🐊बंदर और मगरमच्छ की कहानी | Monkey and Crocodile Story in Hindi
बहुत समय पहले की बात है, एक नदी के किनारे जामुन के पेड़ पर एक बंदर रहता था। उसी नदी में एक मगरमच्छ भी रहता था।
धीरे-धीरे बंदर और मगरमच्छ में दोस्ती हो गई। जब जामुन में फल लगते तो बंदर जामुन के मीठे और रसीले फल खाता, जो फल नीचे गिरता, उसे उसका मित्र मगरमच्छ खा लेता। दोनों ने दिन भर बातें करते और मीठे फल खाते और दोनों दोस्ती का आनंद लेते।
मगरमच्छ ने सोचा कि मैं तो स्वादिष्ट फल ही खाता हूँ, कुछ फल घर पर क्यों न ले जाऊँ ? मगरमच्छ अपनी पत्नी के लिए कुछ फल ले गया। उसकी पत्नी ने भी फल खाया, उसे भी फल बहुत पसन्द थे। इसलिए वह रोज अपनी पत्नी के लिए जामुन के फल लाने लगा।
एक दिन मगरमच्छ की पत्नी ने पूछा: “तुम्हें ये मीठे रसीले जामुन कहाँ से मिलते हैं?” मगरमच्छ ने कहा, “मेरा दोस्त एक बंदर है। वह जामुन के पेड़ पर रहता है और जामुन का फल खाता है और मुझे भी खिलाता है।”
मगरमच्छ की पत्नी ने सोचा कि जो बंदर रोज इतने मीठे फल खाता है, उसका दिल कितना मीठा होगा। तो उसने एक दिन मगरमच्छ से कहा: “तुम्हारा दोस्त बंदर रोज मीठे फल खाता है, उसका दिल बहुत मीठा होता होगा।” आज मैं मंकी हार्ट खाना चाहती हूं।
मगरमच्छ ने कहा: “बंदर मेरा दोस्त है, मैं उसका दिल नहीं ला सकता।” , मगरमच्छ की पत्नी को मगरमच्छ पर बहुत गुस्सा आया और उसने कहा, “जब तक तुम बंदर का कलेजा नहीं लाते, मैं न खाऊँगी न पीऊँगी और मैं तुमसे बात भी नहीं करूँगी।” बेचारा मगरमच्छ अपनी पत्नी की जिद पर झुक गया और बंदर का दिल लाने के लिए तैयार हो गया।
अगले दिन मगरमच्छ बंदर के पास गया और बोला – “यार, आज तुम्हारी भाभी ने घर पर बहुत ही स्वादिष्ट व्यंजन बनाया है और तुम्हें खाने पर बुलाया है।”
लजीज व्यंजनों का नाम सुनकर बंदर के मुंह में पानी आ गया और वह मगरमच्छ के साथ आने के लिए तैयार हो गया। लेकिन बंदर को तैरना नहीं आता था।
बंदर ने मगरमच्छ से कहा, “मेरे दोस्त, मुझे तैरना नहीं आता।” मगरमच्छ ने कहा, “बंदर दोस्त, कोई बात नहीं, मेरी पीठ पर बैठो, मैं तुम्हें अपने साथ ले जाऊंगा।”
बंदर मगरमच्छ की पीठ पर बैठ गया और पानी में सवारी का आनंद ले रहा था। बातें करते-करते दोनों नदी के बीच में पहुंच गए। बातों ही बातों में मगरमच्छ ने बंदर से कहा कि उसकी पत्नी बंदर का कलेजा खाना चाहती है, इसलिए वह उसे अपने घर ले जा रहा है।
इस बात से बंदर को बहुत धक्का लगा और वह बहुत दुखी हुआ क्योंकि जिस मगरमच्छ को वह मीठे जामुन के फल खिलाता था वही मगरमच्छ अपनी पत्नी को उसका कलेजा खिलाना चाहता है। बंदर पहले तो बहुत डर गया, फिर उसने अपने आप को संभाला।
बंदर बोला – “यार, तुमने मुझे पहले क्यों नहीं बताया?” उसी जामुन के पेड़ में मैं अपना दिल भूल गया हूं। अगर भाभी को दिल चाहिए तो हमें पहले उस पेड़ पर चलना होगा, फिर मैं खुशी-खुशी आपके साथ चलूंगा।
मगरमच्छ मूर्ख था, बंदर की बात मानकर जामुन के पेड़ के पास आ गया। बंदर जामुन के पेड़ के पास कूद गया और विश्वासघाती मगरमच्छ से बोला – “अरे मूर्ख मगरमच्छ, क्या कोई अपना दिल अलग रखता है? आज से तेरी मेरी दोस्ती ख़तम, अब मैं तुझे फल भी नहीं दूंगा।” बन्दर की बात सुनकर मगरमच्छ अपने घर लौट गया, अब उसे मीठे फल भी मिलने बंद हो गए हैं।
🌷कहानी से सीख (Moral of the Story):
हमें किसी पर आँख मूंदकर भरोसा नहीं करना चाहिए और मुश्किल समय में बुद्धिमानी से काम लेना चाहिए।

