खुद को बदलें

khud ko badlen, Gyan Hans

जीवन में परिस्थितियाँ हमेशा एक सी नहीं होती। परिस्थितियों का बदलाव स्वाभाविक है। परन्तु  कभी-कभी हम अपनी परिस्थितियों से इतने निराश और थक जाते हैं कि हम खुद को बदलने के लिए मजबूर हो जाते हैं। इसके लिए हम कड़ी मेहनत करते हैं। इसके लिए हम कभी-कभी अपनी स्थिति को बदलने के लिए प्रार्थना भी करते हैं। और यह सब बाहरी हालात हैं। यह बदलाव तभी संभव है जब हम अपने अंतर्मन को बदलें, लेकिन यह  केवल तभी संभव है जब हम अपने मन का भगवान के साथ संबंध स्थापित करते हैं। ईश्वर हमें कभी नहीं बताता कि हमें क्या करना है लेकिन वह हमें तरीके दिखाता है कि कैसे करना है। इसके लिए हमें अपने भीतर के विश्वास पर भरोसा करना होगा। एक बार जब हम अपने आप पर भरोसा करना शुरू करते हैं तो हम हर प्रकार के डर और चिंता से बाहर निकल जाते हैं। जब हमारा मस्तिष्क बदलता है तो हमारी वास्तविकता अपने आप बदल जाती है।

कभी कभी हमारे नकारात्मक विचार हम पर और हमारी सोच पर इतने हावी हो जाते है कि हम यह निर्णय नहीं ले पाते की हम गलत है, या समाज। हर छोटी छोटी बात हमें समाज और लोगों के गलत होने का एहसास कराने लगती है। हमारे अंदर खुद के प्रति एक ऐसा बिश्वास हो जाता है की हमें खुद कि कमीं  नजर ही नहीं आती। ऐसी स्थिति में हम खुद को नहीं बल्कि दुनिया को बदलने की कोशिश करने लगते है। परन्तु दुनिया को बदलना वास्तव में मूर्खतापूर्ण है लेकिन खुद को बदलना और मुक्त महसूस करना आसान है।

चीजें कभी अपने आप नहीं बदलतीं, हमें बदलाव के लिए प्रयास करने होंगे। ज्यादातर हम सकारात्मक के बजाय नकारात्मक पर ध्यान केंद्रित करते हैं। जब हम खुद को और अपनी दृष्टि को बदलेंगे तो चीजें उसी के अनुसार दिखाई देंगी। इसका सीधा सा मतलब है कि जब तक हम अपनी सोंच, अपने विचारों में बदलाव नहीं करते हैं तब तक हम आगे नहीं बढ़ते हैं और इसका मतलब है कि तब तक हम वास्तव में अपना जीवन नहीं जी रहे हैं।

इसलिए आंतरिक शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए हमें अपने भीतर की स्थिति का पता लगाने की जरूरत है।  जब सकारात्मकता हमारा जुनून बन जाती है तो यह एक आदत बन जाती है – कि दूसरों को आंकने के बजाय हमें अपने आप को सुंदर और मधुर व्यक्ति बनाने के लिए और अपने भीतर की स्थिति को सुधारने के लिए पूरी एकाग्रता लगा देनी चाहिए।

ज्यादातर समय हमारा मन हमें निर्देश देता है कि हम क्या करें और कैसे करें। लेकिन जब हमारे अंदर एक आंतरिक शक्ति पनप जाती है तो सब कुछ उल्टा हो जाता है। हमें अपने दिमाग को यह निर्देश देने के लिए ज्ञान मिलता है कि हमारे लिए क्या अच्छा और सही है। और जब हम अपने मन की सुनने के बजाय स्वयं मन को निर्देशित करने लगते है तो हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण बदलाव आता है।  इसका मतलब यह है कि हम खुद को क्रोध, हताशा, अस्वस्थ्य, चिंता, अवसाद, आदि से बचाकर खुद पर एक महान एहसान करते हैं।

यह महत्वपूर्ण नहीं है कि हम अपने जीवन में कितने समय तक रहें लेकिन सबसे महत्वपूर्ण यह है कि हम अपनी जिंदगी कैसे जी सकते हैं और खुशी-खुशी कैसे शांति से रह सकते हैं।

 

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