नीचे की मंजिल | Akbar Birbal Stories in Hindi 🏰
एक बार की बात है बादशाह अकबर को एक दरबारी ने बताया कि बीरबल अपनी बांदियों और दासियों का ध्यान जरूरत से ज्यादा रखते हैं, जब देखो तब उनकी बड़ाई करते रहते हैं। दरबारी की इस बात को सुनकर अकबर के मन में विचार आया कि क्यों न हम चलकर स्वयं इस बात की तहकीकात करें कि आखिर माजरा क्या है? इसके दूसरे दिन बादशाह अकबर बिना बताये अचानक ही बीरबल के घर पहुंच गए और सीढ़ियां चढ़ते हुए ऊपरी मंजिल पर पहुंच गए।
बादशाह सलामत को सहसा बीरबल के यहां देखकर एक दासी दौड़ी-दौड़ी उनके पास आई। बादशाह सलामत दासी को देखकर हल्का-सा मुस्कराए, फिर बोले, “तुम्हारी ऊपर की मंजिल तो बहुत सजी हुई है, सुन्दर और हसीन भी है लेकिन जरा नीचे की भी तो देखें कैसी है?” दासी बीरबल का नमक खाती थी। बीरबल के नमक का कुछ तो असर उस पर था ही। वह अगले पल ही मुस्कराकर बोली, “अवश्य देखें, हजूर! आप उसी रास्ते से तो होते हुए आए हैं, फिर भी आपको मालूम नहीं हुआ कि नीचे की मंजिल कैसी है?’
सवाल के बदले सवाल, शहंशाह भोंचक्के रह गए। दासी का तीखा, पर सटीक जवाब शहंशाह ने सुना तो उन्हें यह समझने में देर न लगी कि बीरबल की दासियां सचमुच ही तारीफ के काबिल हैं। बीरबल यूंही उनकी तारीफ करते नहीं फिरते है। और शहंशाह चुपचाप महल को लौट गए।
💡 कहानी से शिक्षा (Moral of the Story):
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि —
बुद्धिमानी केवल बड़े लोगों में ही नहीं होती, बल्कि जो सच्चा और समझदार होता है, वह किसी भी स्थिति में सही जवाब देना जानता है।

