हाथी और खरगोश की कहानी Story of elephant and rabbit
एक जंगल में हाथियों का एक विशाल झुण्ड रहता था, उस झुण्ड के राजा का नाम गजराज था। वह बहुत गम्भीर और शक्तिशाली था। गजराज के शासन में वे सब सुखपूर्वक रहने थे।
Story of elephant and rabbit
छोटी-बड़ी सभी समस्याओं का समाधान करते थे। एक बार उसके क्षेत्र में वर्षा न होने के कारण सूखा पड़ गया। जंगल के सभी जानवर बहुत उदास हुए और भोजन और पानी के लिए तरसने लगे। सभी हाथियों ने गजराज को कोई हल निकालने को कहा क्योंकि अब हाथियों के बच्चों भी बूंद-बूंद पानी के लिए तरसने लगे।
गजराज सभी समस्याओं को पहले से ही जानता था। लेकिन उसे कोई उपाय नहीं सूझ रहा था। तब एक बूढ़े हाथी ने कहा – “मेरे दादाजी के समय में भी ऐसा ही सूखा पड़ा था, तब हाथियों का झुंड पश्चिम की ओर चला गया और वहाँ एक विशाल सरोवर है जिसका पानी कभी नहीं सूखता, हमें भी वहाँ चलना चाहिए।”
बूढ़े हाथी का सुझाव गजराज और पूरे झुंड को पसंद आया। उन सबने वहाँ जाने का निश्चय किया। दिन के समय बहुत गर्मी थी, इसलिए वे सभी रात में यात्रा करते थे और कुछ दिनों की यात्रा के बाद वे उस झील पर पहुंचे और सभी ने जी भर कर पानी पिया और स्नान भी किया।
झील के आसपास बड़ी संख्या में खरगोश भी रहते थे। हाथियों के आने से उनमें अशांति आ गई। अब प्रतिदिन कोई न कोई खरगोश हाथियों के पैरों के नीचे आ जाता था और कुछ गम्भीर रूप से घायल हो जाते थे और कुछ मर भी जाते थे। सभी खरगोश बहुत परेशान हुए और उन्होंने आपात बैठक बुलाई। बैठक में तरह-तरह के विचार रखे गए, किसी खरगोश ने इस जगह को छोड़कर कहीं और जाने की सलाह दी तो किसी ने हाथियों से बदला लेने की बात कही।
तभी एक खरगोश बोला: “दोस्तों, हाथी बहुत बड़ा जीव है, इसे जीतना शेर के वश में भी नहीं है, और हम तो बहुत छोटे जीव हैं। हमें अपनी बुद्धि का उपयोग करना होगा। हमें चतुराई से काम लेकर हाथियों को यहां से भगाना होगा। इसके बाद खरगोश ने सभी को एक योजना बताई। सभी खरगोशों को उसकी योजना पसंद आई और उन्होंने इसे लागू करने का फैसला किया।
योजना के अनुसार, “छोटू नाम के एक खरगोश को योजना के मुख्य पात्र के रूप में चुना गया था क्योंकि छोटू खरगोश बहुत होशियार था और चीजों को करने में बहुत माहिर था। सभी खरगोशों ने मिलकर छोटू को अपना दूत बनाया और उसे हाथियों के पास भेज दिया।
छोटू जाकर एक ऊँचे पहाड़ पर बैठ गया। इस टीले के पास हाथी पानी पीने जाया करते थे, हाथियों का झुंड टीले के पास से गुजरते ही छोटू ने कहा, “हे गजराज! मेरा नाम छोटू है और मैं चंद्रदेव का दूत हूं। चन्द्रमा हमारा गुरु है और मैं उन्हीं का संदेश लेकर आया हूँ।
हाथी और खरगोश की कहानी Story of elephant and rabbit
गजराज और उसका झुण्ड अचानक वहीं रुक गया और छोटू की बात सुनकर गजराज ने पूछा, “अरे भाई! क्या सन्देश लाए हो?
छोटे खरगोश ने कहा, “आपका झुंड इस तालाब के पास रहने लगा है, यहाँ रहने वाले बहुत से खरगोश हाथियों के पैरों के नीचे आने से मारे गए या घायल हुए हैं। यह सब देखकर हमारे प्यारे चन्द्र देव बहुत क्रोधित हैं और यदि हाथियों का झुंड इस स्थान को नहीं छोड़ता है तो वे आपको शाप देंगे। ,
गजराज को खरगोश छोटू की बातों पर विश्वास नहीं हुआ और उसने छोटू से पूछा, “कहां है चंद्रदेव?” मैं इसे भी देखना चाहता हूं।
छोटू ने कहा, “आज चंद्रदेव स्वयं यहां आए हैं, यदि आप उन्हें देखना चाहते हैं तो मेरे साथ आइए।”
वह रात पूर्णिमा की रात थी और तालाब में चन्द्रमा का प्रतिबिम्ब ऐसा दिखाई दे रहा था मानो चन्द्रदेव वास्तव में वहीं बैठे हों। चंद्रदेव को देखकर गजराज बहुत डर गया और गजराज की दशा देखकर छोटू बोला, “गजराज! अब आप आश्वस्त हो गए हैं और यदि आपको कोई संदेह है तो चंद्रदेव से पूछें कि आपके सामने कौन है।
जैसे ही गजराज चंद्रदेव को प्रणाम करने के लिए सूंड को पानी के पास ले गया, सूंड से हवा आने के कारण प्रतिबिंब हिलने लगा। यह देखकर गजराज डर गया और पीछे हट गया। छोटू ने इसे उपयुक्त अवसर समझकर कहा, ”देख गजराज! चंद्रदेव के कोप और श्राप से तुम्हें कोई नहीं बचा पाएगा।
छोटू की बातें सुनकर और डर के मारे गजराज और उसका झुंड उस जगह से चले गए। हाथियों के जाते ही खरगोशों में खुशी की लहर दौड़ गई और सभी ख़ुशी ख़ुशी रहने लगे।
हाथियों के झुंड के चले जाने के कुछ दिनों बाद बारिश होने लगी और जल संकट समाप्त हो गया। अब जंगल के सभी जानवर प्रशन्नता पूर्वक जीवन यापन करने लगे।