Sunday, October 26, 2025

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दूसरों का दुःख -Hindi Short Story

दूसरों का दुःख -Hindi Short Story

Hindi Short Story  – एक बार की बात है, एक बहुत बड़ा विद्वान रहता था, वह बहुत दूरदर्शी था। एक बार उन्होंने सोचा कि क्यों न सबके दुख दूर हो जाएं तो उन्होंने पूरे गांव में सभी को बुलाया और कहा कि कल मेरे आश्रम के बाहर सब मेरे पास आएंगे।

दूसरों का दुःख -Hindi Short Story

Hindi Short Story

दूसरे दिन कई लोग महात्मा जी के आश्रम के बाहर जमा हो गए। सब अपना-अपना दुख सुनाने लगे। और इस तरह पूरे आश्रम में बहुत जोर का शोर हुआ, महात्मा जी किसी की नहीं सुन पा रहे थे। यहां से किसी ने कहा, पहले मैंने वहां से कहा, पहले मैं,  तो अंत में महात्मा जी नाराज हो गए और बोले चुप रहो, यह सब सुनकर सब लोग चुप हो गए।

तब महात्मा जी ने कहा, देखो, मैं एक बार में सबकी नहीं सुन सकता, तुम सब अपने दुखों को पर्ची में लिख लो। सभी ने महात्मा जी की बात मान ली और एक पर्ची में अपने-अपने दुख लिखे,और  महात्मा जी की एक टोकरी में सारी पर्चियां जमा कर दिया।

प्रत्येक व्यक्ति उसमें से एक पर्ची उठाकर उसे पढ़ें, फिर तय करें कि वह अपने दुखों को अपने पास रखना चाहेगा या दूसरों के दुखों को लेना चाहेगा, महात्मा जी ने कहा। पर्ची पढ़ते ही सभी चिंतित हो गए।

वे इस नतीजे पर पहुंचे कि उनके दुख या मुसीबतें कितनी भी बड़ी क्यों न हों, लेकिन दूसरों के दुखों के आगे कुछ भी नहीं है। कुछ देर तक तो सभी ने सारे पर्चे देखे, दूसरों के दुखों की एक झलक पाकर सभी अपने-अपने दुखों को अच्छा महसूस कर रहे थे।

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सच्ची सीख -Hindi Short Story

एक भिखारी रोज शाम को सड़क किनारे भीख मांगता था। उसे भीख में सिक्के थे और जो भी पैसे मिलते थे, वह उसी पर संतुष्ट रहता था। एक शाम एक धनी सेठ वहां से गुजरा, उसे उस भिखारी पर बहुत दया आई और उसके हाथ में 100 रुपये का नोट रखकर आगे का रास्ता तय किया।

भिखारी ने नोट को देखा और समझ गया कि किसी आदमी ने उसका मजाक उड़ाया है। क्योंकि आज से पहले उसे इतना बड़ा नोट किसी ने भीख मांगने में नहीं दिया था। उसे लगा कि यह सिर्फ एक कागज का टुकड़ा है। उसने अपनी किस्मत को कोसते हुए नोट को जमीन पर पटक दिया। एक सज्जन इस घटना को देख रहे थे।

उसने उस नोट को उठाया और भिखारी को देते हुए कहा, यह 100 रुपये का नोट है, इसे कम मत समझो, भगवान हमें हमारे जीवन में ऐसे कई अवसर देता है, लेकिन ज्ञान की कमी के कारण हम वह अवसर पहचान नहीं पाते हैं। और जीवन भर हम यही कहते रहते हैं कि हमारे पास कुछ भी नहीं है। हम साधन विहीन हैं, लेकिन इन सबके बीच जीवन में जो मिलता है उसे हम भूल जाते हैं, इसलिए दोस्तों कभी किसी से यह नहीं कहना चाहिए कि हमारे पास कुछ भी नहीं है। जो नहीं मिला उसकी शिकायत करना छोड़, जो मिला उसकी अहमियत समझने की कोशिश करें।

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