गंदी बातों का असर Effect of dirty talk
एक गाँव में एक बहुत ही समझदार और संस्कारी महिला रहती थी। एक बार वह अपने बेटे के साथ सुबह-सुबह कहीं जा रही थी, तभी एक पागल औरत माँ और बेटे दोनों के रास्ते में आ गई और लड़के की माँ को गालियाँ देने लगी। इस पागल औरत ने लड़के की माँ को बहुत गालियाँ दीं लेकिन फिर भी उस औरत की बातों का माँ पर कोई असर नहीं हुआ और वो मुस्कुराती हुई आगे बढ़ गई।
गंदी बातों का असर Effect of dirty talk
जब उस पागल औरत ने देखा कि उसकी बातों का इस औरत पर कोई असर नहीं हो रहा है तो वह और भी गुस्सा हो गई और सोचने लगी कि मैं तो और बुरा बोलती हूं। अब वह पागल औरत उस लड़के की माँ, उसके पति और परिवार के बारे में भला-बुरा कहने लगी। लड़के की माँ फिर भी बिना कुछ बोले आगे बढ़ती रही। काफी देर तक भला-बुरा कहने के बाद भी जब सामने से कोई जवाब नहीं आया तो पागल औरत थक कर लड़के की मां के रास्ते से हटकर दूसरे रास्ते चली गई।
उस औरत के जाते ही बेटे ने अपनी माँ से पूछा कि माँ, उस औरत ने आपको इतनी बुरी बातें कही, पिता और घर के अन्य लोगों को बुरा भला कहा, आपने उस दुष्ट की बातों का जवाब क्यों नहीं दिया? जो स्त्री मन में आई वह कहती रही और तुम मुस्कराते रहे, क्या उसकी बातों से तुम्हें तनिक भी दुख नहीं हुआ?
उस वक्त मां ने बेटे को कोई जवाब नहीं दिया और चुपचाप घर जाने को कहा। जब दोनों अपने घर के अंदर पहुंचे तो मां ने कहा कि तुम यहां बैठो, मैं आती हूं। कुछ देर बाद मां अपने कमरे से कुछ मैले कपड़े लाई और बेटे से कहा कि ये ले जाओ, तुम अपने कपड़े उतारो और इन कपड़ों को पहन लो। इस पर बेटे ने कहा कि ये कपड़े बहुत गंदे हो रहे हैं और इनमें से तेज दुर्गंध आ रही है। बेटे ने ज्यों ही उन गंदे कपड़ों को हाथ में लिया, उसने उन्हें फेंक दिया।
अब माँ ने बेटे को समझाया कि जब कोई बेवजह तुम पर अड़ जाए और तुम्हें बुरा भला कहे तो क्या तुम्हें उसकी गंदी बातों का असर अपने साफ दिमाग पर नहीं पड़ने देना चाहिए? ऐसे समय में क्रोध करके अपना स्वच्छ मन क्यों खराब करते हो?