बाघ की खाल में गधा – लघु कहानियां
बाघ की खाल में गधा
एक बार की बात है एक गांव में एक गरीब धोबी रहता था उसके पास एक बूढ़ा गधा था जो धोबी का काम करता था। धोबी के पास एक बड़ा परिवार थे जिसमें एक पत्नी और सात बच्चे थे। उसके गधे को बहुत भूख लगती थी, और जो कुछ भी धोबी उसे खाने के लिए देता था वह उसके लिए पर्याप्त नहीं होता था, और परिणामस्वरूप उसका गधा पतला और कमजोर हो गया। धोबी ने मन ही मन सोचा, “मैं कड़ी मेहनत कर रहा हूँ। लेकिन मैं बहुत पैसा नहीं कमा रहा हूं। मैं अपनी पत्नी और बच्चों को भी ठीक से नहीं खिला सकता। तो मैं इस गधे को कैसे खिलाऊँ?”
एक दिन काम से घर लौटते समय धोबी ने खेतों में एक बाघ की खाल देखी। उसने तुरंत एक योजना के बारे में सोचा। “मैं इस खाल से गधे को ढँक दूंगा और उसे पास के खेत में ले जाऊँगा और इस तरह मेरा गधा अपनी पूरी भूख का आनंद उठा सकता है और स्वस्थ हो सकता है।”
अगली रात उसने अपने गधे को बाघ की खाल में डाल दिया और उसे खेतों में छोड़ दिया। एक बाघ को अपने खेतों में घूमते देख ग्रामीण डर कर भाग गए। रात को गधे ने खेतों में अपने पूरे भोजन का आनंद लिया और सुबह तक वह वापस धोबी के पास लौट आया। गधा और धोबी दोनों ही बहुत खुश थे और यह सिलसिला कई महीनों तक चलता रहा। गधा मोटा और मजबूत हो गया।
एक रात की बात है जब बाघ की खाल वाला गधा खेतों में अपने भोजन का आनंद ले रहा था, उसने पास के खेतों में एक और गधे को रेंगते हुए सुना (“ई-ओ, ई-ओ”)। यह सुनकर धोबी का गधा खुद को गाने से नहीं रोक पाया। उसने अपना सिर ऊपर उठा लिया और ठिठक गया। यह सुनकर ग्रामीणों को यह समझने में तनिक भी देर न लगी की यह बाघ के वेश में एक गधा है, और इससे वे बहुत क्रोधित हुए। गुस्साए किसान बड़ी-बड़ी लाठियों के साथ खेत में गए और धोबी के गधे को पीट-पीट कर मार डाला।
सुबह जब गधा खेतों से नहीं लौटा तो धोबी उसे देखने गया और अपने प्यारे गधे को जमीन पर मृत देखकर चौंक गया ।
वह समझ नहीं पाया कि क्या हुआ था। फिर बहुत देर बाद वह उन किसानों की आपस की बात चीत से समझ पाया की आखिर क्या हुआ था। उसने उदास होकर बुदबुदाया – “काश वह चुप रहता।”
कहानी का नैतिक – कभी कभी मौन रहना अच्छा होता या कोई भी कार्य करने से पहले उस पर विचार करें।