Sunday, October 26, 2025

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हंसों का झुण्ड – हिंदी कहानी | Hanso Ka Jhund – Hindi Kahani

हंसों का झुण्ड – हिंदी कहानी 

बहुत पहले की बात है एक राज्य में चित्ररथ नाम का एक राजा था। उसके राज्य में एक बड़ा तालाब था। तालाब के चारों ओर सुंदर फूल और पेड़ थे। तालाब की सुंदरता से मोहित होकर तालाब में हंसों का झुंड रहने लगा। हंस की उस प्रजाति के हर छह महीने में सुनहरे पंख होते थे। सभी हंसों ने तालाब में रहने के बजाय अपने सुनहरे पंख उस राज्य के राजा को दे दिए। इस तरह राजा को भी हर छह महीने में कई सुनहरे पंख मिलने लगे थे।

एक दिन उस तालाब में कहीं से एक बड़ा पक्षी आया और हंसों के बीच रहने लगा। हंस को यह बात अच्छी नहीं लगी। हंसों का राजा उस बड़े पक्षी के पास गया और कहा – “हम इस तालाब में लंबे समय से रह रहे हैं और इस तालाब में रहने के लिए , हम इस राज्य के राजा को सोने के पंख भी देते हैं।”

लेकिन वह बड़ा पक्षी हंसों की बात मानने को तैयार नहीं हुआ और जबरन उनके बीच रहने लगा। एक दिन उसका हंसों से झगड़ा हो गया और सभी हंसों ने मिलकर बड़े पक्षी को बहुत मारा । फिर भी बड़ा पक्षी तालाब छोड़ने को तैयार नहीं हुआ और राजा के पास सभी हंसों की शिकायत करते हुए गया और कहा – “महाराज! ये हंस किसी और को इस तालाब में रहने नहीं देते हैं और न ही आपसे डरते हैं।

हंसो की शिकायत सुनकर राजा क्रोधित हो गया और उसने अपने सेनापति को उन हंसों को पकड़कर शाही दरबार में लाने का आदेश दिया। जब सेनापति सिपाहियों की टुकड़ी के साथ तालाब के पास पहुँचा तो सैनिकों के आक्रामक रवैये को देखकर हंसों का राजा सब कुछ समझ गया और अपने साथी हंसों के साथ दूसरे राज्य के तालाब में चला गया। इस तरह राजा को आश्रय में आए हंसों को फटकार कर उनसे मिले सुनहरे पंखों से भी हाथ धोना पड़ा।

राजा ने बिना सच को जाने निर्णय लिया और बाद में उसे पछतावें के सिवा कुछ न मिला ।

कहानी से शिक्षा Moral of the Story:

इस कहानी से हमें यह सिखने को मिलता है कि बिना पूरी जानकारी के निर्णय नहीं लेने चाहिए। राजा ने हंसों की शिकायत सुनी और बिना सच का पता लगाए फैसले ले लिए, जिसके परिणामस्वरूप उसे पछताना पड़ा। हमें भी किसी भी स्थिति में पूरी जानकारी लेकर ही निर्णय लेना चाहिए।

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