गरीब ब्राह्मण Story of the poor brahmin
एक गांव में एक गरीब ब्राह्मण रहता था। वह बिल्कुल अकेला था, उसके पास न कोई दोस्त था और न ही कोई रिश्तेदार। लोग उसे उसके कंजूस स्वभाव के लिए जानते थे, और वह भीख मांगकर अपना गुजारा करता था। वह जो भी भोजन मांगकर लाता था, उसे एक मिट्टी के बर्तन में रखता था, जिसे उसने अपने बिस्तर के पास लटका रखा था। यह इसलिए कि जब भी उसे भूख लगे, वह आसानी से उस बर्तन से भोजन ले सके।
एक दिन, ब्राह्मण को इतना अधिक चावल का मांड (पानी के साथ पका हुआ चावल) मिला कि वह पेट भरने के बाद भी बहुत सारा मांड बच गया। उसने बचा हुआ मांड अपने मिट्टी के बर्तन में डाल दिया और सो गया। उस रात, ब्राह्मण ने सपना देखा कि उसका बर्तन मांड से लबालब भरा हुआ है। उसके सपने में वह सोचने लगा कि अगर अकाल पड़ा तो वह इस मांड को बेचकर चांदी कमा सकता है।
चांदी मिलने के बाद वह सोचने लगा कि इस चांदी से वह दो बकरियां खरीद लेगा। थोड़े ही समय में उन बकरियों के बच्चे हो जाएंगे और वे बकरियां बढ़ते-बढ़ते एक बड़े झुंड में बदल जाएंगी। इस झुंड को बेचकर वह भैंसें खरीद लेगा। भैंसें दूध देंगी और उनसे वह तरह तरह की चीजें बना सकेगा। इन चीजों को बाजार में बेचकर वह और भी ज्यादा पैसा कमा सकेगा।
अब, जब उसके पास बहुत सारा पैसा हो जाएगा, तो वह एक अमीर महिला से शादी करेगा। वे दोनों मिलकर एक सुखी परिवार बनाएंगे और उनका एक बेटा होगा। ब्राह्मण सपने में अपने बेटे की कल्पना करने लगा, कि वह बेटे को खूब प्यार देगा, लेकिन जब बेटा उसकी बात नहीं मानेगा, तो वह उसे डांटेगा भी। उसने सोचा कि जब बेटा उसकी बात नहीं सुनेगा, तो वह उसे एक छड़ी से मारने दौड़ेगा।
सपने में इतना खो गया कि उसने बिस्तर के पास रखी एक छड़ी उठा ली और हवा में ही मारने लगा, मानो वह अपने बेटे को मार रहा हो। इसी दौरान, वह मिट्टी के बर्तन को भी छड़ी से मार बैठा। बर्तन टूट गया, और उसमें रखा सारा मांड उसके ऊपर गिर गया। ब्राह्मण घबराकर जागा और देखा कि उसका सपना टूट चुका है और बर्तन में रखा सारा मांड बह गया है।
उस क्षण, ब्राह्मण को एहसास हुआ कि वह सिर्फ सपनों में खोया हुआ था और उसकी कल्पनाएं यथार्थ से बहुत दूर थीं।
इस कहानी से शिक्षा मिलती है – हमें हवाई किले नहीं बनाना चाहिए। वास्तविकता में जीना और अपनी मेहनत से ही लक्ष्य को प्राप्त करना महत्वपूर्ण है। सपने तो सिर्फ सपने होते हैं इनमें खोने से कुछ हासिल नहीं होता।