हर न का मतलब इंकार नहीं होता
हर जगह बैठ जाना इंकार नहीं होता
यू तो मिलती हैं हजारों से नजरें
हर नजर का मिलना प्यार नहीं होता
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कभी ग़मों से तुम्हारी मुलाकात न हो
उदास बैठो ऐसी कोई बात न हो
शिकायत हो तो हमें माफ़ कर देना
फुरसत मिलें तो हमें याद कर लेना
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लम्हें जुदाई के बेकरार करते हैं
मेरे हालात मुझे लाचार करते हैं
मेरी नजरों से मेरे इरादों को जान लो
हम खुद से कैसे कहें की तुमसे प्यार करते हैं
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मेरी आँखों की इसलिए लाली नहीं जाती
क्योंकि कोई रात तेरी याद में खाली नहीं जाती
तू मांगले तो जान भी हंस के दे देंगे
क्योंकि तेरी तो कोई बात अब टाली नहीं जाती
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आंसुओं में नहीं ढूँढना हमें
हम तेरी आँखों में भी मिल जाएंगे
तमन्ना हो अगर मिलने की
तो बंद आँखों से नजर आयेंगे
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