हम जैसा सोचते हैं Akbar Birbal ki Kahaniyan
एक बार अकबर ने बीरबल से पूछा -बीरबल क्या हम जिसके बारे में जैसा सोचते हैं वह भी हमारे बारे में वैसा ही सोचता है ? बीरबल ने कहा – हाँ महराज यह सत्य है, कि हम जिसके बारे में जैसा सोचते हैं वह भी हमारे बारे में वैसा ही सोचता है। अकबर ने कहा बीरबल क्या तुम इसका कोई प्रमाण दे सकते हो? हाँ महाराज समय आने पर आपको इसका प्रमाण मिल जायेगा।
अकबर और बीरबल बगीचे में टहलने गए। अकबर ने देखा की एक बुढ़िया बगीचे में पेड़ो की टहनियाँ तोड़ रही थी। अकबर ने बीरबल से कहा बीरबल ये बुढ़िया पेड़ों की टहनियाँ तोड़कर हमारे बगीचे को ख़राब कर रही है। इसको तो दंड मिलना चाहिए। अकबर को अपना प्रश्न फिर से याद आया और बोले बीरबल अच्छा बताओ यह बुढ़िया हमारे बारे में क्या सोचती होगी।
बीरबल ने कहा अवश्य महाराज, आप एक पेड़ के पीछे छिप जाइये और मैं इस बुढ़िया से आपके बारे में पूछता हूँ की वह आपके बारे में क्या सोचती है। अकबर एक पेड़ के पीछे छिप गए। बीरबल उस बुढ़िया के पास गए और बोले माता जी -आप ये क्या कर रही हैं ? मैं पेड़ों की सुखी टहनियाँ तोड़ रही हूँ और इसे बाजार में बेचूँगी जिससे कुछ पैसे मिलेंगे। बीरबल ने कहा आप इस उम्र में इतनी मेहनत करती हैं। आप यहाँ के राजा के बारे में क्या सोचती हैं। क्या आपने राजा से कोई मदद की गुहार नहीं की?
यहाँ का राजा तो बहुत ही खड़ूस है। बगीचे की लकड़ियाँ तो तोड़ने नहीं देता, तो मैं किस मदद की उससे उम्मीद करूँ। इतना कहकर वह लकड़ी का गट्ठर सर पर रखकर वहाँ से चली गयी।
अकबर पेड़ के पीछे से बुढ़िया की बातें सुन रहे थे। बीरबल अकबर के पास आये और बोले महाराज आप सुन रहे थे कि बुढ़िया आप के बारे में क्या सोचती है? अकबर बोले हाँ बीरबल मैं सुन रहा था कि बुढ़िया हमारे बारे में क्या सोचती है। तुमने सच कहा था बीरबल, कि हम जिसके बारे में जैसा सोचते हैं वह भी हमारे बारे में वैसा ही सोचता है।
बाद में अकबर ने उस बुढ़िया की मदद करने के लिए सैनिको को आदेश दिया।
Akbar Birbal ki Kahaniyan
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