दीपावली पर्व पर लक्ष्मी पूजन विधि Dipawali par Lakshmi Pujan Vidhi
दीपावली का रोशनी का त्योहार है, इसलिए इसे प्रकाश पर्व कहा जाता है। दीपावली के दिन धन की देवी लक्ष्मी और बिघ्नहर्ता भगवान गणेश पूजा की जाती है। इस दिन लोग अपने जीवन में सुख और समृद्ध जीवन पाने की कामना के साथ पूजा करते हैं। दीपावली पर्व पर लक्ष्मी पूजन विधि कई हैं। देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए कई प्रांतों में पूजा के लिए अलग-अलग विधियां की जाती हैं।
Dipawali par Lakshmi Pujan Vidhi
दीपावली भारतवर्ष का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है। प्रत्येक भारतीय पूरे वर्ष इस त्यौहार का इंतजार करते हैं। बच्चे विशेष रूप से इस त्योहार का इंतजार करते हैं क्योंकि उन्हें पटाखे और फुलझड़ियाँ बहुत पसंद हैं। ऐसा माना जाता है दीपावली की रात, माँ लक्ष्मी अपने भक्तो को आशीर्वाद देने के लिए उनके घर आती हैं। इस साल दिवाली 2020 शनिवार 14 नवंबर को पड़ रही है।
दीपावली पर्व का महत्व –
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, दिवाली अमावस्या को होती है। अमवस्या के दिन चंद्रमा नहीं बढ़ता है। यह रात साल की सबसे काली रात होती है। साधना और तंत्र मंत्र के लिए अमावस्या का बहुत महत्व है। दीपावली की रात सिद्धियों को प्राप्त करने के लिए तांत्रिक लोग कई प्रकार के अनुष्ठान करते हैं। आम लोग माता महालक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए पूरी रात पूजा करते हैं।
दीपावली की रात अनुष्ठान करने की रात है। जो लोग धर्म, अर्थ और मोक्ष चाहते हैं, उन्हें दिवाली की रात को अवश्य ध्यान करना चाहिए।
दीपावली पूजन सामग्री –
माता लक्ष्मी और श्री गणेश की मूर्तियाँ (बैठने की मुद्रा में)
केसर, रोली, चावल, पान, सुपारी, लौंग, फल, फूल, दूध, खीर, बताशे, सिन्दूर, शहद, सिक्के।
ग्यारह दीये, मेवे, मिठाई, दही, गंगा जल, धूप और अगरबत्ती।
साथ में कपास और कलावा, नारियल और तांबे के कलश की भी जरूरत होती है।
पूजा की तैयारी –
सबसे पहले दीपावली पूजन की जगह सुनिश्चित कर ले। उस जगह पर पटरी लगाकर उस पर शुद्ध लाल शुद्ध वस्त्र बिछा दें। अब वहां पर कलश स्थापित करना है। लक्ष स्थापना करने के लिए कलश में सबसे पहले साफ़ जल भरे और फिर उसमे गंगा जल, सुपारी, फूल, रूपये का सिक्का, चावल, दूर्वा घास आदि डाल दें और उसे स्थापित करें।
फिर कलश के ऊपर एक लाल कपडे में लिपटा हुआ नारियल रखे, और नारियल पर एक स्वस्तिक बना दे और साथ ही कलश पर भी स्वस्तिक बना दे। थोड़ा रखकर उसपर कलश रखे। कलश के पीछे आपको माता लक्ष्मी जी की तस्वीर रखना चाहिए, कुछ लोग कलश के ऊपर भी महालक्ष्मी की स्थापना करते हैं। और भगवान् गणेश को कलश के दाए तरफ स्थापित करके गणेश पूजन करना चाहिए।
चौकी पर माता लक्ष्मी व श्रीगणेश की मूर्तियाँ इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम दिशा की तरफ रहें। यह याद रखें कि माता लक्ष्मीजी, गणेशजी की दाहिनी ओर रहें। पूजा करने वाला व्यक्ति माता लक्ष्मी और गणेश जी की मूर्तियों के सामने की तरफ बैठे। जल और सामग्रियों से भरें कलश को माता लक्ष्मीजी के पास चावलों के ऊपर रखें। नारियल को लाल कपड़े में इस तरह से लपेटें कि नारियल का आगे का भाग दिखाई देता रहे। और अब इस नारियल को कलश पर रखें।
कलश वरुण का प्रतीक है। माता लक्ष्मीजी की ओर एक ‘श्री’ का चिह्न बनाएँ, और भगवान गणेशजी की ओर त्रिशूल का निह्न बनायें। और सबसे नीचे चावल की नौ ढेरियाँ बनाएँ। छोटी चौकी के सामने तीन थाली एवं कलश में जल भरकर रखें। तीनों थालियों में निम्न सामान रखें –
- पहली थाली में ग्यारह दीपक रखें।
- दूसरी थाली में पान, सुपारी, खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन, सिन्दूर, कुंकुमइत्यादि रखें।
- और तीसरी थाली मेंफूल, दुर्वा चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती औरएक दीपक रखें।
पूजन करने वाला व्यक्ति इन थालियों के सामने बैठे और परिवार के बाकी सदस्य उनकी बाईं ओर बैठें। शेष सभी परिवार के सदस्य पीछे बैठे।
महालक्ष्मी पूजन विधि (Dipawali par Lakshmi Pujan Vidhi) –
पूजन से पहले कुछ देर के लिए ॐ का जप करना चाहिए। पूजन से पहले थोडा गंगाजल लेकर सभी तरफ छिड़के। तत्पश्चात दीपक जलायें और फिर कलश का पूजन करे और थोड़े चावल हाथ में लेकर माता लक्ष्मी का आह्वान करें और फिर उनके फोटो पर चावल छोड़े।
अब माता लक्ष्मी की मूर्ति का पंचामृत से अभिषेक करे। और साथ ही महालक्ष्मी के मंत्र को जपते रहे। पंचामृत अभिषेक के बाद माता लक्ष्मी की प्रतिमा को उनके स्थान पर रख कर उनको धूप, अगरबत्ती , दीप, नैवेद्य और वस्त्र आदि अर्पित करे। दीपावली के दिन व्यापारी लोग बही खाते का पूजन करते है, और गाँव वाले पशुओ की पूजा भी करते हैं.
पूजन के बाद घर के सभी कमरों में दीपक जलाए, छत और दरवाजे, नलकूप आदि सब जगह दीपक जलाए। इसके बाद सब मिलकर महालक्ष्मी की आरती और उनके मंत्रो का यथाशक्ति जप करें।