एक महिला का चरित्र

एक महिला का चरित्र Character of a woman

एक बार एक पढ़ा-लिखा शहरी आदमी किसी गांव से गुजर रहा था तो उसने उस गांव के कुएं पर पानी भर रही एक महिला को देखा तो रस्सी, सुराही और कुआं देखकर उसकी प्यास छटपटा उठी !! उसने सोचा क्यों न गांव के कुएं का ठंडा पानी पिया जाए। यही सोचते सोचते वह कुएँ के पास पहुँच गया !!

एक महिला का चरित्र Character of a woman

एक महिला का चरित्र Character of a woman

“क्या आप मुझे इस कुएं से ठंडा पानी दे सकती हैं? मुझे बहुत जोर की प्यास लगी है”

वह औरत बहुत ही सुंदर और तेज दिमाग की लग रही थी, उसने कहा “हाँ, क्यों नहीं, हमारे देश में दुश्मन को भी पानी पिलाने का रिवाज चल रहा है, और तुम तो परदेशी हो।”

उस औरत की बात सुनकर नगर का आदमी बहुत खुश हुआ और पानी पीने लगा !!

जब उसकी प्यास बुझी तो उसने स्त्री से एक प्रश्न किया ??

“आप बहुत सुंदर और बुद्धिमान दिख रही हैं, क्या आप मेरा एक संदेह दूर कर सकती हैं”

उस महिला ने कुछ सोचा और कहा, “हाँ, विदेशी, मुझे बताओ, तुम्हारी शंका क्या है?”

उस व्यक्ति ने कहा “कहा जाता है कि औरत के चरित्र को तो भगवान भी नहीं समझ पाए, तो और कौन समझ सकता है, क्या यह सच है और क्या है इस कहावत का मतलब।

उसकी बात सुनकर अगले ही पल वह महिला जोर-जोर से चिल्लाने लगी, “बचाओ, बचाओ”।

और उसने घड़े में रखा सारा पानी अपने ऊपर उण्डेल दिया, और पूरी गीली हो गयी।

उस शहरी बाबू को कुछ समझ नहीं आ रहा था, असमंजस की स्थिति में खड़ा था, फिर उसने हाथ जोड़कर विनती की, “बहन, लगता है आपने मुझे गलत समझा है, मैं तो ऐसे ही पूछने लगा”।

इतने में गांव के बहुत लोग जमा हो गए, शहरी बाबू को लगा कि ये सब गलत समझेंगे और मुझे मार मार कर मार डालेंगे, शायद मैंने गलत सवाल गलत जगह पूछ लिया।

गाँव के बाल ने औरत से पूछा, ” क्या हुआ?”

उसने शहरी बाबू की ओर तिरछी निगाह से देखा और बोली “मैं इस कुएँ में गिर गई थी, अगर यह शहरी बाबू समय पर यहाँ न पहुँचती तो शायद मैं डूब जाती।”

उस औरत की बात सुनकर गांव वालों ने उसकी खूब तारीफ की और धन्यवाद भी कहा !! और कुछ देर बाद सारी भीड़ तितर-बितर हो गई। अब वहां केवल वे दोनों ही रह गए थे। शहरी बाबू अब भी बेहोश खड़ा था, उसे समझ नहीं आ रहा था कि एक पल पहले तो मुझे मरवा ही डालेगा और अगले ही पल उसने गाँव वालों के सामने मुझे मसीहा बना दिया।

उस औरत ने कहा, “अब तो समझ गए होंगे एक महिला के चरित्र के बारे में।”

उसने उस औरत के सामने हाथ जोड़कर कहा, “हाँ, मैं सब कुछ समझता हूँ, अगर हम किसी महिला को हीन, कमजोर और कमजोर समझते हैं, तो वह हमें सिंहासन से फर्श पर लाने में देर नहीं करेगी, और हम उसका इलाज करते हैं।” सम्मान और दया वाली महिला।” अगर हम इसे दृष्टि से देखें तो यह इंसान को भगवान की उपाधि भी दे सकता है।

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