अकबर के अनमोल सवाल – अकबर बीरबल की मजेदार कहानी | Akbar Birbal Stories in Hindi
आज दरबार वक्त से पहले ही लग गया था। बादशाह अकबर अपने समय से पहले ही दरबार में आकर बैठ गए थे। शहंशाह अकबर की एक खासियत यह थी, कि जब वह फुर्सत में होते थे, तब तरह-तरह के विचार उनके मन में उत्पन्न हो जाया करते थे और फिर वे दरबारियों से उन सवालों का समाधान पूछते थे। बीरबल आज दरबार में नहीं थे। शहंशाह अकबर ने दरबारियों से पूछा, “दूध किसका अच्छा, फूल किसका अच्छा, पत्ता किसका अच्छा, राजा कौन अच्छा और मिठाई किसकी अच्छी?”
शहंशाह अकबर के सवाल सुनते ही दरबारी आपस में फुसफुसाने लगे। किसी दरबारी ने गाय के दूध को अच्छा बताया तो किसी दरबारी ने भैंस का और किसी ने बकरी का दूध अच्छा बताया। इसी तरह से किसी दरबारी ने गुलाब का फूल अच्छा बताया तो किसी दरबारी ने कमल का। किसी दरबारी ने केले के पत्ते को अच्छा बताया तो किसी दरबारी ने नीम के पत्ते को अच्छा बताया।
किसी दरबारी ने राजा कौन अच्छा के जवाब में शहंशाह को अच्छा बताया और अंतिम सवाल के जवाब में किसी दरबारी ने गन्ना को अच्छा बताया तो किसी दरबारी ने अंगुर को और किसी दरबारी ने मिष्ठान को अच्छा बताया, लेकिन बादशाह अकबर उनके जवाब संतुष्ट नहीं हुए।
उसी वक्त दरबार में बीरबल आ गए। उनको देखते ही बादशाह के चेहरे पर चमक आ गई। बीरबल के बैठने से पहले ही शहंशाह अकबर ने उपरोक्त पांचों सवालों के जवाब पूछे।
सवाल सुनकर बीरबल कुछ पल तक शांत रहे, फिर बोले –
“जहांपनाह, माँ का दूध सबसे अच्छा होता है क्योंकि वह जीवन देता है।
कपास का फल सबसे अच्छा होता है, क्योंकि उससे सबके तन ढकते हैं।
पान का पत्ता सबसे अच्छा होता है, क्योंकि वह दुश्मन को भी दोस्त बना सकता है।
राजाओं में इन्द्र सबसे अच्छे हैं, क्योंकि वे वर्षा कराते हैं जिससे सबका जीवन चलता है।
और मिठाई में सबसे अच्छी होती है — वाणी की मिठास, क्योंकि मीठे बोल से हम पूरे संसार को अपना बना सकते हैं।”
शहंशाह ने सिंहासन से उठकर बीरबल को गले से लगा लिया और कहा, “बीरबल, तुमने अपने जवाब से मुझे तृप्त कर दिया।
🌿 कहानी से शिक्षा (Moral):
इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है कि मीठे शब्द और सच्चे विचार ही सबसे बड़ी संपत्ति हैं।
हर सवाल का उत्तर बुद्धिमानी और धैर्य से देना चाहिए, क्योंकि सही सोच हमेशा सम्मान दिलाती है।

