गिलहरी और शेर की कहानी Story of a squirrel and Lion

गिलहरी और शेर की कहानी Story of squirrel and a Lion

गिलहरी और शेर की कहानी

यह एक गिलहरी और शेर की कहानी है।

एक जंगल में एक शेर रहता था। उसके पास एक गिलहरी काम करती थी। गिलहरी बहुत मेहनती थी। वह अपना हर काम बड़ी ईमानदारी और मेहनत से वक्त पर पूरा करती थी।

गिलहरी जरुरत से ज्यादा मेहनत करके भी बहुत खुश थी, क्योंकि उसके मालिक जंगल के राजा शेर ने उसे कार्य पूरा करने के बदले में दस बोरे अखरोट देने का वादा किया था। गिलहरी यह सोचती थी की दस बोरे अखरोट पाकर उसका भविष्य उज्जवल हो जायेगा। फिर उसे कभी भी काम करने की जरुरत नहीं पड़ेगी।

काम बहुत लम्बा था। बावजूद इसके भी गिलहरी  नित्य काम को पूरा करने में लगी रहती थी।

काम करते करते जब गिलहरी थक जाती और वह सोचती की पेड़ की छाया में थोड़ा आराम कर लूँ, परन्तु वह रुक जाती, उसे उसी क्षण याद आता कि शेर उसे दस बोरे अखरोट देगा। और उसे अखरोट तभी मिलेगा जब वह काम को पूरा कर लेगी। यही सोचकर वह फिर से काम पर लग जाती।

जब वह अपने जैसी गिलहरियों को पेड़ पर दौड़ दौड़ कर खेलते देखती तो उसका मन भी करता कि वह भी खेले। अपने दोस्तों के साथ समय बिताये। उनके साथ मिलकर पेड़ के मीठे मीठे फलों का स्वाद चखे और सबके साथ पेड़ की छाया में बैठकर आराम करे।

परन्तु जब उसे दस बोरे अखरोट की याद आती तो वह रुक जाती और अपने मन को बटोर कर फिर से अपना काम करना शुरू कर देती।

वक्त बीतता गया। आखिर वह दिन आ ही जब गिलहरी ने अपने काम को पूरा कर दिया।

जंगल का राजा शेर बहुत ईमानदार था। शेर ने अपने वादे के मुताविक गिलहरी को दस बोरे अखरोट दे दिए और उसे आजाद  कर दिया।

मेहनत का फल पाकर गिलहरी बहुत खुश हुई। परन्तु अगले ही पल वह उदास हो गयी। और बोरे के पास बैठी सोचने लगी कि ये अखरोट अब मेरे किस काम के ? काम कर करके मेरे दाँत तो घिस चुके हैं। मैं भला इन्हे खाउंगी कैसे? मैं अब बूढ़ी भी हो गयी हूं। खेलने कूदने के दिनों में, मैं काम करती रही यह सोचकर की दस बोरे अखरोट पाकर मेरा भविष्य अच्छा हो जायेगा।

मैं आराम से जिंदगी गुजारूंगी, परन्तु अब जिंदगी ही शेष नहीं बची तो मैं इनका क्या उपयोग कर पाऊँगी। मैं कितने दिन इन्हें खा पाऊँगी। मेरे बाद तो कोई और ही इसे बिना किसी मेहनत के ले जायेगा।

यह कहानी आज के मनुष्य के जीवन की हकीकत बयां करती है।  

इंसान अपनी इच्छाओं का त्याग करके अपनी पूरी जिंदगी, नौकरी और व्यापार करके धन कमाने में बिता देता है। वह ऐसा इसलिए करता है क्योकि उसे अपने भविष्य की चिंता होती है। इसलिए वह दिन रात केवल धन कमाने के बारे में ही सोचता रहता है।

कोई इच्छा मन में आती भी है तो उसे टाल देता है। कभी घूमने जाने का मन करता है तो बाद में जायेंगे, ऐसा सोचता है। जब तक शरीर में उमंग रहती है तब तक वह अपने भविष्य को बनाने में गवां देता है।  ऐसा भविष्य जो सिर्फ एक कल्पना मात्र है। जिसे कभी उसने देखा तक नहीं है। वह यह भी जनता की उसका जीवन उतना लम्बा है भी या नहीं। परन्तु फिर भी उसे सदैव कल की ही चिंता लगी रहती है।

वक्त बीतता जाता है और वह व्यक्ति एक दिन बूढ़ा होकर अपने काम से रिटायर हो जाता है। जीवन भर उसके द्वारा अपनी इच्छाओं को मारकर कमाया हुआ धन, बैंक बैलेंस के रूप में पड़ा होता है। अब उस अवस्था में उसका शरीर भी उस धन के सुख को भोगने की क्षमता खो चुका होता है।

अक्सर यह भी देखने को मिलता है की उस व्यक्ति के द्वारा कमाये गए धन पर उसका अधिकार भी बिलुप्त हो चुका लगता है। क्योंकि उस धन का दावेदार कोई दूसरा हो जाता है। मतलब बच्चे बड़े हो चुके होते हैं।

अब क्या उन बच्चों को कभी इस बात काअंदाजा लग पायेगा की उस बैंक बैलेंस के लिए – 

कितनी तकलीफें सहनी पड़ी होंगी। 

कितनी इच्छाओं को मारना पड़ा होगा। 

कितने सपने छोड़ने पड़े होंगे। 

कितने दिन भूखे भी बिताने पड़े होंगे।

शायद इसका एहसास उन्हें कभी नहीं होगा। 

तो फिर क्या फायदा ऐसे धन का, ऐसे बैंक बैलेंस का। जिसे कमाने के लिए एक व्यक्ति अपनी पूरी जिंदगी गवा देता है। और बदले में उस धन का उपभोग भी न कर सके।

इसलिए सदैव आज को जियें क्योकि दुनिया का कोई भी अमीर से अमीर व्यक्ति भी कभी बीते हुए वक्त को खरीद नहीं सकता।

इसलिए आप जो भी हैं जैसे भी हैं, बहुत अच्छे हैं।  सदा खुश रहें, मस्त रहें और व्यस्त रहें। आज की इच्छा को कल पर न टालें आज को जियें।

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