न थकेंगे न रुकेंगे बढ़ते जायेंगे कदम,
रोक ले जो अब हमें इतना नहीं है किसी में दम,
मंजिले हो दूर कितनी, पहुंचकर दिखलायेंगे,
बाधाएं आयेंगी पथ में फिर भी नहीं घबराएंगे,
अपने इरादे चट्टानों से भी बड़े मजबूत है,
बढ़ते जायेंगे सदा हम भारती के सपूत है,
मर मिटने को देश पर रहते सदा तैयार हम,
हिन्द ही है कौम अपनी इसकी सेवा है धरम,
दिल है सागर से बड़ा और हौसले भी कम नहीं,
शान में जाती है जाँ तो उसका कोई गम नहीं,
दुश्मनों के साथ भी हम पेश आते है प्यार से,
जब बात न बनती दिखे समझाते है हथियार से,
कहदो जाके दुश्मनों से नजरें हटा ले कश्मीर से,
अब नहीं बच पायेंगे वो भारत माँ के वीर से,
वक्त आने पर हम तूफानों से भी टकरायेंगे,
जीत कर हर अड़चनो से देश की आन बचायेंगे,
अपना तिरंगा हर चमन में जा के हम लहराएंगे,
हमारे हौसलों के आगे दुश्मन भी शीश झुकायेंगे,
हिमालय का सीना चौड़ा होगा मुस्कराएगा गगन,
हर तरफ फैलेगी शांति हर तरफ होगा अमन,
न थकेंगे न रुकेंगे बढ़ते जायेंगे कदम,
रोक ले जो अब हमें इतना नहीं है किसी में दम,
संतोष कुमार