुआ और मन ही मन सोचने लगा – “बिना मेहनत के इतना खाना मिल गया। यकीनन भगवान मुझ पर मेहरबान हैं, तभी तो उन्होंने मेरे लिए इतने खाने का इंतजाम किया है। अब मुझे नाना प्रकार के प्राणियों का मांस चखने को मिलेगा, अब मेरे बहुत से दिन इन प्राणियों को खाकर सुख से कटेंगे॥
सियार की समझ में नहीं आ रहा था कि वह पहले किसे खाए। कभी वह शिकारी का मांस खाना चाहता था, कभी हिरण, कभी सुअर, फिर उसने पहले शिकारी का मांस खाने का फैसला किया, उसने कभी मानव मांस नहीं खाया था, फिर हिरण, फिर सांप और अंत में सुअर | और इस तरह उसका एक महीना बड़े आराम से बीत जाएगा।
शिकारी का धनुष देखकर सियार कौतुहलवश धनुष के पास गया। धनुष की डोरी चमड़े की थी। सियार चमड़ा चबाने की कोशिश करने लगा। सियार के चबाने से डोरी कमजोर होकर टूट गई। डोरी टूट जाने पर धनुष का एक सिरा शीघ्रता से उनके मस्तक को भेदकर बाहर निकल आया, मानो मस्तक से कलगी निकल आई हो। इस प्रकार सियार का लालच उसके विनाश का कारण बना।
इसलिए जीवन में कई विकल्प मिलने के बाद ज्यादा लालच में नहीं पड़ना चाहिए।