🐦 कहानी: नकल के लिए अकल होनी चाहिए (Nakal Ke Liye Akal Honi Chahiye )
एक समय की बात है, एक देश में सूखे के कारण अकाल पड़ गया था। लोगों की सारी फसल सूख गई और बर्बाद हो गई थी । उस देश के लोग खाने-पीने के लिए तरसने लगे। ऐसे कठिन समय में बेचारे कौवे और अन्य पशु-पक्षियों को भी रोटी के टुकड़े या भोजन नहीं मिल रहा था। जब काफी देर तक कौवे को खाने के लिए कुछ नहीं मिला तो वे भोजन की तलाश में जंगल की खोज करने लगे।
जंगल में पहुँचकर कौवा-कौवी का जोड़ा एक पेड़ पर रुका और वहाँ अपना आश्रय बना लिया। उस पेड़ के नीचे एक तालाब था। उस तालाब के पानी में पानी में रहने वाला एक कौआ रहता था। वह दिन भर पानी में रहता और ढेर सारी मछलियां पकड़कर अपना पेट भरता था। जब उसका पेट भर जाता था तो वह पानी में खेलता था।
वहीं पेड़ की डाल पर बैठा कौआ जब पानी के साथ कौए को देखता तो उसका मन उनके जैसा बनने की इच्छा करता। उसने सोचा कि अगर पानी के कौवे से दोस्ती कर लिया तो उसे भी पूरे दिन मछली खाने को मिलेगी और उसके दिन भी अच्छे गुजरेंगे।
वह तालाब के किनारे गया और पानी में रहने वाले कौवे से बड़ी मधुर आवाज में बोलै – “सुनो दोस्त, तुम बहुत ही फुर्तीले हो। और पलक झपकते ही तुम मछली पकड़ लेते हो। क्या तुम मुझे अपना यह गुण भी सिखाओगे?”
यह सुनकर पानी में रहने वाले कौवे ने कहा – “मित्र, यह सीखकर क्या करोगे, जब भी तुम्हें भूख लगे, मुझे बताओ। मैं पानी से मछली पकड़कर तुम्हें दूंगा और तुम खा लेना।”
उस दिन के बाद से जब भी कौवे को भूख लगती, वह पानी वाले कौवे के पास जाता और उसमें से ढेर सारी मछलियाँ मांगकर खाता।
एक दिन कौवे ने सोचा कि पानी में जाकर ही मछली पकड़नी है, तो यह काम वह खुद कर सकता है। आखिर कब तक वह उस पानी वाले कौवे का एहसान लेता रहेगा?
उसने मन ही मन फैसला किया कि वह तालाब में जाकर अपने लिए मछली पकड़ेगा।
जब वह तालाब के पानी में मछली पकड़ने जाने लगा तो पानी वाले कौवे ने फिर उससे कहा – “मित्र, तुम ऐसा मत करो। तुम्हें पानी में मछली पकड़ने की जानकारी नहीं है, इस वजह से यह तुम्हारे लिए जोखिम भरा काम हो सकता है। इसलिए पानी में मत जाओ।”
पानी वाले कौवे से पेड़ पर रहने वाला कौआ गर्व से बोला – “आप अपने अभिमान के कारण ऐसा कह रहे हैं। मैं भी आपकी तरह पानी में जाकर मछली पकड़ सकता हूं और आज ऐसा करके मैं इसे साबित कर दूंगा।
यह कह कर कौआ तालाब के पानी में कूद गया। तालाब के पानी में जम गई थी , जिसमें वह फंस गया। कौए को काई से निकलने का कोई अनुभव नहीं था। उसने अपनी चोंच से काई को भेदने की कोशिश की। इसके लिए जैसे ही उसने अपनी चोंच काई में डुबोई, उनकी चोंच भी काई में फंस गई।
काफी कोशिशों के बाद भी वह उस काई से बाहर नहीं निकल पाया और कुछ देर बाद पानी में दम घुटने से उसकी मौत हो गई।
बाद में कौवे की तलाश में कौवी भी तालाब के पास आ गयी। वहाँ उसने पानी के कौवे से अपने कौवे के बारे में पूछा। पानी के कौवे ने सारी बात बता दी और कहा – “तुम्हारे कौवे ने मेरी नकल करने की कोशिश में जोश वस अपने ही हाथों से अपना ही जीवन खो दिया ।”
🌸कहानी से सीख (Kahani Se Sikh):
- नकल के लिए अकल जरूरी होती है।
- हर किसी की अपनी योग्यता और परिस्थिति होती है।
- किसी की नकल करने से पहले यह समझना जरूरी है कि क्या वह हमारे लिए सही है या नहीं।
- अहंकार और जिद हमें हमेशा नुकसान पहुंचाते हैं।

