🌻असली कीमत क्या है?
जैसे-जैसे इंसान की उम्र बढ़ती है, उसे धीरे-धीरे यह समझ में आने लगता है कि चीजों की कीमत और असली महत्व अलग-अलग होते हैं।
- पांच सौ की घड़ी पहने या पांच हजार की, समय तो दोनों एक जैसा ही दिखाएगी।
- एक हजार के कपड़े पहने या दस हजार के, शरीर ढकने का काम दोनों एक ही तरह करेंगे।
- दो सौ के बैग में सामान रखो या दो हजार के बैग में, दोनों में अंतर केवल दिखावे का है।
- छोटे मकान में रहो या बड़े मकान में, तन्हाई और अकेलापन एक जैसा ही महसूस होता है।
सच्चाई यह है कि जीवन की असली कीमत पैसा या वस्तुओं से नहीं, बल्कि इंसान की सोच, व्यवहार और नैतिकता से तय होती है।
सत्य यह भी है यदि हम फर्स्ट क्लास में यात्रा करते है या जनरल डिब्बे में, हम अपनी मंजिल पर उसी नियत समय पर ही पहुँचेंगे।
इसीलिए, अपने बच्चों को बहुत ज्यादा अमीर होने के लिए प्रोत्साहित करना सही नहीं है बल्कि उन्हें यह सिखाना ज्यादा जरूरी है कि वे खुश कैसे रह सकते हैं और जब बड़े हों, तो चीजों के महत्व को देखें, उसकी कीमत को नहीं।
आज के वक्त में ब्रांडेड चीजों का इस्तेमाल लोगो के दिलो में घर कर गया है अगर हम ब्रांडेड वस्तुओं का इस्तेमाल नहीं कर रहे है तो कहीं न कही हम पीछे है या फिर हम अमीर नहीं लगेंगे, ऐसा स्टेटस दिखाना जरुरी हो गया है।
क्या आई फ़ोन लेकर चलने से ही लोग मुझे बुद्धिमान और समझदार मानेंगें ? क्या रोजाना एक बड़े रेस्टॉरेंट में खाना खाने से, अपने मित्रो के साथ बड़ी बड़ी पार्टियां करने से ही लोग मुझे एक रईस परिवार से हूँ , यह समझेंगे? क्या हमेसा ब्रांडेड कपडे पहनने से, अपनी बातो में दो चार अंग्रेजी शब्द शामिल करने से, अंग्रेजी गाने सुनने से ही लोग मुझे सभ्य और विकसित समझेंगे? नहीं !!!
कपड़े तो आम दुकानों से खरीदे जा सकते है, भूख लगने पर किसी ठेले से ले कर खाना खाया जा सकता है और जिसमें कोई अपमान नहीं है।
एक बहुत बड़ा सत्य यह भी है कि – ऐसे लोग भी हैं जो एक ब्रांडेड जूतों की जोड़ी की कीमत में पूरे सप्ताह भर का राशन ले सकते हैं। एक मैगडोनर के बर्गर की कीमत में सारे घर का भोजन बना सकते हैं।
यहाँ पर यह रहस्य निकलता है कि बहुत सारा पैसा ही सब कुछ नहीं है, जो लोग किसी की बाहरी हालत से उसकी कीमत लगाते हैं, वह सदैव सत्य नही होता। मानव मूल की असली कीमत उसकी नैतिकता, व्यवहार, मेलजोल का तरीका, सहानुभूति और भाईचारा है, ना कि उसकी मौजुदा शक्ल सूरत और उसका रहन -शहन ।
इससे यह सीखने को मिलता है कि धन ही सब कुछ नहीं है। इंसान का असली मूल्य उसकी नैतिकता, व्यवहार, सहानुभूति, भाईचारा और सोच से होता है, न कि दिखावे या महंगे सामान से।
आपकी सोच में ताकत और चमक होनी चाहिए। छोटा-बड़ा होने से फर्क नहीं पड़ता, सोच बड़ी होनी चाहिए। मन के भीतर एक सत्य दीपक जलाईये और सदा मुस्कुराते रहिए, वह मुस्कराहट आपके जीवन के सारे अँधेरे को दूर कर देगी।
🌿निष्कर्ष (Conclusion):
असली कीमत बाहर की चीज़ों में नहीं, आपके मन और सोच में छुपी शक्ति में है।
- बड़े दिखने से फर्क नहीं पड़ता, सोच बड़ी होनी चाहिए।
- अपनी नैतिकता और व्यवहार से दूसरों का सम्मान जीतिए।
- मन में एक सत्य दीपक जलाइए और हमेशा मुस्कुराते रहिए। यह मुस्कान आपके जीवन के अंधेरों को दूर कर देगी।
सच्ची कीमत वही है जो इंसान के अंदर से झलकती है, उसके कर्मों और सोच से दिखाई देती है, न कि उसकी संपत्ति या दिखावे से।

