गिलहरी और शेर की कहानी The Story of the Squirrel and the Lion
बहुत समय पहले की बात है, एक घने और हरे-भरे जंगल में एक छोटी सी, बेहद नटखट गिलहरी रहती थी। उसका नाम चुलबुली था, और जंगल के सारे जानवर उसे इसी नाम से पुकारते थे। चुलबुली अपनी चंचलता और मस्ती के लिए मशहूर थी। वह दिनभर पेड़ों की शाखाओं पर कूदती-फांदती, मस्ती में खेलती रहती। उसकी हरकतों से पूरा जंगल गूंज उठता, और उसकी फुर्ती देख सभी जानवर मुस्कुराते थे। चुलबुली हमेशा खुश रहती और अपनी उछलकूद से जंगल में आनंद फैलाती थी।
लेकिन जंगल का राजा, शेर गर्जन, जो अपनी ताकत और रोबदार आवाज़ के लिए प्रसिद्ध था, उसे चुलबुली की यह चंचलता बिल्कुल पसंद नहीं थी। गर्जन हमेशा चुलबुली की मस्ती देखता और सोचता कि यह छोटी गिलहरी जंगल में इतना उधम क्यों मचाती रहती है। शेर की गंभीर और खामोश प्रकृति के कारण, उसे किसी भी प्रकार की हलचल पसंद नहीं थी। चुलबुली की फुर्तीली हरकतें उसे बहुत परेशान करती थीं।
एक दिन, गर्जन ने ठान लिया कि वह चुलबुली को सबक सिखाएगा। उसने सोचा कि वह इस छोटी गिलहरी की चंचलता पर अंकुश लगाएगा और उसे सबके सामने डराकर चुप कर देगा। वह मन ही मन योजना बनाने लगा और आखिरकार, एक दिन उसे मौका मिल गया।
चुलबुली हमेशा की तरह अपने पसंदीदा पेड़ की ऊँची शाखा पर खेल रही थी, कूद-फांद रही थी और अपनी मस्ती में मग्न थी। तभी अचानक गर्जन धीरे से उसके पास आया और जोर से दहाड़ कर बोला, “चुलबुली! तुम्हारी यह उछलकूद और चपलता मुझे बहुत परेशान करती है। आज से तुम इस जंगल में नहीं खेल सकोगी। अगर तुमने मेरी बात नहीं मानी, तो तुम्हें इसकी सजा भुगतनी पड़ेगी!”
शेर की गरजती हुई आवाज सुनकर चुलबुली के छोटे-छोटे कान खड़े हो गए। वह डर गई और उसकी हल्की-फुल्की खुशी भी गायब हो गयी। उसकी धड़कन तेज हो गई और वह समझ नहीं पा रही थी कि क्या करे। शेर का गुस्सा उसे साफ दिखाई दे रहा था, और वह जानती थी कि गर्जन जैसा शक्तिशाली शेर किसी को भी नुकसान पहुँचा सकता है। लेकिन चुलबुली बहुत समझदार थी। उसने जल्दी से खुद को संभाला और सोचा कि शायद डरने के बजाय वह शेर से बात करके अपना बचाव कर सके।
चुलबुली ने हिम्मत जुटाकर गर्जन से कहा, “महाराज, मुझे पता है कि मेरी चपलता आपको परेशान करती है, लेकिन खेलना मेरी प्रकृति में है। मैं किसी को दुखी या परेशान करने का इरादा नहीं रखती। क्या मैं आपकी कोई मदद कर सकती हूँ, जिससे आप मुझे माफ़ कर दें और मुझे फिर से खेलने की इजाजत दे दें?”
गर्जन ने चुलबुली की यह बात सुनी और हैरान रह गया। उसने सोचा, “यह छोटी सी गिलहरी मेरी क्या मदद कर सकती है?” गर्जन के मन में सवाल उठा कि इस छोटे से प्राणी से क्या उम्मीद की जा सकती है। फिर भी, शेर ने थोड़ी देर सोचने के बाद कहा, “ठीक है चुलबुली, अगर तुम मेरी मदद कर सको, तो मैं तुम्हें माफ़ कर दूंगा। दरअसल, मेरे पंजे में कुछ दिनों से एक कांटा चुभा हुआ है, और मुझे बहुत दर्द हो रहा है। मैंने बहुत कोशिश की, लेकिन मैं उसे निकाल नहीं पाया। अगर तुम वह कांटा निकाल सको, तो मैं तुम्हें माफ कर दूंगा।”
चुलबुली ने गर्जन की बात सुनी और तुरंत उसकी मदद करने का निश्चय किया। वह बिना किसी देरी के गर्जन के विशाल पंजे के पास गई और ध्यान से कांटे को देखने लगी। कांटा गहरा चुभा हुआ था जिसकी वजह से गर्जन को बहुत दर्द हो रहा था। लेकिन चुलबुली ने बिना किसी डर के गर्जन के पंजे में फंसे कांटे को धीरे-धीरे और बहुत ही सावधानी से निकाल लिया।
जैसे ही कांटा बाहर निकला, गर्जन को तुरंत दर्द से राहत मिली। उसके चेहरे पर संतोष और खुशी की झलक दिखने लगी। वह चुलबुली का आभारी हो गया। शेर ने चुलबुली से कहा, “तुमने मेरी बहुत बड़ी मदद की है। अब मुझे समझ में आया कि छोटे से छोटे प्राणी की भी अपनी महत्ता होती है। मैं तुम्हें माफ करता हूँ और न सिर्फ माफ करता हूँ, बल्कि आज से तुम मेरी खास दोस्त हो। तुम इस जंगल की सबसे प्यारी और चतुर गिलहरी हो।”
गर्जन ने न केवल चुलबुली को माफ किया, बल्कि उसे अपनी सबसे अच्छी दोस्त भी बना लिया। अब चुलबुली पूरे जंगल में गर्व के साथ घूमती थी और हर कोई उसकी तारीफ करता था। जंगल के बाकी जानवर गर्जन और चुलबुली की इस अनोखी दोस्ती को देखकर बहुत खुश हुए और सभी ने उनकी प्रशंसा की।
समय बीतता गया और चुलबुली की चतुराई और शेर की समझदारी जंगल में एक मिसाल बन गई। चुलबुली ने यह सिखा दिया कि चाहे कोई कितना भी छोटा या कमजोर क्यों न हो, उसकी मदद और उसकी अहमियत कभी भी कम नहीं होती। हर प्राणी का अपना स्थान और मूल्य होता है, और उसकी काबिलियत को कभी भी कम नहीं आँकना चाहिए।
इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि हर किसी में कुछ न कुछ विशेषता होती है, और हमें कभी भी किसी को छोटा नहीं समझना चाहिए। संकट के समय में, किसी की मदद से बड़ी से बड़ी मुश्किल हल हो सकती है।