आरती श्री रामायण जी की– कीरति कलित ललित सिय पी की पूर्ण आरती
आरती श्री रामायण की एक अत्यंत प्रसिद्ध और भक्तिमय आरती है, जिसे कीरति कलित ललित सिय पी की के नाम से जाना जाता है। यह आरती रामायण के महाकाव्य के प्रति भक्ति और श्रद्धा को प्रकट करती है। इसे ब्रह्मादि मुनि, नारद, बाल्मीकि, शुक, सनकादि, शेष, सारद आदि देवताओं और मुनियों ने गाया है। साथ ही, यह आरती तुलसीदास जी की रचना है, जिन्होंने रामचरितमानस के माध्यम से भगवान श्रीराम के जीवन और लीलाओं का वर्णन किया।
यह आरती रामायण की महिमा का संपूर्ण वर्णन करती है और भक्ति में लीन होने वालों के लिए अमृत समान है। इसके शब्दों में वेद, पुराण, संतमत, और शास्त्रों की गूढ़ बातें समाहित हैं। आरती का पाठ करने से मन में पवित्रता आती है और जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है। राम भक्तों के लिए यह आरती आध्यात्मिक उन्नति और परम आनंद का स्रोत है।
यदि आप भक्ति संगीत और आरती के माध्यम से भगवान श्रीराम के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करना चाहते हैं, तो यह आरती आपके लिए आदर्श है। इसे नियमित रूप से पढ़ना या सुनना, आपके मन को शांति और शक्ति प्रदान करेगा।
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आरती श्री रामायण जी की, कीरति कलित ललित सिय पी की ॥
गावत ब्रम्हादिक मुनि नारद, बाल्मीकि विज्ञान बिसारद ।
शुक सनकादि शेष अरु सारद, बरनि पवनसुत कीरति नीकी ॥ आरती श्री …
गावत बेद पुरान अष्टदस, छहो शास्त्र सब ग्रंथन को रस ।
मुनि जन धन संतन को सरबस, सार अंश सम्मत सबही की ॥ आरती श्री …
गावत संतत शम्भु भवानी, अरु घटसंभव मुनि बिग्यानी ।
ब्यास आदि कबिबर्ज बखानी, कागभुशुंडि गरुड़ के ही की ॥ आरती श्री …
कलिमल हरनि बिषय रस फीकी, सुभग सिंगार मुक्ति जुबती की ।
दलनि रोग भव मूरि अमी की, तात मातु सब बिधि तुलसी की ॥ आरती श्री ….
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आरती श्री रामायण जी एक शक्ति, शांति और भक्ति का अभूतपूर्व स्रोत है। इसके माध्यम से न केवल भक्त भगवान राम की कृपा को प्राप्त करते हैं, बल्कि यह उनके जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का एक माध्यम भी है। यह आरती हमें सिखाती है कि ईश्वर की उपासना केवल शब्दों तक सीमित नहीं होती, बल्कि जीवन में हर कार्य को ईश्वर के आदेश से करना चाहिए। अगर आप अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति चाहते हैं, तो इस आरती का नियमित पाठ आपके जीवन को एक नई दिशा दे सकता है।

