Nishaanchi Movie Review in Hindi, अनुराग कश्यप की नई क्राइम ड्रामा फिल्म
रेटिंग: ⭐⭐⭐½ (3.5/5)
📖 कहानी क्या है?
फिल्म की शुरुआत होती है बबलू और डबलू नाम के जुड़वा भाइयों से, जिनकी ज़िंदगी एक नाकाम बैंक डकैती के बाद पूरी तरह बदल जाती है। उनके साथ जुड़ती है रिंकू, जो खुद भी दर्द और नुकसान से जूझ रही है। यहीं से शुरू होता है एक ऐसा सफर, जिसमें है पारिवारिक दुश्मनी, धोखा, और बदले की आग।
फिल्म कैसी है?
अनुराग कश्यप एक बार फिर अपने जाने-पहचाने अंदाज़ में लौटे हैं — क्राइम, पॉलिटिक्स, और लोकल टच वाली कहानियों में। “निशानची” को देखकर आपको ‘Gangs of Wasseypur’ की याद आ सकती है, लेकिन ये फिल्म उसकी कॉपी नहीं है। इसमें अपनी एक अलग पहचान है।
लोकेशन की बात करें तो:
फिल्म कानपुर की गलियों में सेट है, और वहां की बोली, माहौल, और राजनीति को बखूबी दिखाया गया है। हर किरदार असली लगता है, जैसे वो हमारे आस-पास ही रहते हों।
कहानी की परतें:
फिल्म में दो पीढ़ियों की कहानी एक साथ चलती है:
- बबलू (जो ज़रा बेपरवाह और तेज़ मिज़ाज है) बन जाता है अपराधी।
- डबलू (जो दब्बू है) अपने भाई की छाया में जीता है।
- इन दोनों की ज़िंदगी में आती है रिंकू (वेदीका पिंटो), जो पहले कथक डांसर थी, लेकिन हालात ने उसे सस्ती लोकल शोज़ में नाचने पर मजबूर कर दिया।
फिर कहानी जाती है पीछे — जहां उनके माता-पिता मंजिरी (मोनीका पंवार) और जबरदस्त सिंह (विनीत सिंह) की अधूरी ख्वाहिशों और Ambika Prasad (कुमुद मिश्रा) के धोखे की दास्तान सामने आती है।
क्या अच्छा है फिल्म में?
- परफॉर्मेंस:
आइशवरी ठाकरे अपने डेब्यू में दोनों रोल (बबलू और डबलू) को बखूबी निभाते हैं। दोनों किरदार अलग और दमदार लगते हैं।
वेदीका पिंटो ने रिंकू के रोल में गहराई और आत्मबल दिखाया है।
कुमुद मिश्रा हमेशा की तरह शानदार, खामोश लेकिन खतरनाक। - लोकेल की रियल फील:
कानपुर सिर्फ बैकग्राउंड नहीं है, वो कहानी का हिस्सा बन जाता है। - सपोर्टिंग कैरेक्टर्स:
हर छोटा-बड़ा किरदार अपनी छाप छोड़ता है, जो अनुराग कश्यप की खासियत है। - नरेशन स्टाइल:
कहानी को कहने का तरीका गंभीर, डीटेल में और हल्के-फुल्के डार्क ह्यूमर के साथ है।
कमी क्या है?
- लंबा रनटाइम:
लगभग 3 घंटे लंबी फिल्म है। कुछ हिस्सों में कहानी धीमी लगती है, खासकर जहां ज्यादा कुछ नहीं हो रहा होता। - संगीत:
गाने ज़्यादा असरदार नहीं हैं, सुनने के बाद याद नहीं रहते। - ओपन एंडिंग:
यह फिल्म भाग 1 है, यानी असली क्लाइमैक्स अगली फिल्म में मिलेगा। इससे थोड़ा अधूरापन लगता है।
फिल्म क्यों देखें?
अगर आप:
- अनुराग कश्यप के पुराने अंदाज़ के फैन हैं,
- क्राइम, फैमिली ड्रामा और पॉलिटिक्स वाली फिल्में पसंद करते हैं,
- और कुछ ऐसा देखना चाहते हैं जो धीमा लेकिन असरदार हो,
तो “Nishaanchi” एक बार जरूर देखनी चाहिए।
Final Verdict:
“निशानची” एक परफेक्ट फिल्म नहीं है, लेकिन ये ऐसी फिल्म है जो आपको उसकी दुनिया में खींच लेती है। धीमी जरूर है, लेकिन जो लोग धैर्य और डीटेल पसंद करते हैं, उनके लिए ये फिल्म एक असली अनुभव बन सकती है।
अब इंतज़ार है पार्ट 2 का — जहां शायद कहानी और भी गहराई से खुलेगी।