Sunday, December 7, 2025

Top 5 This Week

Related Posts

सकारात्मक सोच की ताकत -कैसे हर घटना को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखें

🌻सकारात्मक सोच की ताकत | एक प्रेरणादायक कहानी

सकारात्मकता, सकारात्मक चीजों को और नकारात्मकता, नकारात्मक चीजों को आकर्षित करती है। हमारे जीवन में सकारात्मक और नकारात्मकता की शक्ति बहुत बड़ी होती है। हर दिन हम अपने आस-पास न जाने कितने चेहरों को देखते हैं—कुछ मुस्कराते हुए और कुछ गमगीन। नाखुश चेहरों  को देखकर नकारात्मकता का अनुभव होता है और खुश चेहरे, किसी और के चेहरों पर भी मुस्कराहट बिखेर देते है।

जो लोग हमेशा प्रसन्न चित्त रहते है, ऐसा नहीं है की उनकी जिंदगी में कोई दुःख नही होता ? हर व्यक्ति के जीवन में दुःख और समस्याएँ आती हैं, लेकिन प्रसन्नचित्त व्यक्ति हमेशा उन समस्याओं को सकारात्मक नजरिये से देखते है और प्रायः खुश रहने की कोशिश करते है। हर सिक्के के दो पहलू होते हैं, और यह हम पर निर्भर करता है कि हम कौन सा पहलू देखते हैं—नकारात्मक या सकारात्मक।

हम इसे एक छोटी सी कहानी के माध्यम से और बेहतर समझ सकते हैं।

कहानी: सकारात्मक दृष्टिकोण

एक प्रसिद्ध लेखक अपनी कक्ष में बैठे थे और अपने गुजरे हुए वर्ष के बारे में लिख रहे थे। वह लिखते हैं:

“पिछले साल, मुझे घुटने की सर्जरी करानी पड़ी, जिसके कारण मैं बहुत समय तक बिस्तर पर था और चल फिर भी नहीं सकता था। इसी साल, मैंने 60 वर्ष की उम्र में सेवानिवृत्त होने का निर्णय लिया और अपनी पसंदीदा नौकरी छोड़ दी। मैंने अपने जीवन के 34 साल उसी कंपनी में बिताए थे। इसके अलावा, मेरी माँ की मृत्यु का दुःख सहना पड़ा और मेरी बेटी एक कार दुर्घटना में घायल हो गई, जिससे उसे अपनी मेडिकल परीक्षा में असफलता का सामना करना पड़ा। उसे अस्पताल में कई दिनों तक रहना पड़ा और कार के नष्ट होने से एक और नुकसान हुआ।”

लेखक ने लिखा, “हे भगवान! यह साल बहुत बुरा था!”

तभी लेखक की पत्नी कमरे में आई। वह अपने पति की उदासी को देखकर चिंतित हो गई। उसने लेखक के लिखे हुए शब्दों को पढ़ा और चुपचाप कमरे से बाहर चली गई। थोड़ी देर बाद वह एक नए कागज के साथ लौटी और उस पर लिखे शब्दों को पढ़ने के लिए लेखक को दिया।

उस कागज पर लिखा था:

“पिछले साल, मुझे अपने घुटनों के दर्द से छुटकारा मिला, जिससे वर्षों तक मुझे परेशानी हुई थी। 60 वर्ष की उम्र में मैंने सेवानिवृत्त होकर अब अपने समय का बेहतर उपयोग करना शुरू किया है, जिससे मैं और भी बेहतर लिख सकता हूँ। उसी साल, मेरी माँ 92 वर्ष की उम्र में बिना किसी पर निर्भर हुए, स्वाभाविक रूप से पंचतत्व में विलीन हो गई। इसी साल मेरी बेटी ने एक नई जिंदगी पाई, और कार दुर्घटना के बावजूद, वह पूरी तरह से ठीक हो गई।”

लेखिका ने अंत में लिखा: “हे भगवान! यह वर्ष एक अपार आशीर्वाद था और यह बहुत अच्छा था!”

लेखक इस बदलाव को देखकर हैरान रह गए और सोचने लगे कि उनके द्वारा लिखी गई घटनाएँ कैसी अलग-अलग दृष्टिकोण से देखी जा सकती हैं।

संदेश –

यह कहानी हमें सिखाती है कि जीवन में जब भी हमें दुःख या कठिनाई का सामना करना पड़े, हमें उसका एक सकारात्मक पहलू भी देखना चाहिए। दुःख और कठिनाई का हिस्सा तो हमेशा होता है, लेकिन इसे कैसे देखना है, यह हमारे दृष्टिकोण पर निर्भर करता है।

जीवन में आभार और सकारात्मक दृष्टिकोण

हमारे जीवन में घटनाएँ अक्सर हमारे नियंत्रण से बाहर होती हैं, लेकिन हमारा दृष्टिकोण पूरी तरह से हमारे हाथ में होता है। किसी भी परिस्थिति में, अगर हम कृतज्ञता और सकारात्मक सोच को अपनाएं तो हम न केवल अपने जीवन में सुख शांति ला सकते हैं, बल्कि दूसरों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकते हैं।

याद रखें, यह खुशी नहीं है जो हमें कृतज्ञ बनाती है, बल्कि कृतज्ञता और आंतरिक शांति हमें खुश रखती है।

सकारात्मक सोचें… खुश रहें…

🌿निष्कर्ष (Conclusion):

यह कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन में क्या घटित होता है, यह उतना महत्वपूर्ण नहीं है जितना कि हम उसे कैसे देखते हैं। यदि हम चीजों को सकारात्मक दृष्टिकोण से देखेंगे, तो जीवन में हर कठिनाई एक अवसर बन जाएगी। जीवन में खुशी सिर्फ इस बात पर निर्भर नहीं करती कि हमारे साथ क्या हो रहा है, बल्कि इस बात पर निर्भर करती है कि हम हर परिस्थिति को किस नजरिए से देखते हैं।

सकारात्मक सोच से हम अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं और खुश रह सकते हैं। यही सबसे महत्वपूर्ण है – नकारात्मकता से बचें और हर दिन को सकारात्मक रूप से जीने की कोशिश करें।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Popular Articles

error: Content is protected !!