Wednesday, November 12, 2025

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आसमान नीला क्यों दिखाई देता है? | Why Does the Sky Appear Blue in Hindi

आसमान नीला क्यों दिखाई देता है?

यह एक ऐसा सवाल है जो लगभग हर बच्चे के मन में कभी न कभी आता है — “आसमान नीला क्यों दिखाई देता है?”
कई लोग मानते हैं कि आसमान का रंग समुद्र से झलकता है, लेकिन यह पूरी तरह गलत धारणा (Myth) है।
असल में, यह एक वैज्ञानिक कारण है जो सूर्य के प्रकाश और पृथ्वी के वातावरण से जुड़ा है।

सूर्य के प्रकाश का रंग क्या होता है?

सूर्य से आने वाला प्रकाश सफेद दिखाई देता है, लेकिन वास्तव में यह इंद्रधनुष के सभी सात रंगों (लाल, नारंगी, पीला, हरा, नीला, जामुनी और बैंगनी) से मिलकर बना होता है।

जब यह प्रकाश पृथ्वी के वायुमंडल (Atmosphere) में प्रवेश करता है, तो यह हवा में मौजूद गैसों और धूल के सूक्ष्म कणों से टकराकर हर दिशा में बिखर (Scatter) जाता है।
इसे ही प्रकीर्णन (Scattering) कहा जाता है।

न्यूटन की खोज – प्रकाश के रंगों का रहस्य

महान वैज्ञानिक आइजैक न्यूटन (Isaac Newton) ने यह खोज की थी कि अगर सफेद प्रकाश को प्रिज़्म (Prism) से गुजारा जाए, तो वह विभिन्न रंगों में विभाजित हो जाता है — जिसे स्पेक्ट्रम (Spectrum) कहते हैं।
उन्होंने यह भी सिद्ध किया कि यह प्रिज़्म नहीं बल्कि प्रकाश की प्रकृति है जो रंगों को अलग-अलग दिखाती है।

प्रत्येक रंग की तरंग दैर्ध्य (Wavelength) अलग होती है —

  • 🔴 लाल (Red) रंग की तरंग सबसे लंबी होती है।
  • 🟣 बैंगनी (Violet) रंग की तरंग सबसे छोटी होती है।

छोटी तरंग दैर्ध्य वाले रंग, जैसे नीला और बैंगनी, वायुमंडल में ज्यादा प्रकीर्णित (Scattered) होते हैं।

फिर आसमान बैंगनी क्यों नहीं दिखता?

अगर सबसे ज्यादा बैंगनी रंग (Violet) बिखरता है, तो आसमान बैंगनी क्यों नहीं दिखता?
इसका जवाब हमारी आंखों की संरचना में छिपा है।

हमारी आंखों में फोटोरेसेप्टर कोशिकाएं (Photoreceptor cells) होती हैं जिन्हें कॉन्स (Cones) कहा जाता है।
ये तीन प्रकार की होती हैं —
🔴 लाल रंग पहचानने वाली
🟢 हरे रंग पहचानने वाली
🔵 नीले रंग पहचानने वाली

हमारी आंखें बैंगनी (Violet) रंग के प्रति कम संवेदनशील होती हैं, और उसका कुछ हिस्सा वायुमंडल द्वारा अवशोषित (Absorbed) भी कर लिया जाता है।
इसलिए हमें आसमान नीला (Blue) दिखाई देता है, क्योंकि यह दूसरा सबसे ज्यादा बिखरने वाला रंग है।

सूर्यास्त और सूर्योदय के समय आसमान के रंग क्यों बदलते हैं?

जब सूर्य क्षितिज के पास होता है (सूर्योदय या सूर्यास्त के समय), तब सूर्य की रोशनी को पृथ्वी के वातावरण से ज्यादा दूरी तय करनी पड़ती है।
इस दौरान नीली और बैंगनी तरंगें बिखर जाती हैं, और हमारी आंखों तक लाल, नारंगी और पीले रंग की रोशनी पहुंचती है।

इसलिए सूर्यास्त या सूर्योदय के समय आकाश लालिमा लिए हुए दिखाई देता है।

अगर वातावरण साफ है तो सूर्यास्त पीला या सुनहरा दिखता है,
और अगर प्रदूषण या धूल ज्यादा है, तो वह गहरा लाल या नारंगी हो जाता है।

सावधानी – सूरज की ओर सीधे देखें

सीधे सूर्य की ओर देखना आंखों के लिए बेहद हानिकारक है।
यह आपकी रेटिना (Retina) को स्थायी रूप से नुकसान पहुंचा सकता है।
इसलिए कभी भी बिना सुरक्षा चश्मे के सूर्य की ओर न देखें।

🌈 निष्कर्ष (Conclusion):

आसमान का नीला दिखना एक सुंदर प्राकृतिक वैज्ञानिक घटना है,
जो हमें सिखाती है कि प्रकृति के हर रंग के पीछे एक अद्भुत विज्ञान छिपा है।

अब जब कोई आपसे पूछे, “आसमान नीला क्यों होता है?” तो आप गर्व से जवाब दे सकते हैं —

“क्योंकि हवा के अणु नीली रोशनी को बाकी रंगों से ज्यादा बिखेरते हैं,
और हमारी आंखें नीला रंग सबसे साफ़ देख पाती हैं।”

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