Sunday, December 7, 2025

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राजा की सोच – ईश्वर की मर्जी के बिना कुछ नहीं | Motivational Story in Hindi

👑 राजा की सोच – ईश्वर की मर्जी के बिना कुछ नहीं  Motivational Story in Hindi

राजा की सोच – बहुत समय पहले की बात है, एक राज्य में एक राजा रहता था, वह बहुत दयालु था। उसके दरबार में हर रोज दो भिखारी भीख मांगने आते थे, उनमें से एक जवान था और एक बूढ़ा। राजा उन्हें प्रतिदिन रोटी और पैसा दिया करता था। भीख मांगने के बाद बूढ़ा भिखारी कहता है कि भगवान सब कुछ देता है, जबकि युवा भिखारी कहता है कि यह हमारे महाराज की देन है।

एक दिन राजा ने उसे सामान्य से अधिक धन बांट दिया। युवा भिखारी ने कहा कि यह राजा का उपहार है, जबकि बूढ़े भिखारी ने कहा कि सब कुछ भगवान का उपहार है, राजा यह सुनकर क्रोधित हो गया, उसने सोचा कि मैं उसे खिलाता हूं और यह भिखारी कहता है कि सब कुछ भगवान का उपहार है।

राजा ने छोटे भिखारी की मदद करने की सोची और राजा ने कहा कि आज तुम नई सड़क से जाओगे लेकिन पहले छोटा (युवा) भिखारी जाएगा, फिर बूढ़ा। राजा ने रास्ते में सोने से भरा बैग रखा, रास्ता लंबा था , तो छोटे भिखारी को थैला दिखाई नहीं दिया, कुछ देर बाद जब बूढ़ा भिखारी वहाँ से निकला तो उसे वह थैला मिल गया, उसने भगवान का शुक्रिया अदा किया।

जब राजा ने उससे पूछा कि क्या उसे रास्ते में कुछ मिला है? बूढ़े ने उत्तर दिया, मुझे एक सोने का थैला मिला है। राजा ने अब तय कर लिया था कि वह बूढ़े भिखारी को दिखाएगा कि वह वही है यानि राजा ही है जो उसे खिलाता है। जाते समय राजा ने छोटे भिखारी को एक कद्दू दिया जो अंदर से चांदी के सिक्कों से भरा हुआ था।

छोटे भिखारी ने उसे एक दुकान में बेच दिया, रास्ते में राजा ने छोटे भिखारी से पूछा कि क्या तुम्हें कुछ में कद्दू मिला है, उसने कहा कि मैंने वह कद्दू बेच दिया, इसलिए मुझे उससे कुछ पैसे मिले। बूढ़े भिखारी ने कहा – एक दुकानदार ने मुझे एक कद्दू दिया जिसमें मुझे चांदी के कई सिक्के मिले।

बूढ़े भिखारी की बात सुनकर राजा समझ गया कि भगवान की इच्छा के बिना कुछ नहीं हो सकता।

🌿कहानी से सीख (Kahani Se Seekh):

जीवन में जो भी मिलता है, वह ईश्वर की कृपा से ही मिलता है।
मनुष्य सिर्फ एक साधन (medium) है, लेकिन देने वाला भगवान ही होता है।

👉 कभी अहंकार मत करो, कि तुम किसी की मदद कर रहे हो —
क्योंकि असली मददगार वही है जो सबका पालनहार है।

“ईश्वर की मर्जी के बिना पत्ता भी नहीं हिलता,
फिर इंसान कैसे सोच सकता है कि वह खुद कुछ दे सकता है।”

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