स्वयं की  किसी और के साथ तुलना न करें 

स्वयं की किसी और के साथ तुलना न करें

स्वयं की  किसी और के साथ तुलना न करें

स्वयं की किसी और के साथ तुलना न करें

इस दुनिया में हर इंसान सफलता की दौड़ में शामिल है। कौन कितना हासिल करे, कितनी जल्दी हासिल करले, इस बात की फिक्र ने सबको परेशान किया हुआ है।

सच तो यह है कि जीवन की मुख्य जरुरत सिर्फ तीन है। खाने के लिए रोटी हो, तन ढकने के लिए कपड़े और रहने के लिए एक घर। प्रभु का नाम लेकर मन की शांति के साथ ये चीजें जीवन जीने के लिए पर्याप्त हैं।

परन्तु इंसान के पास पेट की भूंख से ज्यादा मन की भूंख है जो कभी भरती ही नहीं है। चाहे जितनी ज्यादा धन सम्पदा वो इकठ्ठा कर ले, फिर भी उसका मन कभी नहीं भरता।

पेट भरने के लिए दो रोटी की आवश्यकता होती है, पर इंसान इतना विह्वल होकर कमाता है जैसे कि वो सैकड़ो सालों तक इस धरती पर रहने वाला है और सब कुछ अभी कमा के रख लेना है।

रहने के लिए एक छत चाहिए परन्तु वह बहुत बड़े मकान का सपना देखता है, मानलो उसका यह सपना पूरा हो भी जाता है और वह बड़ा मकान बना भी लेता है परन्तु सोता तो एक कमरे में एक बिस्तर पर ही है।

फिर भी बहुत कुछ हासिल करने के बाद भी कहीं न कहीं उसके मन में एक नई कमीं हमेशा खटकती रहती है। और वह कमीं उसे कभी भी खुश नहीं होने देती।

एक भिखारी जिसके पास कुछ नहीं होता, वह दिनभर भीख मांगता है। भीख में मिली हुई चीजें पाकर वह खुश हो जाता है, ईश्वर को धन्यवाद देता है और ख़ुशी ख़ुशी भोजन खाकर डकार मारते हुए होते सो जाता है। उसके पास कम तो है परन्तु उसे कमीं दिखाई नहीं देती।

दूसरी तरफ एक इंसान जिसके पास कम तो नहीं है परन्तु उसे हमेशा एक नई कमीं दिखाई देती है और वह उसकी पूर्ति में लग जाता है। तत्पश्चात फिर से एक नई कमीं आ जाती है और इस प्रकार जीवन भर वो हमेंशा कमियों को पूरा करने में व्यस्त रहता है और उसके पास जो सुख संसाधन होते है वह उसका सुख भी नहीं ले पाता।

अक्सर कमीं तब नजर आती है जब हम स्वयं की  किसी और के साथ तुलना करते हैं। उसके पास वो है मेरे पास ये नहीं है, पडोसी के पास दो कार है मेरे पास तो एक ही है, फला रिश्तेदार के पास तो बहुत बड़ा मकान है मेरे पास तो इतना छोटा मकान है। और इस प्रकार उसके मन में कभी भी शांति नहीं आती।

भिखारी के पास कम है, परन्तु उसे कमीं इसलिए नहीं दिखाई देती क्योंकि वह कभी तुलनात्मक रवैया नहीं अपनाता।

इसलिए ईश्वर ने जो भी आपको दिया है उसमें खुश रहें, तुलनात्मक रवैया न अपनायें। कम बेसक हो पर उसमें कमीं न देखें, और बेहतर करने की कोशिश जरूर करें परन्तु खुद को परेशान करके नहीं।

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