निःस्वार्थ कार्य
एक बार की बात है मछलियों का एक व्यापारी समंदर के किनारे बने हुए अपने आलीशान मकान में रहता था उसके पास ढेर सारी नायें थीं। व्यापारी अक्सर अपने व्यापार के सिलसिले में विदेश आया जाया करता था। व्यापारी के दो छोटे-छोटे बच्चे थे जो बहुत ही नटखट थे। एक बार की बात है व्यापारी व्यापार के सिलसिले में बाहर चला गया था। जाने से पहले उसने एक पेंटर को अपनी नावों को पेंट करने के लिए कहा।
वह पेंटर आकर नावों को पेंट करने का काम करने लगा। पेंट करने के बाद वह अपने घर वापस आ गया। व्यापारी के दोनों छोटे बच्चे पेंट किए हुए एक नाव को लेकर समंदर में चले गए। बच्चों को घर पर ना देख कर व्यापारी की पत्नी उन बच्चों को ढूंढने लगी ।
ढूंढते ढूंढते वह बहुत परेशान हो गई थी। पर बच्चे नहीं मिल रहे थे। व्यापारी घर पर आया तो उसकी पत्नी ने उसे बच्चों के बारे में बताया कि बच्चे सुबह से लापता है। और अभी तक वापस नहीं आए। व्यापारी तुरंत अपनी नावों के पास गया उसने देखा उसकी नावों में से एक नाव गायब थी।
व्यापारी परेशान हो गया वह समझ गया कि उसके बच्चे उस नाव को लेकर समंदर में गए होंगे। व्यापारी बहुत घबरा गया था परंतु थोड़ी ही देर में व्यापारी ने देखा कि समंदर की तरफ से उसे एक नाव आती दिखाई पड़ी। नाव के नजदीक आने पर पता चला कि वह वही नाव थी जो उसके बच्चे लेकर समंदर में गए थे। दोनों बच्चे उस नाव में सवार थे।
बच्चे वापस आ गए व्यापारी और उसकी पत्नी दोनों बहुत खुश हुए। व्यापारी ने तुरंत पेंटर को बुलावा भेजा। व्यापारी का बुलावा सुनकर पेंटर बहुत घबरा गया उसे लगा कि उसने जो पेंट किया है उसमें कुछ ना कुछ गड़बड़ हो गया है।
पेंटर पहुंचा तो वहां ढेर सारी भीड़ को देखकर वह और भी घबरा गया। इतने में व्यापारी पेंटर के पास आया और पेंटर को देखकर कहा-तुमने आज क्या काम किया है ? पेंटर नावों की तरफ इशारा करते हुए कहा कि आज मैंने आपके कहेनुसार इन सभी नावों को पेंट किया है।
कितनी मजदूरी हुई -व्यापारी ने पूछा ?
पेंटर ने कहा -1000 रूपये।
व्यापारी ने अपने सूटकेस से एक लाख रूपये के नोटों का बंडल निकालकर पेंटर के सामने रख दिया।
पेंटर हैरान हो गया और वहां पर मौजूद सभी लोग आश्चर्यचकित हो गए कि व्यापारी ये क्या कर रहा है। सभी के बोलने से पहले ही व्यापारी ने पेंटर से कहा कि तुमने आज वह काम किया है जिसकी वजह से हमारे बच्चे सुरक्षित है। ऐसा काम करके तुमने हमने बच्चों को नया जीवन दिया है।
तुम्हारी वजह से हमारे दोनों बच्चों की जान बच गई, दरअसल हमारे बच्चे जिस नाव को लेकर समंदर में गए थे उस नाव में एक छेद था। और तुमने बिना कोई पैसे मांगे निस्वार्थ भाव से अपने काम को बखूबी निभाया और उस नाव के छेद को भर दिया। तुम्हारे इस निःस्वार्थ कार्य की वजह से हमारे बच्चे सुरक्षित हैं, इसलिए मैं जीवन भर अब तुम्हारा ऋणी हो गया हूं। यह छोटी सी रकम तुम्हारे लिए एक तोहफा मात्र है और तुम्हारे कार्य के बदले में यह कुछ भी नहीं है। वहां पर उपस्थित सभी लोग व्यापारी की बात सुनकर बहुत प्रसन्न हुए और खुश होकर तालियां बजाने लगे।
अक्सर जीवन में ज्यादातर हम वही कार्य करना पसंद करते हैं जिसकी हमें कीमत मिलती है। परन्तु हमें अपने कार्य को एक पूजा मानकर करना चाहिए है। कीमत अदा किये गए कार्य के साथ साथ उन छोटे छोटे कार्यों को भी अवश्य करना चाहिए जो आवश्यक हो। क्योंकि कई बार एक छोटी चीज को छोड़ देना बाद के लिए बहुत बड़ी कीमत चुकाने का कारक बन जाता है। ऐसा नहीं है की आपको उस छोटे से कार्य के बदले कुछ नहीं मिलता। वह छोटा सा कार्य आपकी काम के प्रति ईमानदारी को दर्शाता है। और आप को आत्म संतुष्टि अवश्य प्रदान करता है। और कई बार तो आपको भी उस पेंटर की भांति छोटे से निःस्वार्थ कार्य के बदले उम्मीद से बहुत ज्यादा मिल जाता है।