छड़ियों का बंडल
छड़ियों का बंडल
एक बार की बात है, एक किसान था उसके तीन बेटे थे। तीनों बेटे अक्सर आपस में बहुत लड़ते थे। इस बात से वह किसान बहुत परेशान रहता था। वह अपने बच्चों को एक साथ मिल जुलकर रहने के लिए हर संभव कोशिश किया करता था, लेकिन सारी कोशिश बेकार थी।
समय बीतता गया, एक बार वह किसान बीमार हो गया। उसने अपने लड़कों से एकजुट रहने का आग्रह किया, लेकिन उन्होंने उसकी अवज्ञा की। किसान ने उन्हें एक व्यावहारिक सबक सिखाने का फैसला किया, ताकि वे अपने मतभेदों को समाप्त कर सकें, और एकजुट होकर रहें।
किसान ने तीनों बेटों को अपने पास बुलाया, और कहा – मैं तुम्हें छड़ी का एक बंडल देता हूँ, जो सबसे जल्दी छड़ी को तोड़ेगा उसे इनाम दिया जाएगा।”
बूढ़े किसान ने उनमें से प्रत्येक को दस दस छड़ियों का एक बंडल दिया और उन्हें प्रत्येक छड़ी को टुकड़ों में तोड़ने के लिए कहा। उन सभी ने अपने अपने गट्ठर को लिया और एक एक छड़ी को कुछ ही मिनटों में तोड़ दिया और एक बार फिर बहस करने लगे कि ऐसा करने वाला पहला व्यक्ति उनमें से कौन है?
तब किसान ने उन्हें शांत कराते हुए फिर से प्रत्येक लड़के को छड़ियों का एक एक बंडल सौंप दिया, और अब उन्हें एक साथ तोड़ने के लिए कहा।
उनमें से सभी ने छड़ी के बंडल को तोड़ने का बहुत प्रयास किया। लेकिन लाख कोशिशों के बाद भी वे छड़ी के गट्ठर को नहीं तोड़ पाए।
तब किसान ने कहा “प्रिय बेटों,”। तुम लोगों ने देखा ! एकल छड़ियों को टुकड़ों में तोड़ना बहुत आसान था, लेकिन छड़ियों के बंडल को तोडना असंभव था! इसलिए, जब तक तुम एक हो, तब तक कोई भी तुम्हें चोट नहीं पहुंचा सकता है।”
किसान के बेटों ने एकता के मूल्य को समझा और तब से एक साथ प्रेम से रहने का संकल्प लिया।
शिक्षा -एकता में बहुत शक्ति होती है।
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