पंचतंत्र – सोने का अंडा देने वाली हंस
एक बार की बात बंसी नाम का एक गरीब किसान था। वह बहुत आलसी था और उसके आलस्य के कारण उसका परिवार हमेशा गरीबी में रहता था, जिसकी वजह से सभी बहुत दुखी थे। उसकी पत्नी लीलावती उसे रोज कोई न कोई काम करने या दूसरे गांव जाकर कुछ अच्छा पैसा कमाने के लिए कहती थी लेकिन वह आलसी किसान उसकी बातों पर जरा भी ध्यान नहीं देता था। कमाई न होने के कारण थोड़ा बहुत पड़ा हुआ धन भी ख़त्म हो चला था, अब उनके पास पैसे नहीं बचे थे।
एक दिन बंसी जंगल में कुछ पेड़ काटने गया। वहाँ उसे एक घायल हंस मिला, वह उसे घर ले आया और उसकी अच्छी देखभाल की। हंस इस परिवार की सद्भावना से इतना खुश हुआ कि उसने किसान और उसके परिवार को किसी तरह से पुरस्कृत करने की सोची।
पंचतंत्र – सोने का अंडा देने वाली हंस
उस सुबह हंस ने एक सोने का अंडा दिया और जब बंसी हंस को खिलाने आया तो उसने उस सुनहरे अंडे को देखा और अपनी पत्नी लीलावती को बुलाया। वे दोनों बहुत उत्साहित थे क्योंकि इस सुनहरे अंडे को बेचकर वे कुछ पैसे कमा सकते हैं।
किसान ने वह सुनहरा अंडा बेच दिया और अपने परिवार के लिए चीजें खरीदीं। हंस रोज सुबह सोने के अंडे देने लगी और जल्द ही किसान बहुत अमीर हो गया। किसान और उसका परिवार बहुत खुश था और उस हंस की बहुत अच्छी देखभाल करता था। हंस भी इस परिवार का हिस्सा बनकर जीवन का आनंद ले रहा था।
एक दिन बंसी के दिमाग में एक बहुत बुरा विचार आया। उसने मन ही मन सोचा कि, “अगर जादुई हंस रोज एक सोने का अंडा देता है तो इस हंस के अंदर कितने सुनहरे अंडे होंगे? अगर मैं हंस को काट दूं तो मैं एक ही दिन में और भी धनी किसान बन सकता हूं। उसने अपने बुरे विचार के बारे में किसी को नहीं बताया। उसी रात जब सब सो रहे थे, बंसी ने चाकू लेकर उस बेचारे हंस को मार डाला। बंसी को हंस के अंदर कोई अंडे नहीं मिला। अपने लालच के कारण उसने अपने जादुई हंस और सोने के अंडे को खो दिया था।
इसलिए कहते हैं बहुत अधिक लालच का परिणाम बहुत बुरा होता है!
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