स्वर्ण मृग Golden Deer – Mrig ki kahani
एक समय की बात है, एक जंगल में एक हिरण रहता था। इस मृग का रंग सुवर्ण के समान था, केश रेशमी मखमल से भी कोमल और आँखें आसमानी नीले रंग की थीं। यह मृग किसी का भी मन मोह लेता था। यह मृग अधिक सुन्दर और बुद्धिमान था और मनुष्य की भाँति बात कर सकता था। हिरण अच्छी तरह जानता था कि मनुष्य एक लालची प्राणी है फिर भी उसे मनुष्य के प्रति दया थी।
स्वर्ण मृग Golden Deer
एक दिन हिरण जंगल में टहल रहा था, तभी उसे एक आदमी के रोने की आवाज सुनाई दी। जब वह मौके पर पहुंचा तो उसे नदी के बहाव में तैरता हुआ एक शख्स मिला। यह देखकर मृग उसे बचाने के लिए नदी में कूद गया और डूबते हुए आदमी को पैर पकड़ने की सलाह देता है, लेकिन आदमी पैर पकड़कर मृग के ऊपर बैठ गया। हिरण चाहता तो उसे गिराकर पानी से बाहर आ सकता था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। उस व्यक्ति को किनारे तक लाने का कष्ट वह स्वयं उठाया।
जैसे ही वह व्यक्ति बाहर आया, व्यक्ति ने हिरण को धन्यवादकहा, तब हिरण ने कहा “यदि आप वास्तव में मुझे धन्यवाद देना चाहते हैं, तो किसी को मत बताना कि एक सोने के हिरण ने आपको डूबने से बचाया था।” हिरण ने उससे कहा “यदि मनुष्यों को मेरे बारे में पता चलेगा तो वे मेरा शिकार करने का प्रयास करेंगे।” यह कहकर मृग जंगल में चला गया।
स्वर्ण मृग Golden Deer
कुछ समय बाद उस राज्य की रानी को स्वप्न आया जिसमें उसने स्वर्ण मृग को देखा। स्वर्ण मृग की सुंदरता को देखकर रानी उसे पाने के लिए लालायित हो गयी। तब रानी राजा से मृग को ढूंढ़कर वापस लाने के लिए के लिए कहा। राजा ने बिना देर किए शहर में घोषणा की कि जो कोई भी मृग को खोजने में मदद करेगा, उसे पुरस्कृत किया जाएगा।
राजा की यह सूचना उस व्यक्ति तक भी पहुँची जिसे हिरण ने बचाया था। वह आदमी बिना समय गंवाए राजा के दरबार में पहुंचा और राजा को मृग के बारे में बताया। वह आदमी राजा और सिपाही के साथ जंगल की ओर चल पड़ा। जंगल में पहुंचकर राजा के सैनिकों ने मृग के वास को चारों तरफ से घेर लिया।
जब राजा ने मृग को देखा, तो वह बहुत खुश हुआ, क्योंकि रानी ने जैसा कहा था, मृग वैसा ही था। मृग सैनिकों से घिरा हुआ था और राजा उस पर तीर चला रहा था, लेकिन तभी मृग राजा से मानवीय भाषा मे बोला , “हे राजा, तुम मुझे मार डालो, लेकिन पहले मैं यह जानना चाहता हूं कि मेरा पता तुम्हें किसने बताया। इस पर राज ने उस व्यक्ति की ओर इशारा किया जिसकी जान हिरण ने बचाई थी। उस व्यक्ति को देखकर हिरण कहता है –
निकाल लो किसी बेबस जीव को पानी से, पर न बचाना किसी कृतघ्न इंसान को।
जब राजा ने हिरणी से इन शब्दों का अर्थ पूछा तो मृग ने बताया कि उसने इस आदमी को डूबने से बचाया था। मृग की बात सुनकर राजा के भीतर की मनुष्यता जाग उठी। उसे खुद पर शर्म आई और उसने गुस्से में उस व्यक्ति की ओर तीर तान दिया। यह देखकर मृग ने राजा से उस व्यक्ति को न मारने का अनुरोध किया। राजा ने हिरण की दयालुता देखकर उसे अपने राज्य में आने का निमंत्रण दिया। मृग राजा के निमंत्रण पर कुछ दिन महल में रहा और फिर जंगल में लौट आया।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हमें किसी का उपकार कभी नहीं भूलना चाहिए।