विश्वास – ईश्वर से मुलाकात की कहानी 

विश्वास – ईश्वर से मुलाकात की कहानी Vishwas – Story of Encounter with God

एक छोटा बच्चा था। उसकी उम्र महज 9 साल थी, लेकिन उसकी गंभीरता इतनी थी कि 18 साल के बच्चे को भी मात दी जा सकती थी। समझ में वह अपनी उम्र से बड़ा था। एक बार उस बच्चे ने अपनी माँ से पूछा, “माँ, क्या हम भगवान से मिल सकते हैं?”

Vishwas - Story of Encounter with God

विश्वास – ईश्वर से मुलाकात की कहानी Vishwas – Story of Encounter with God

उस बच्चे की बातें सुनकर उसकी मां हैरान रह गई। बच्चे को तशल्ली देने के लिए माँ ने बच्चे के सिर पर हाथ रखते हुए कहा, “हां बेटा, जिस दिन तुम सच्चे मन से भगवान की खोज करोगे, उस दिन वह तुमसे मिलने जरूर आएंगे।”

मां ने यह बात बच्चे का दिल रखने के लिए कही थी, लेकिन बात बच्चे के दिमाग में बैठ गई। वह बालक सोते-जागते-बैठते यही बात सोचने लगा। जितना ही वह इस बारे में सोचता, उसकी ईश्वर से मिलने की इच्छा उतनी ही बढ़ती गई।

एक बार वह बच्चा खाना खाने जा रहा था। तभी उनके मन में एक विचार आया- मुझे भगवान से मिलने के लिए और कितना इंतजार करना पड़ेगा?

Vishwas – Story of Encounter with God

और अगले ही पल बच्चे ने फैसला कर लिया- अब बहुत हो गया इंतजार। आज मैं भगवान के पास बैठकर ही भोजन करूँगा। इस निश्चय के साथ बालक ने भोजन को एक पोटली में बांधकर घर में किसी को कुछ बताए बिना एक तरफ चला गया।

बच्चा चलते-चलते काफी दूर निकल गया। सुबह से शाम हो गयी। थकान और भूख से उसका बुरा हाल हो रहा था। तभी उसे कुछ दूर पर एक तालाब दिखाई दिया। उसके किनारे एक महिला बैठी थी। बच्चा महिला के पास गया और उसे ध्यान से देखा। महिला की उम्र 70-80 साल रही होगी। लेकिन इतना होते हुए भी उनकी आंखों में गजब की चमक थी।

उस महिला को देखकर बच्चे के चेहरे पर मुस्कान फैल गई। महिला भी बच्चे को देखकर मुस्कुरा दी। उस महिला ने बच्चे के सिर पर प्यार से हाथ फेरा। उस बच्चे को ऐसा लगा जैसे वह इस एकांत जंगल में उसकी प्रतीक्षा कर रही हो।

तभी बच्चे को अपनी भूख का एहसास हुआ। उसने अपनी गठरी खोली और उस बूढ़ी महिला की ओर एक रोटी बढ़ा कर पूछा, “माँ, रोटी खाओगी?”

यह देखकर महिला के झुर्रियों भरे चेहरे पर अजीब सी खुशी आ गई। उनकी आंखों से खुशी के आंसू बहने लगे। यह देख बच्चे ने कहा, “माँ तुम क्यों रो रही हो?” क्या आपका कोई सामान खो गया है? महिला ने बच्चे के सिर पर हाथ रखते हुए कहा, ‘नहीं बेटा, ये खुशी के आंसू हैं।’ आज मेरी सारी इच्छाएँ पूरी हुईं।

यह सुनकर बच्चा मुस्कुराया। उसने अपने हाथ से रोटी तोड़ी और बुढ़िया को खिला दी। महिला की आंखों से आंसू बह निकले। उन्होंने भी बच्चे को अपने हाथ से रोटी खिलाई और दुलार किया। रोटी खाकर बच्चे को अपनी माँ की याद आ गई। उसे लगा कि घर में माँ परेशान हो रही होगी। इसलिए उसने बुढ़िया से अनुमति ली और वापस अपने घर लौट आया।

बच्चा जब अपने घर पहुंचा तो मां उसे दरवाजे पर ही मिल गई। उसने बच्चे को गोद में उठा लिया और जोर जोर से चूमने लगी। यह देख बच्चे ने कहा, “माँ, आज मैं भगवान से मिला, मैंने उनके साथ बैठकर रोटी खाई।” मैं बहुत खुश हूं मां।

उधर, वह बुढ़िया जब अपने घर पहुंची तो उसकी खुशी देखकर परिजन हैरान रह गए। उसने अपने परिवार के सदस्यों से कहा, “मैं भगवान की तलाश में घर से निकली थी। मैं भगवान की प्रतीक्षा में 2 दिन तालाब के किनारे अकेली भूखी बैठी रही। मुझे विश्वास था कि भगवान आएंगे और मुझे अपने हाथों से खिलाएंगे। आज सचमुच भगवान ने मुझे दर्शन दिए और अपने हाथ से मुझे रोटी खिलाई। इस प्रकार मेरी साधना पूर्ण हुई और मैं अपने घर वापस आ गयी ।

दोस्तों आपने देखा कि बच्चा और बुढ़िया दोनों ही परमात्मा को खोज रहे थे। भगवान कहीं नहीं थे, पर उनके दिलों में थे, इसलिए उन्होंने उस व्यक्ति में उस रूप को पाया जो स्वयं भगवान की खोज में निकला था। इस प्रकार जब हम किसी चीज की गहरी इच्छा करते हैं, उसे पाने के लिए पूरे मन से प्रयास करते हैं तो मंजिल का रास्ता अपने आप खुल जाता है और हमारा काम सफल हो जाता है।

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