🐻 कहानी: दो दोस्त और भालू (Do Dost Aur Bhalu Kahani in Hindi)
एक गाँव में सोहन और मोहन दो दोस्त थे। एक बार दोनों नौकरी की तलाश में शहर की तरफ जा रहे थे। वे दिन भर चलते रहे। शाम हो गई और फिर रात हो गई। लेकिन, उनका सफर खत्म नहीं हुआ। दोनों एक जंगल से गुजर रहे थे। जंगल में अक्सर जंगली जानवरों का खौफ रहता है। सोहन को डर था कि कहीं उसका सामना किसी जंगली जानवर से न हो जाए।
उसने मोहन से कहा, “मित्र! इस जंगल में जंगली जानवर होंगे। अगर कोई जानवर हम पर हमला करता है, तो हम क्या करेंगे?”
सोहन ने कहा, “दोस्त, डरो मत। मैं तुम्हारे साथ हूं। चाहे जो भी खतरा आए, मैं तुम्हारा साथ नहीं छोड़ूंगा। हम दोनों मिलकर हर मुश्किल का सामना करेंगे।”
इस तरह बात करते-करते वे आगे बढ़ ही रहे थे कि अचानक उनके सामने एक भालू आ गया। दोनों दोस्त डर गए। भालू उनकी ओर बढ़ने लगा। सोहन सदमे में फौरन एक पेड़ पर चढ़ गया। उसने सोचा कि मोहन भी पेड़ पर चढ़ जाएगा। लेकिन मोहन पेड़ पर चढ़ना नहीं जानता था। वह असहाय होकर नीचे ही खड़ा रह गया।
भालू उसके पास आने लगा। मोहन डर के मारे पसीना बहाने लगा। लेकिन डर के बावजूद वह किसी तरह भालू से बचने का उपाय सोचने लगा। सोचते-सोचते उनके दिमाग में एक उपाय आया। वह जमीन पर लेट गया और अपनी सांस रोककर एक मरे हुए आदमी की तरह पड़ा रहा। मोहन जनता था की भालू मरे हुए को नहीं मारता।
भालू मोहन के करीब आ गया। और मोहन के चारों ओर घूमते हुए, वह उसे सूंघने लगा। पेड़ पर चढ़ा सोहन यह सब देख रहा था। उसने भालू को मोहन के कान में कुछ फुसफुसाते देखा। कान में फुसफुसाकर भालू चला गया।
भालू के जाते ही सोहन पेड़ से नीचे उतरा। और मोहन भी तब तक उठ कर खड़ा हो गया। सोहन मोहन के पास आया और पूछा, “दोस्त! जब तुम जमीन पर लेटे थे, तो मैंने भालू को तुम्हारे कान में कुछ फुसफुसाते देखा। क्या वह कुछ कह रहा था?”
“हाँ, भालू ने मुझसे कहा कि ऐसे दोस्त पर कभी भी भरोसा नहीं करना चाहिए, जो मुसीबत में तुम्हें अकेला छोड़ कर भाग जाये।”
🌸कहानी से सीख (Kahani Se Sikh) :
- सच्चा दोस्त वही होता है जो मुसीबत के समय साथ खड़ा रहे।
- कठिन परिस्थितियों में ही असली दोस्ती की पहचान होती है।
- कभी ऐसे व्यक्ति पर भरोसा न करें जो केवल सुख के समय आपके साथ हो और संकट में भाग जाए।

