राज्य में कौवे Crows in the kingdom
राज्य में कौवे Crows in the kingdom
एक दिन अकबर के दरबार में किसी ने एक अजीब सवाल पूछा, “राज्य में कितने कौवे हैं?” यह सवाल सुनकर दरबार में बैठे सभी दरबारी चौंक गए, क्योंकि किसी के पास इसका सही जवाब नहीं था। सब सोच में पड़ गए कि इतने बड़े राज्य में आखिर कौवों की सही संख्या कैसे पता चलेगी।
अकबर भी कुछ देर तक सोचते रहे, लेकिन उन्हें भी इसका उत्तर नहीं सूझा। तभी अकबर ने बीरबल की तरफ देखा, जो हमेशा अपनी चतुराई और हाजिरजवाबी के लिए मशहूर थे। अकबर ने बीरबल से कहा, “बीरबल, तुम ही बताओ, हमारे राज्य में कितने कौवे हैं?”
बीरबल ने बिना किसी देरी के तुरंत जवाब दिया, “जहांपनाह, शहर में चार हजार तीन सौ बारह कौवे हैं।”
अकबर और दरबार के सभी लोग बीरबल के इस सटीक उत्तर को सुनकर हैरान रह गए। सबके मन में सवाल उठने लगा कि बीरबल को इतनी सटीक संख्या कैसे पता चली? अकबर ने भी उत्सुकता से पूछा, “बीरबल, तुमने कैसे इतनी सटीक संख्या का अनुमान लगाया? क्या तुमने पहले से गिनती कर रखी थी?”
बीरबल मुस्कुराते हुए बोले, “जहांपनाह, अगर आप चाहें तो अपने आदमी भेजकर कौवों की गिनती करवा सकते हैं। अगर गिनती में कौवे कम निकलें, तो इसका मतलब है कि कुछ कौवे अपने रिश्तेदारों से मिलने दूसरे राज्य चले गए हैं। और अगर गिनती में कौवे ज्यादा निकलें, तो इसका मतलब है कि कुछ बाहर के कौवे हमारे राज्य में अपने रिश्तेदारों से मिलने आए हुए हैं।”
बीरबल की इस चतुराई और हाजिरजवाबी पर अकबर बहुत खुश हुए। उन्होंने बीरबल की तारीफ की और उन्हें उनके इस बुद्धिमानी भरे जवाब के लिए ढेर सारे उपहार दिए। दरबार के सभी लोग भी बीरबल की चतुराई से प्रभावित हुए और उनकी प्रशंसा करने लगे।
इस कहानी से सीख: कभी-कभी हमें किसी समस्या का हल निकालने के लिए पारंपरिक सोच से बाहर जाकर सोचना पड़ता है। जब हम रचनात्मकता और चतुराई से सोचते हैं, तो हमें समस्याओं का हल आसानी से मिल जाता है।