ये कैसा आज है ,ये कैसा आज है ?
न *कल का कोई गीत है, न *कल का कोई मीत है
न *कल की आज प्रीति है, बदला हुआ रिवाज है
ये कैसा आज है ,ये कैसा आज है ?
न संस्कृति का ज्ञान है, न हिंदुत्व का अभिमान है
न परंम्परा का मान है, बिगड़ा हुआ समाज है
ये कैसा आज है, ये कैसा आज है ?
उथल पुथल मचा हुआ,खेल सब रचा हुआ
मन में डर बसा हुआ, खो रहा स्वराज है
ये कैसा आज है, ये कैसा आज है ?
जोर पे है राजनीति, जिसका न कोई बन्धु मीत
चल पड़ी है नई रीति, चोरो का ही राज है
ये कैसा आज है, ये कैसा आज है ?
सखा भाई रिश्तेदार, खो गया है सबका प्यार
किसी पे न रहा अधिकार, अब किसपे करना नाज है
ये कैसा आज है, ये कैसा आज है ?
काँटों से भरी राह है, सबकी तनी निगाह है
बस इतनी सी चाह है, बचानी अपनी लाज है
ये कैसा आज है, ये कैसा आज है ?
… संतोष कुमार
(*कल -बीता हुआ कल)