अलंकार किसे कहते हैं, इसके कितने भेद होते हैं alankar kise kahate hain

अलंकार किसे कहते हैं, इसके कितने भेद होते है alankar kise kahate hain

इस लेख में हम जानेंगे कि अलंकार क्या है या अलंकार किसे कहते हैं (alankar kise kahate hain)? अलंकार की परिभाषा क्या है (alankar ki paribhasha), अलंकार कितने प्रकार के होते हैं और उदाहरण अलंकार के विषय में विस्तार से जानेंगे।

alankar kise kahate hain

अलंकार किसे कहते हैं, इसके कितने भेद होते है alankar kise kahate hain

आइये जानते हैं कि अलंकार किसे कहते हैं-

अलंकार किसे कहते हैं Alankar Kise Kahate हैं –

अलंकरोति इति अलंकारः अर्थात जो किसी चीज की सोभा बढ़ाये उसे अलंकार कहते है, अलंकार का अर्थ होता है  आभूषण या गहना।

शब्द तथा अर्थ की जिस विशेषता से काव्य का शृंगार होता है उसे ही अलंकार कहा जाता है।

इसे इस प्रकार से भी समझ सकते हैं कि मुख्य रूप से काव्य की शोभा बढ़ाने वाले शब्दों को ही अलंकार कहा जाता है।

अलंकार (Alankaar kitne prakar ke hote hain ) के प्रकार-

अलंकार (Alankar) मुख्य रूप से कुल तीन प्रकार के होते हैं।

  • शब्दालंकार
  • अर्थालंकार
  • उभयालंकार

I. शब्दालंकार (shabdalankar ki paribhasha)

शब्दालंकार दो शब्दों से मिलकर बना है – शब्द और अलंकार , अर्थात जिस अलंकार में शब्दों को प्रयोग करने से कोई चमत्कार उत्पन्न होता है और उन शब्दों से स्थान पर समानार्थी शब्द रखने से वह चमत्कार ख़त्म हो जाता है तो इस प्रकार की प्रक्रिया को शब्दालंकार कहा जाता है।

शब्दालंकार के कितने भेद होते हैं ? shabdalankar ke kitne bhed hote hain

शब्दालंकार के मुख्यतः तीन भेद होते हैं –

  • अनुप्रास अलंकार
  • यमक अलंकार
  • श्लेष अलंकार

आइये इनके बारे में विस्तार से जानते हैं –

1. अनुप्रास अलंकार – Anupras Alankar

अनुप्रास अलंकार की परिभाषा – Anupras Alankar Ki Paribhasha

अनुप्रास शब्द दो शब्दों से मिलकर बना है जो है अनु और प्रास। इसमें अनु का अर्थ होता है बार बार और प्रास का अर्थ होता है वर्ण। अर्थात जब किसी वाक्य में वर्ण की बार बार आवृति होती है तो उससे उत्पन्न होने वाले चमत्कार को अनुप्रास अलंकार कहा जाता है।

इसे इस प्रकार से भी समझ सकते हैं – जब वर्ण विशेष की आवृत्ति से वाक्य की सुन्दरता बढ़ जाती है तो उसे अनुप्रास अलंकार ( Anupras Alankar) कहा जाता है।

अनुप्रास अलंकार के उदहारण – Anupras Alankar ke udaharan

1.मधुर मधुर मुस्कान मनोहर, मनुज वेश का उजियाला।

इस वाक्य में ‘म’ वर्ण का बार बार प्रयोग हुआ है, इसलिए यहाँ अनुप्रास अलंकार है।

2.जन रंजन मंजन दनुज मनुज रूप सुर भूप
इस वाक्य में ‘ज’ वर्ण की आवृत्ति देखी जा सकती है

2. यमक अलंकार yamak alankar

yamak alankar ki paribhasha यमक अलंकार की परिभाषा

यमक शब्द का मतलब होता है ‘दो’. जब एक ही शब्द का दो या दो से अधिक बार बार प्रयोग हो और हर बार उसका अर्थ अलग-अलग होता है वहां पर यमक अलंकार ( yamak alankar) होता है।

यमक अलंकार के उदहारण yamak alankar ke udaharan –

कनक कनक ते सौगुनी, मादकता अधिकाय। या खाए बौराए नर , या पाए बौराये

इस वाक्य में कनक शब्द का दो बार प्रयोग किया गया है, जिसमें एक कनक का अर्थ है सोना और दूसरे कनक का अर्थ है धतूरा। इस लिए यहाँ पर यमक अलंकार ( yamak alankar) है ।

3. श्लेष अलंकार shlesh alankar 

shlesh alankar ki paribhasha श्लेष अलंकार की परिभाषा

श्लेष शब्द का अर्थ होता है चिपका हुआ या मिला हुआ,  जब वाक्य में किसी शब्द का प्रयोग एक बार ही किया जाता है लेकिन उसके अर्थ अलग अलग निकलते हैं तो वहां पर श्लेष अलंकार (shlesh alankar) होता है

श्लेष अलंकार के उदहारण shlesh alankar ke udaharan

चरण धरत चिंता करत, चितवत चारहु ओर। सुबरन को खोजत फिरत, कवि, व्यभिचारी, चोर।

इस वाक्य में सुबरन शब्द का प्रयोग एक बार किया गया है, लेकिन यहाँ पर प्रयुक्त सुबरन शब्द के तीन अर्थ हैं, कवि के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ है अच्छे शब्द, व्यभिचारी के सन्दर्भ में सुबरन अर्थ है सुन्दर वर, और चोर के सन्दर्भ में सुबरन का अर्थ सोना। इस लिए यहाँ पर श्लेष अलंकार (shlesh alankar) है।

II. अर्थालंकार और उसके भेद (arthalankar ki paribhasha और arthalankar ke bhed)

अर्थालंकार की परिभाषा (arthalankar ki paribhasha)-

जब किसी वाक्य में सुंदरता या चमत्कार उसके शब्दों से नहीं बल्कि उसके अर्थ से उत्पन्न होता है, उसे अर्थालंकार कहते हैं।

अर्थालंकार कई भेद होते हैं लेकिन मुख्य रूप से प्रयोग होने वाले 7 प्रकार के भेदों के बारे में जानना जरुरी है –

  • उपमा अलंकार
  • रूपक अलंकार
  • उत्प्रेक्षा अलंकार
  • अतिशयोक्ति अलंकार
  • मानवीकरण अलंकार
  • भ्रांतिमान अलंकार
  • संदेह अलंकार 

1. उपमा अलंकार upma alankar

उपमा  अर्थ होता है तुलना या समानता। जब उपमेय की तुलना उपमान से उसके गुण, धर्म या क्रिया के आधार पर की जाती है तो वहां पर उपमा अलंकार होता है।

सबसे पहले उपमेय और उपमान के बारे में जानते हैं –

(1) उपमेय वह शब्द है जिसकी उपमा दी जाती है।
(2) उपमान वह शब्द है जिससे उपमा की जाए।

उपमा अलंकार के उदहारण upma alankar ke udaharan

हरि पद कोमल कमल से
यहाँ हरि (भगवान) के चरणों को कमल के समान कोमल बताया गया है। इस लिए यहाँ पर उपमा अलंकार है।

2. रूपक अलंकार rupak alankar-

रूपक अंलकार में उपमेय और उपमान में कोई अंतर नहीं दिखाई होता है। जिस वाक्य में उपमेय और उपमान के बीच भेद को खत्म करके उसे एक कर दिया जाता है तो उस स्थान पर रूपक अलंकार (Rupak Alankar) होता है।

रूपक अलंकार के उदहारण rupak alankar ke udaharan

1.मुनि पद कमल बंदिदोउ भ्राता – मुनि के चरणों यानि उपमेय  पर कमल यानि उपमान का आरोप है, इसलिए यहां रूपक अलंकार है।

2.मुख दूसरा चांद है- इस वाक्य में मुख को दूसरा चंद्रमा कहा गया है, उपमा और उपमेय के भेद को ख़त्म कर दिया गया है, इसलिए यहां रूपक अलंकार होता है।

3.मैया मैं तो चन्द्र-खिलौना लैहों -यहाँ पर खिलौना और चाँद में किसी भी तरह का अंतर न करते हुए चाँद को ही खिलौने का रूप दिया गया है। इसलिए यह रूपक अलंकार है।

3. उत्प्रेक्षा अलंकार (Alankar Kise Kahate Hain)

जहाँ पर उपमेय में उपमान के होने के अनुमान का चित्रण किया जाता है, उसे उत्प्रेक्षा अलंकार कहा जाता है।

उत्प्रेक्षा अलंकार के उदाहरण utpreksha alankar ke udaharan

1.उसका मुख मानो चन्द्रमा है।– इस वाक्य में मुख को चन्द्रमा होने की बात कही गयी है।

2.सोहत ओढ़े पीत पर, स्याम सलोने गात। मनहु नील मनि सैण पर, आतप परयौ प्रभात

4. अतिशयोक्ति अलंकार (atishyokti alankar)

जब किसी बात का वर्णन बहुत बढ़ा चढ़ा कर किया जाता है, वहां पर अतिशयोक्ति अलंकार होता है।

इसे इस तरह भी कह सकते हैं, जब किसी व्यक्ति या वस्तु का वर्णन या प्रसंशा करने में लोक समाज की मर्यादा टूट जाए, तो उसे ‘अतिश्योक्ति अलंकार’ कहा जाता है।

अतिश्योक्ति अलंकार के उदहारण (atishyokti alankar ke udaharan)-

पानी परात को छुयो नहीं , नैनन के जल सों पग धोए।

इस दोहे में पानी के बिना, आंसुओ से चरणों को धोने की बात पर जोर दिया गया है। जो असमान्य बात है, यहाँ बढ़ा चढ़ा के वर्णन किया गया है इसलिए यहाँ पर अतिश्योक्ति अलंकार है।

5. मानवीकरण अलंकार (manvikaran alankar)

जहाँ पर प्राकृतिक चीजों या फिर जड़ वस्तुओं को मानव के जैसा सजीव वर्णन किया जाता है वहां मानवीकरण अलंकार (manvikaran alankar) होता है ।

मानवीकरण अलंकार के उदहारण  (manvikaran alankar ke udaharan)-

फूल हँसे कलियाँ मुस्काई।
इस वाक्य में बताया गया है कि फूल ओर कलियाँ मुस्कुरा रही है ,मतलब जैसे

6. भ्रांतिमान अलंकार bhrantiman alankar

जब एक जैसे दिखने के कारण एक वस्तु को दूसरी वस्तु मान लिया जाता है, या ये कहें कि समानता के कारण किसी दूसरी वस्तु का भ्रम होता है तो वहां पर भ्रांतिमान अलंकार होता है।

भ्रांतिमान अलंकार के उदाहरण bhrantiman alankar ke udaharan

जानि स्याम को स्याम-घन नाचि उठे वन मोर।
इस वाक्य में मोर ने कृष्ण को वर्ण-सदृश्य के कारण श्याम मेघ यानि काले बादल समझ लिया है, अर्थात मोरो को काले बादलों का भ्रम हो गया, इसलिये यहाँ पर भ्रांतिमान अलंकार है।

7. सन्देह अलंकार (Sandeh Alankar)

जब एक जैसा होने के कारण एक वस्तु में अनेक अन्य वस्तु के होने की दुर्लभता दिखाई दे और यह निश्चित न हो पाए, तब वहां पर संदेह अलंकार होता है।

संदेह अलंकार का उदहारण sandeh alankar ke udaharan bataiye

सारी बीच नारी है कि नारी बीच सारी है। सारी ही की नारी है कि नारी ही की सारी है।

इस इस पद्य में साड़ी के बीच नारी है या नारी के बीच साडी इसका बात निश्चय नहीं हो पा रहा है जिससे संदेह की उत्पत्ति हो रही है, इस कारण यहाँ पर सन्देह अलंकार है।

III. उभयालंकार की परिभाषा : Ubhaya Alankar ki paribhasha

वह अलंकार जो शब्द और अर्थ दोनों पर आधारित रहकर दोनों में चमत्कार उत्पन्न करते हैं, वे उभयालंकार कहलाते हैं।

उभयालंकार के उदहारण Ubhaya Alankar ke udaharan –

‘कजरारी अंखियन में कजरारी न लखाय।’

इस वाक्य में शब्द और अर्थ दोनों हैं।

FAQ-

अलंकार की परिभाषा उदाहरण सहित बताइये?

अलंकार का शाब्दिक अर्थ होता है आभूषण या गहना, यानि जो किसी वस्तु को अलंकृत करे, वही अलंकार कहलाता है। जिस तरह आभूषण स्वर्ण से बनते हैं, ठीक उसी प्रकार अलंकार भी सुवर्ण यानि सुंदर वर्ण से बनते हैं।

चारु चंद्र की चंचल किरणें इसमें कौन सा अलंकार है?

इस वाक्य में च वर्ण का बार बार प्रयोग किया गया है इसलिए यहाँ पर अनुप्रास अलंकार है ।

संदेह और भ्रांतिमान अलंकार में क्या अंतर है?

संदेह अलंकार में एक बात के बारे में निश्चितता नहीं होती। भ्रांतिमान अलंकार में पहचान हो जाती है लेकिन समानता के कारण भ्रम पाईउडा होता है।

श्लेष अलंकार के उदाहरण दीजिये?

रहिमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून।
यहाँ ‘पानी’ के तीन अर्थ होते हैं- कांति, सम्मान और जल। पानी के ये तीनों अर्थ इस दोहे में हैं और पानी शब्द को बिना तोड़े या बदले हैं, इसलिए यहाँ ‘अभंग श्लेष’ अलंकार है।

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