Sunday, December 7, 2025

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श्री दुर्गा चालीसा का महत्व और इसके अद्भुत लाभ

श्री दुर्गा चालीसा का महत्व और इसके अद्भुत लाभ | Shri Durga Chalisa Benefits in Hindi

श्री दुर्गा चालीसा (Shri Durga Chalisa) एक महत्वपूर्ण भक्ति गीत है, जो देवी दुर्गा के महान गुणों और शक्तियों का वर्णन करता है। यह चालीसा विशेष रूप से उन भक्तों द्वारा पढ़ी जाती है जो देवी दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं और जीवन में सुख, समृद्धि और सुरक्षा चाहते हैं।

देवी दुर्गा को शक्ति, साहस और विनाश की देवी माना जाता है। वे संसार की रक्षा करती हैं और सभी तरह के संकटों को दूर करने की क्षमता रखती हैं। श्री दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन में हर प्रकार की समस्याओं से छुटकारा मिलता है और देवी की कृपा से सुख-शांति का अनुभव होता है।

श्री दुर्गा चालीसा  Shri Durga Chalisa

ॐ सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके । 
शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते ॥

***

चौपाई
नमो नमो दुर्गे सुखकरनी । नमो नमो अम्बे दुःख हरनी ॥
निरंकार है ज्योति तुम्हारी । तिहूं लोक फैली उजियारी ॥
शशि ललाट मुख महाविशाला । नेत्र लाल भुकुटी विकराला ॥
रूप मातु को अधिक सुहावे । दरस करत जन अति सुख पावे ॥
तुम संसार शक्ति लय कीना । पालन हेतु अन्न धन दीना ॥
अन्नपूर्णा हुई जगपाला । तुम ही आदि सुन्दरी बाला ॥
प्रलयकाल सब नाशन हारी । तुम गौरी शिवशंकर प्यारी ॥
शिवयोगी तुम्हारे गुण गावे । ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ॥
रूप सरस्वती का तुम धारा । दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ॥
धरयो रूप नरसिंह को अम्बा । प्रगट भई फाड़ के खम्भा ॥
रक्षा कर प्रहलाद बचायो । हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो ॥
लक्ष्मी रूप धरो जगमाहीं । श्री नारायण अंग समाही ॥
क्षीर सिंधु में करत बिलासा । दया सिंधु कीजे मन आशा ॥
हिंगलाज में तुम्ही भवानी । महिमा अमित न जात बखानी ॥
मातंगी धूमावति माता । भुवनेश्वरी बगला सुखदाता ॥
श्री भैरव तारा जगतारिनि । छिन्न भाल भव दुःख निवारिनि ॥
केहरि वाहन सोहे भवानी । लंगुर बीर चलत अगवानी ॥
कर में खप्पर खड्ग बिराजे । जाको देखि काल डर भाजे ॥
सोहे अस्त्र शस्त्र तिरशूला । जाते उठत शत्रु हिय शूला ॥
नगर कोटि में तुम्हीं विराजत । तिहूं लोक में डंका बाजत ॥
शुंभ निशुम्भ दानव तुम मारे । रक्त बीज संखन संहारे ॥
महिषासुर नृप अति अभिमानी । जोहि अघ भारि मही अकुलानी ॥
रूप कराल कालिका धारा । सेन सहित तुम तिहि संहारा ॥
परी गाढ़ सन्तन पर जब जब । भई सहाय मातु तुम तब तब ॥
अमरपुरी अरु बासत लोका । तव महिमा सब रहे अशोका ॥
ज्वाला मैं है ज्योति तुम्हारी । तुम्हें सदा पूजे नरनारी ॥
प्रेम भक्ति से जो नर गावै । दुःख दरिद्र निकट नहिं आवे ॥
ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई । जन्म मरन ते सो छुटी जाई ॥
योगी सुरमुनि कहत पुकारी । योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ॥
शंकर आचरज तप कीनो । काम अरु क्रोध जीत सब लीनो ॥
निशिदिनि ध्यान धरत शंकर को । काहू काल नहीं सुमिरो तुमको ॥
शक्ति रूप को मरम न पायो । शक्ति गई तब मन पछतायो ॥
शरणागत हुई कीर्ति बखानी । जय जय जय जगदम्ब भवानी ॥
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा । दई शक्ति नहीं कीन विलंबा ॥
मोको मातु कष्ट अति घेरो । तुम बिन कौन हरे दुःख मेरो ॥
आशा तृष्णा निपट सतावै । मोह मदादिक सब बिनसावै ॥
शत्रु नाश कीजे महारानी । सुमिरो इक चित तुम्हें भवानी ॥
करो कृपा हे मातु दयाला । ऋद्धि सिद्धि दे करहू निहाला ॥
जब लगि जिऊं दया फलपाऊं । तुम्हरो जस मैं सदा सुनाऊं ॥
दुर्गा चालीसा जो कोई गावै । सब सुख भोग परमपद पावै ॥
 ‘देवीदास’ शरण निज जानी । करहू कृपा जगदम्ब भवानी ॥

 

*** श्री दुर्गा चालीसा ***

 

श्री दुर्गा चालीसा का सरल हिंदी में अर्थ

  1. सर्व मंगल मंगलाय – इस चालीसा की शुरुआत देवी दुर्गा को श्रद्धांजलि अर्पित करने से होती है, जिनके आशीर्वाद से हर प्रकार के दुख और कष्ट समाप्त हो जाते हैं। देवी दुर्गा को ‘शिवे सर्वार्थ साधिके’ कहा गया है, अर्थात वे सभी इच्छाओं की पूर्ति करने वाली हैं।
  2. निरंकार और ज्योति – देवी दुर्गा का रूप निराकार और अद्वितीय है, जिनकी ज्योति ने तीनों लोकों को प्रकाशित किया है। उनका रूप इतना दिव्य और उज्जवल है कि हर कोई उनके दर्शन से धन्य हो जाता है।
  3. शक्ति की देवी – देवी दुर्गा ने सृष्टि की रचना, पालन और संहार के कार्यों में अपनी शक्ति का उपयोग किया। वे अन्नपूर्णा के रूप में संसार के पालनहार हैं और संकट के समय शिव, विष्णु और ब्रह्मा जैसे देवता भी उनका पूजन करते हैं।
  4. राक्षसों का संहार – दुर्गा चालीसा में देवी के उन रूपों का भी उल्लेख किया गया है जब उन्होंने राक्षसों का संहार किया। विशेष रूप से महिषासुर, शंभ और निशुंभ जैसे दानवों को नष्ट कर देवी ने अपनी महिमा को स्थापित किया।
  5. संतों का रक्षक – देवी दुर्गा सदैव अपने भक्तों और संतों की रक्षा करती हैं। जिन भक्तों का हृदय शुद्ध होता है, वे हमेशा देवी के आशीर्वाद से अभिषिक्त होते हैं।
  6. शक्ति, यश और संपत्ति – देवी दुर्गा के भक्तों को शक्ति, यश और समृद्धि की प्राप्ति होती है। उनके ध्यान और भक्ति से व्यक्ति के सभी दुख दूर होते हैं और जीवन में सकारात्मक परिवर्तन आते हैं।

श्री दुर्गा चालीसा का पाठ करने के लाभ

  1. संकटों का नाश – दुर्गा चालीसा का नियमित पाठ करने से जीवन के सभी संकट और समस्याएँ समाप्त होती हैं। यह पाठ आपके जीवन में शांति और सुख लाता है।
  2. शक्ति और साहस – देवी दुर्गा की पूजा से व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक शक्ति मिलती है, जो उसे जीवन में आने वाली चुनौतियों का सामना करने में मदद करती है।
  3. दुष्टों का नाश – दुर्गा चालीसा के पाठ से बुरे लोग और शत्रु दूर रहते हैं, और व्यक्ति को हर तरह के शत्रु से सुरक्षा मिलती है।
  4. समृद्धि की प्राप्ति – जो भक्त सच्चे मन से दुर्गा चालीसा का पाठ करते हैं, उन्हें देवी की कृपा से धन और ऐश्वर्य प्राप्त होता है।
  5. आध्यात्मिक लाभ – इस चालीसा के नियमित पाठ से आध्यात्मिक उन्नति होती है और व्यक्ति का जीवन संतुलित और शांतिपूर्ण बनता है।

दुर्गा चालीसा का पाठ कैसे करें

दुर्गा चालीसा का पाठ करते समय, भक्त को श्रद्धा और भक्ति भाव से पाठ करना चाहिए। यह विशेष रूप से नवमी या अमावस्या के दिन करना बहुत लाभकारी माना जाता है। यदि आप किसी विशेष परेशानी में हैं, तो इसे ध्यान लगाकर और सच्ची श्रद्धा से पढ़ें।

निष्कर्ष (Shri Durga Chalisa):

श्री दुर्गा चालीसा एक शक्तिशाली मंत्र है, जो न केवल मानसिक शांति और सुख प्रदान करता है, बल्कि जीवन में समृद्धि और सफलता भी लाता है। देवी दुर्गा की भक्ति से सभी संकटों का नाश होता है और व्यक्ति को जीवन में सकारात्मकता का अनुभव होता है। यदि आप अपनी जीवन समस्याओं से मुक्ति पाना चाहते हैं, तो श्री दुर्गा चालीसा का पाठ करें और देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त करें।

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