Friday, November 21, 2025

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हनुमान अष्टक संकट मोचन नाम तिहारों – Sankat Mochan Hanuman Ashtak Lyrics in Hindi

हनुमान अष्टक संकट मोचन नाम तिहारों – Sankat Mochan Hanuman Ashtak Lyrics in Hindi

भगवन श्रीराम के परम भक्त हनुमान जी की उपासना करने से सारे संकट, दुःख, तकलीफ दूर हो जाते हैं। राम  रावण युद्ध के समय जब मेघनाद के शक्ति प्रहार से श्री लक्षण जी मूर्छित हो गए थे। तब बैध्य सुसेन के कहने पर, हनुमान जी लंका से हिमालय पर्वत पर जाकर संजीवनी बूटी लेकर आये, जिससे लक्ष्मण जी के प्राण बच सके। श्री हनुमान जी को संकट मोचन कहा जाता है।

बाल्यकाल में एक बार श्री हनुमान जी ने सूर्य देवता को फल समझ कर निगल लिया था जिससे सारे संसार में घोर अँधेरा छा गया था। देवताओं के आग्रह करने पर हनुमान जी ने सूर्य देवता को छोड़ को छोड़ दिया।

श्री हनुमान जी को पवन पुत्र भी कहते है। हनुमान जी के बहुत से कई नाम हैं। हनुमान जी शिव जी के ही अवतार हैं। त्रेता युग में माता सीता ने उन्हें अजर अमर होने का बरदान दिया था।

श्री हनुमान जी सभी के दुखों को हरने वाले हैं। उन्होंने भगवान् के दोनों मानव अवतारों में चाहे वह त्रेता युग हो या द्वापर युग, दोनों में उनका साथ दिया।

हनुमान अष्टक संकट मोचन नाम तिहारों sankat mochan lyrics 

हनुमान जी को सिंदूर बहुत पसंद हैं। कहते हैं की एक बार माता सीता अपने मस्तक पर सिंदूर लगा रहीं थी।  तभी वहां हनुमान जी आ गए और माता सीता से सिंदूर लगाने का कारण पूछा। माता सीता ने बताया कि इस तरह से सिंदूर लगाने से उनके पति भगवान श्रीराम की उम्र लम्बी होगी।

फिर क्या था, हनुमान जी ने तुरंत सारे सिंदूर को अपने पूरे शरीर पर लगा लिया था। जिससे उनके प्रभु श्रीराम की उम्र और भी ज्यादा बढ़ जाये।

हनुमान जी की भक्ति कई तरह से की जाती हैं। उनके सामने घी का दीपक जलाकर रोजाना हनुमान चालीसा, संकटमोचन हनुमान अष्टक जैसे पाठ किये जाते हैं, उन्हें सिंदूर अतिप्रिय है इसलिए उन्हें सिंदूर चढ़ाया जाता है।

हनुमान अष्टक संकट मोचन नाम तिहारों( Hanuman Ashtak Sankatmochan Naam Tiharo in Hindi)

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बाल समय रवि भक्षी लियो तब, तीनहुं लोक भयो अंधियारों

ताहि सों त्रास भयो जग को,यह संकट काहु सों जात  न टारो

देवन आनि करी बिनती तब, छाड़ी दियो रवि कष्ट निवारो

को नहीं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो || 1 ||

बालि की त्रास कपीस बसैं गिरि,जात महाप्रभु पंथ निहारो

चौंकि महामुनि साप दियो तब ,चाहिए कौन बिचार बिचारो

कैद्विज रूप लिवाय महाप्रभु,सो तुम दास के सोक निवारो

को नहीं जानत है जग में कपि, संकटमोचन नाम तिहारो || 2 ||

अंगद के संग लेन गए सिय,खोज कपीस यह बैन उचारो

जीवत ना बचिहौ हम सो  जु ,बिना सुधि लाये इहाँ पगु धारो

हेरी थके तट सिन्धु सबे तब ,लाए सिया-सुधि प्राण उबारो

को नहीं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो || 3 ||

रावण त्रास दई सिय को सब ,राक्षसी सों कही सोक निवारो

ताहि समय हनुमान महाप्रभु ,जाए महा रजनीचर मरो

चाहत सीय असोक सों आगि सु ,दै प्रभुमुद्रिका सोक निवारो

को नहीं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो || 4 ||

बान लाग्यो उर लछिमन के तब ,प्राण तजे सूत रावन मारो

लै गृह बैद्य सुषेन समेत ,तबै गिरि द्रोण सु बीर उपारो

आनि सजीवन हाथ  दिए तब ,लछिमन के तुम प्रान उबारो

को नहीं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो || 5 ||

रावन जुध अजान कियो तब ,नाग कि फाँस सबै सिर डारो

श्रीरघुनाथ समेत सबै दल ,मोह भयो यह संकट भारो

आनि खगेस तबै हनुमान जु ,बंधन काटि सुत्रास निवारो

को नहीं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो || 6 ||

बंधू समेत जबै अहिरावन,लै रघुनाथ पताल सिधारो .

देबिन्हीं पूजि भलि विधि सों बलि ,देउ सबै मिलि मन्त्र विचारो

जाये सहाए भयो तब ही ,अहिरावन सैन्य समेत संहारो

को नहीं जानत है जग में कपि,संकटमोचन नाम तिहारो || 7 ||

काज किये बड़ देवन के तुम ,बीर महाप्रभु देखि बिचारो

कौन सो संकट मोर गरीब को ,जो तुमसे नहिं जात है टारो

बेगि हरो हनुमान महाप्रभु ,जो कछु संकट होए हमारो

को नहीं जानत है जग में कपि,कटमोचन नाम तिहारो || 8 ||

॥ दोहा ॥
लाल देह लाली लसे, अरु धरि लाल लंगूर।
वज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर ॥

हनुमान अष्टक संकट मोचन नाम तिहारों का नियमित पाठ करने से हर प्रकार के जीवन संकट, मानसिक शांति और आशीर्वाद की प्राप्ति होती है। हनुमान जी के इस स्तोत्र का पाठ न केवल शारीरिक कष्टों को दूर करता है, बल्कि मानसिक और आत्मिक शक्ति भी प्रदान करता है। हनुमान जी के नाम में असीम शक्ति है, और उनकी उपासना से हर प्रकार का संकट समाप्त हो जाता है।

श्री हनुमान जी की पूजा आराधना में हनुमान चालीसा, बजरंग बाण और संकटमोचन हनुमान अष्टक का पाठ बहुत ही प्रमुख माने जाते हैं। नियमित रूप से संकट मोचन हनुमान अष्टक का पाठ करने से भक्तों पर आये सारे संकट का भी निवारण होता है। जय बजरंगबली।

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