चालाक खरगोश की कहानी

चालाक खरगोश की कहानी Story of the Clever Rabbit

एक समय की बात है, एक घने जंगल में चतुर नाम का एक खरगोश रहता था। चतुर बहुत ही होशियार और चालाक था। उसकी हल्की-भूरी और नरम फर थी, जो जंगल की मिट्टी में मिल जाती थी, जिससे वह आसानी से छिप सकता था। उसकी बुद्धिमानी और चालाकी के कारण उसे जंगल के बाकी जानवर बहुत पसंद करते थे और उसकी सलाह मानते थे।

चालाक खरगोश की कहानी Story of the Clever Rabbit

चालाक खरगोश की कहानी Story of the Clever Rabbit

इसी जंगल में एक भूखा शेर भी रहता था। शेर हमेशा खरगोशों का शिकार करके अपना पेट भरता था, लेकिन चतुर हर बार शेर से बचने के लिए कोई न कोई चालाकी भरी युक्ति निकाल ही लेता था। शेर की भूख बढ़ती जा रही थी और उसने ठान लिया था कि अबकी बार वह चतुर खरगोश को जरूर पकड़ लेगा।

एक दिन शेर ने सभी खरगोशों को पकड़ने के लिए एक चालाकी भरा जाल बिछाया। उसने जंगल के बीचों-बीच एक जगह पर जाल फैलाया, जहां खरगोश अक्सर खेलने और मिलने के लिए आते थे। शेर ने सोचा, “इस बार चतुर जरूर फंसेगा और मैं उसे पकड़ लूंगा।”

जब चतुर अपने अन्य खरगोश मित्रों के साथ उस स्थान पर आया, तो उसकी तीव्र बुद्धिमानी ने जाल को तुरंत पहचान लिया। उसने देखा कि जाल बड़ी चालाकी से बिछाया गया है, जिससे कोई भी खरगोश फंस सकता है। चतुर ने बिना समय गवाएं अपने साथियों को बचाने की योजना बनाई। उसने धीरे-धीरे अपने साथियों को इशारे से संकेत दिए और खुद एक झाड़ी के पीछे छिप गया।

शेर छिपकर देख रहा था और सोच रहा था कि वह चतुर को फंसा लेगा। लेकिन जब वह वापस आया, तो उसे चतुर वहां नहीं मिला। बाकी खरगोश उसके जाल में फंसे थे, पर चतुर कहीं छिपा हुआ था। शेर को बड़ा गुस्सा आया और उसने जोर से चिल्लाया, “चतुर! तुम फिर से मुझसे बच गए, लेकिन इस बार मैं तुम्हें नहीं छोड़ूंगा।”

चतुर ने शेर की आवाज़ सुनी और बिना घबराए धीरे से झाड़ी के पीछे से बाहर आया। वह बहुत शांत था, उसने कहा, “हे महाराज, मुझे आपकी भूख का पूरा अंदाजा है। मैं समझता हूँ कि आपको खाना चाहिए। लेकिन अगर आप हमें, छोटे और कमजोर खरगोशों को खाकर पेट भरने की सोच रहे हैं, तो यह आपके लिए सही नहीं होगा। हमारी तो इतनी सी जान है, आप तो बहुत शक्तिशाली हैं। मैं आपको एक बेहतर उपाय बताता हूँ जिससे आपका पेट भी भर जाएगा और आपको अधिक ताकत भी मिलेगी।”

शेर ने चतुर की बात सुनी और थोड़ा चौंका। उसने पूछा, “ऐसा क्या उपाय है जो मेरे लिए फायदेमंद हो सकता है?”

चतुर ने कहा, “महाराज, इस जंगल के पार एक तालाब है, जिसमें बहुत बड़ी-बड़ी और मोटी मछलियाँ रहती हैं। अगर आप वहां जाएं और उन मछलियों को पकड़ लें, तो आपका पेट भर जाएगा और आपको बहुत सारा मांस मिलेगा।”

शेर को यह सुनकर बड़ी खुशी हुई। वह चतुर की बात पर भरोसा कर बैठा और तुरंत तालाब की ओर चल पड़ा। उधर, चतुर ने अपने साथी खरगोशों को तुरंत जाल से छुड़ाया और उन्हें एक सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया।

जंगल के बाकी जानवर यह देख रहे थे कि चतुर ने कितनी बुद्धिमानी से शेर को धोखा दिया और अपने साथियों को बचाया। सभी जानवर चतुर की सूझबूझ और चालाकी की प्रशंसा करने लगे। चतुर का सम्मान और भी बढ़ गया, और उसे जंगल में और भी ऊंचा स्थान मिल गया।

शेर तालाब पर पहुंचा और देखा कि तालाब में सच में बड़ी-बड़ी मछलियाँ तैर रही थीं। उसने बिना समय गंवाए मछलियों का शिकार किया और खूब पेट भरकर खाया। शेर को बहुत खुशी हुई और उसने सोचा कि चतुर ने सही सलाह दी थी। वह संतुष्ट होकर वापस लौटा और उसने तय किया कि अब वह खरगोशों का शिकार नहीं करेगा।

इस घटना के बाद, शेर ने कभी खरगोशों को तंग नहीं किया और चतुर खरगोश अपनी बुद्धिमानी के लिए पूरे जंगल में विख्यात हो गया। जंगल के जानवर उसे और भी आदर देने लगे और उसकी सलाह मानने लगे।

कहानी से सीख:
बुद्धिमानी और चतुराई से हम किसी भी मुश्किल स्थिति का सामना कर सकते हैं। संकट के समय अपनी क्षमताओं पर विश्वास रखते हुए, सही समय पर सही निर्णय लेना ही सफलता की कुंजी है।

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