खरगोश और मेढक की कहानी

खरगोश और मेढक की कहानी Story of the rabbit and the frog

Story of rabbit and frog

Story of the rabbit and the frog – एक बार की बात है, गर्मी के दिनों में कुछ खरगोश एक सूखी झाड़ी में जमा हो गए। खरगोश आज एक विशेष विषय पर बात करने वाले थे और सभी खरगोशों को आने का आदेश दिया गया। गर्मी अपने चरम पर थी, मानो सूरज अपनी आग की लपटों से पृथ्वी पर सभी को जलाने की कोशिश कर रहा हो।

उन सभी खरगोशों को भूख लगी थी क्योंकि उन दिनों खेतों में खाना नहीं था और इन दिनों सुबह-शाम गांव के बाहर घूमने वाले कुत्ते उन्हें बहुत परेशान करते थे। उन खरगोशों को देखते ही कुत्तों ने उनका पीछा करना शुरू कर दिया, जिससे खरगोशों को अपनी जान बचाने के लिए खेत की झाड़ियों में छिपना पड़ता था, लेकिन गर्मी के कारण खेत की झाड़ियां सूख चुकी थीं।

जब कुत्ते दौड़ाते तो खरगोशों के लिए छिपने की जगह ढूंढना बहुत मुश्किल होता था। ये सभी खरगोश इन सभी दुखों से बहुत परेशान थे।

Story of the rabbit and the frog

झाड़ी में सारे खरगोश इकट्ठा हो गए। एक खरगोश ने कहा- ‘ब्रह्माजी ने हमारी जाति के साथ बहुत बड़ा अन्याय किया है, एक तो हमें इतना छोटा और कमजोर बना दिया है। संकट के समय हम अपना बचाव कैसे कर सकते हैं? उन्होंने हमें न तो मृग जैसे सींग दिए, न बिल्ली जैसे नुकीले पंजे, न तो शेर जैसी ताकत ।

हमारे पास अपने दुश्मनों से बचने का कोई रास्ता नहीं है। हमें सबके सामने भागना पड़ता है। सृष्टिकर्ता ने सभी विपत्तियों को सिर्फ हमारे लिए ही बनाया है। अब हम करें तो क्या करें ?

दूसरे खरगोश ने कहा- ‘मैं अब दुख और दर्द से भरी इस जिंदगी से बहुत निराश हो गया हूं। मैंने तालाब में डूब कर मरने का फैसला किया है।

दूसरे खरगोश की बात सुनकर तीसरे खरगोश ने कहा- ‘मैं भी मरना चाहता हूं। मैं अब और दर्द नहीं सह सकता। मैं अब तालाब में कूद कर प्राण त्याग देता हूँ, मुझे इस दयनीय जीवन से मुक्ति मिलेगी, और मुझे रोज मरना नहीं पड़ेगा।

उस खरगोश की बात सुनकर सभी खरगोश बोले, हम सब आपके साथ चलते हैं। हम सब साथ जियें हैं तो साथ मरेंगे, जान देने की बात सुनकर सारे खरगोश एक स्वर में बोले। और सब मिलकर तालाब की ओर चल पड़े।

कई मेंढक तालाब के पानी से बाहर आकर किनारे पर बैठे थे। अचानक जब उन्होंने खरगोशों के आने की आवाज सुनी तो सभी मेंढक पानी में कूद पड़े। मेंढ़कों को डर के मारे पानी में कूदता देख खरगोश रुक गए। मेंढकों की इस हरकत से सभी खरगोश हैरान रह गए।

एक खरगोश ने कहा – ‘भाइयों! मरने की कोई जरूरत नहीं है, लौट चलों । जब हमसे छोटे और हमसे ज्यादा डरने वाले जीव ब्रह्मा की रचना में हैं और ये जीते हैं, तो हमें जीवन से निराश क्यों होना चाहिए? इन्हें देखो ये हमें देखकर डर गए और पानी में कूद गयें। इसलिए हम इतने भी छोटे और कमजोर नहीं हैं। हमें आत्महत्या जैसा कुकृत्य नहीं करना चाहिए।

सभी खरगोश उस खरगोश की बात से सहमत हो गए और उसकी बात सुनकर खरगोशों ने आत्महत्या करने का विचार त्याग दिया और वापस लौट गए।

जब आप पर विपत्ति आए और आप भयभीत हों, तो देखें कि दुनिया में कितने लोग आपसे ज्यादा दुखी, गरीब, बीमार और संकट में हैं। पहले उन्हें देखें और उन्हें देखने के बाद खुद तय करें कि आप उनके सामने कितने अच्छे हैं। घबरायें नहीं बल्कि आपको भगवान का शुक्रिया अदा करना चाहिए कि आप जो जिंदगी जी रहे हैं, कई लोगों के पास उस तरह की जिंदगी नहीं होती है। ऐसे बहुत सारे लोग होंगे जो आप जैसी जिंदगी जीना चाहते होंगे।

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